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बाहुबली कुंदन सिंह : चिराग से मुलाकात… बन गयी बात?

विकास कुमार
26 अप्रैल 2025

Samastipur : राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव का निर्वाचन क्षेत्र होने कारण हसनपुर विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तो है ही, बाहुबली कुंदन सिंह के कथित कारनामों को लेकर भी लोग इसे खूब जानते हैं. कारण कि वह यहीं के बाशिंदा हैं. हसनपुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने की हसरत कुंदन सिंह की भी रही है. परन्तु, प्रतिकूल सामाजिक समीकरण और दूसरे बाहुबली अशोक यादव से कथित जानी दुश्मनी की वजह से उन्होंने वहां कोई अतिरिक्त जोखिम उठाना मुनासिब नहीं समझा. इस क्षेत्र के चुनाव से खुद को अलग ही रखा.

लेकिन, सामाजिक न्याय की राजनीति के रक्तरंजित कालखंड में अधिकतर बाहुबली ‘माननीय’ बन गये तो फिर कुंदन सिंह पीछे क्यों रहते ! उन्होंने भी दूसरे क्षेत्रों में अपने दम पूरी कोशिश की. दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि उनकी ख्वाहिश हसनपुर से बाहर भी कहीं पूरी नहीं हो पायी. वैसे, उनकी हिम्मत को दाद देनी होगी कि वह 1995 में राघोपुर से बिपीपा उम्मीदवार के तौर पर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के खिलाफ मैदान में उतर गये. यह अलग बात है कि जमानत ही नहीं गंवा बैठे, सिर्फ 03 हजार 038 मतदाताओं को ही आकर्षित कर पाये. इसके बावजूद हौसला बना रहा.

दस साल बाद कुंदन सिंह ने एक और कोशिश की. अक्तूबर 2005 के चुनाव में पत्नी सुनीता सिंह को दरभंगा जिले के बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार बनवा दिया. कुंदन सिंह की तरह वह भी जीत से काफी दूर रह गयीं. 06 हजार 062 मतों में सिमट गयीं. बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र अब अस्तित्व में नहीं है. लेकिन, इससे पहले पंचायत चुनाव में कुंदन सिंह की धमक दिखी. 2001 में सुनीता सिंह मोहिउद्दीननगर क्षेत्र से जिला पार्षद चुनी गयीं. मोहिउद्दीननगर में राजपूत मतदाताओं की संख्या अधिक रहने के कारण जीत आसानी से मिल गयी. फिर समस्तीपुर जिला परिषद का उपाध्यक्ष बनने का भी सौभाग्य प्राप्त हो गया.

उपाध्यक्ष पद पर दिवंगत बाहुबली अखिलेश राय की पत्नी रोमा भारती काबिज थीं. समस्तीपुर स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र से रोमा राय विधान पार्षद निर्वाचित हो गयीं तब उपाध्यक्ष का पद पाने का अवसर सुनीता सिंह को मिल गया. जानकारों के मुताबिक सुनीता सिंह अभी भाजपा की राजनीति से जुड़ी हैं. समस्तीपुर जिला भाजपा की उपाध्यक्ष रही हैं. बदले हालात में हसनपुर से चुनाव लड़ने की चाहत रखती हैं. करीब के लोग बताते हैं कि कुंदन सिंह की भी ऐसी कुछ इच्छा है. भाजपा में फिलहाल यह इच्छा पूरी नहीं हो सकती है. इसलिए कि एनडीए में हसनपुर जदयू के हिस्से में है. वैसे, कुंदन सिंह की पहुंच प्रायः सभी राजनीतिक दलों के शीर्ष नेतृत्व तक है.

संभावना नहीं के बराबर है, फिर भी हसनपुर कहीं लोजपा -रामविलास के हिस्से में गया तो कुंदन सिंह खुद या पत्नी सुनीता सिंह के लिए उसकी उम्मीदवारी पाने की जुगत भिड़ा सकते हैं. हाल फिलहाल दिल्ली में उनकी चिराग पासवान से मुलाकात भी हुई है. फलाफल क्या निकला, यह नहीं मालूम. पर, इसे उम्मीदवारी की पहल से ही जोड़ कर देखा जा रहा है. यहां जानने वाली बात है कि कुंदन सिंह की प्रथमिकता हसनपुर तो है, सूची में वारिसनगर और हायाघाट विधानसभा क्षेत्र भी है. लेकिन, दिक्कत यह है कि वारिसनगर पर जदयू और हायाघाट पर भाजपा काबिज है. इस कारण लोजपा – रामविलास के लिए वहां भी संभावना नहीं बनती है. ऐसे में कुंदन सिंह जिस किसी भी क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहेंगे, निर्दलीय मैदान में उतरने के अलावा दूसरा कोई विकल्प उनके पास नहीं होगा.