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अररिया संसदीय क्षेत्र : चमक जा सकती है तब इनकी किस्मत

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डा. रूद्रकिंकर वर्मा
01 सितम्बर 2023

Araria : 2024 के‌ संसदीय चुनाव में अधिकाधिक सफलता हासिल करने के लिए भाजपा (BJP) नेतृत्व लगातार उम्मीदवार रहे सठियाये चेहरों को ‘मार्गदर्शक मंडल’ में विश्राम की मुद्रा में ला युवा वर्ग को तवज्जो देने की रणनीति पर गहन मंथन कर रहा है. ‌उसकी मंशा आजादी के सौवें साल में संसद में सघन युवा प्रतिनिधित्व बनाने की‌ है, ऐसा भाजपा के सूत्रों का कहना है. उसकी इस रणनीति पर अमल हुआ तब 2024 के संसदीय चुनाव (Parliamentary Elections) में घठियाये‌ – सठियाये उम्मीदवारों की जगह‌‌ 150 नये चेहरों को पार्टी श्रअवसर उपलब्ध करा सकती है. यानी उम्मीदवार बना सकती है. उनमें 41 से 55 साल की उम्र के प्रत्याशियों की संख्या ज्यादा हो सकती है.

भाजपा की है यह रणनीति
पार्टी के एक महासचिव के मुताबिक पहली लोकसभा में 26 फीसदी सदस्यों की उम्र 40 वर्ष से कम थी. उसके बाद से संसद में युवा प्रतिनिधित्व कम होता गया. लोकसभा में तीन से ग्यारह बार तक निर्वाचित हुए सांसदों की संख्या बढ़ती गयी. इससे‌ भाजपा की चुनावी राजनीति में ऊबाऊपन आ गया. इसी को देखते हुए पार्टी के रणनीतिकारों ने दो या उससे अधिक बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके नेताओं में से ज्यादातर को संगठन की जिम्मेदारी देने का मन बना रखा है. इसी‌ तरह कुछ अपवादों को छोड़ किसी को दो बार से ज्यादा राज्यसभा (Rajya Sabha) में नहीं भेजा जायेगा. 80 प्रतिशत ऐसे लोगों को मौका मिलेगा जो कानून, चिकित्सा, विज्ञान, कला, आर्थिक मामले, तकनीक, पर्यावरण और भाषा के जानकार हों. दस सीट पर चुनाव हुए तो 2 ही ऐसे प्रत्याशी होंगे जो जातीय समीकरण (Caste Equation) या संगठन में योगदान के लिहाज से महत्वपूर्ण माने जायेंगे.

रंजीत कुमार यादव पर नजर
भाजपा के सूत्रों का कहना है कि देश में 65 फीसदी से ज्यादा युवा हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) संसद में उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहते हैं. यह सब इस समझ के तहत भी किया जाने वाला है कि एक नेता को लगातार लोकसभा का उम्मीदवार बनाया जाता है तब उसके साथी कार्यकर्ता चुनावी राजनीति से बाहर ही रह जाते हैं. उन्हें अवसर शायद ही मिल पाता है. विश्लेषकों का‌ मानना है कि भाजपा की उक्त रणनीति पर अमल हुआ तो बिहार (Bihar) में दर्जन भर सांसद उसकी चपेट में आ जा सकते हैं. उनमें अररिया के सांसद प्रदीप सिंह भी हो सकते हैं. वह दो बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इसको दृष्टिगत रख अररिया के लिए विकल्प की तलाश हो रही है. दावेदार कई हैं. भाजपा के‌ अंदरूनी सूत्रों के अनुसार नेतृत्व की नजर युवा नेता रंजीत कुमार यादव पर जमी है. इधर के दिनों में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah), भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री आदि कुछ नेताओं से उनकी मुलाकात और बात हुई है. रंजीत कुमार यादव के निकट के लोगों के मुताबिक उन्हें चुनाव की तैयारी करने को कहा गया है.


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हर दृष्टि से हैं सक्षम
2015 में जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र (Jokihat Assembly Constituency) से भाजपा के प्रत्याशी रहे लोकप्रिय युवा नेता रंजीत कुमार यादव किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. क्षेत्र में मजबूत पकड़ तो है ही, चुनाव के लिए आवश्यक साम दाम दण्ड भेद की कला में भी निपुण हैं. भाजपा के खांटी नेता हैं. राज्य में जब से त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई है , पलासी में अपने परिवार के लोग को ही प्रखंड प्रमुख बनाते आ रहे हैं. भाजपा संगठन में भी अपेक्षा से कहीं अधिक समय देते हैं. इन सबको देखते हुए विश्लेषकों का मानना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में युवाओं को तरजीह मिली, तो अररिया से रंजीत कुमार यादव (Ranjeet Kumar Yadav) को प्रत्याशी बनाया जा सकता है. उस अवसर को वह जीत में बदल दे सकते हैं, ऐसा उनके समर्थकों का दावा है.

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