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बिहारशरीफ : हो पायेगी विधान परिषद में वापसी रीना यादव की?

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डा. अरुण कुमार मयंक 
07 फरवरी, 2022

BIHARSARF : नालंदा की निवर्तमान विधान पार्षद रीना यादव (Rina Yadav) की सदन में वापसी हो जायेगी? विधान परिषद (Vidhan Parishad) के स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्रों के आसन्न चुनाव की बढ़ी गतिविधियों के बीच यह सवाल भी हवा में तैर रहा है. रीना यादव 2015 में नालंदा (Nalanda) स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र से विजयी हुई थीं. JDU समर्थित उम्मीदवार के रूप में. जदयू तब महागठबंधन (Mahagathbandhan) का हिस्सा था. रीना यादव का मुकाबला NDA के लोजपा (LJP) समर्थित बहुचर्चित उम्मीदवार डा. कुमार सुमन उर्फ रंजीत डॉन (Dr. Kumar Suman urf Ranjit Don) से हुआ था. पूर्व के कई चुनावों की तरह इस चुनाव में भी रंजीत डॉन मुंह की खा गये. रीना यादव ने उनके पूर्व से ही लस्त-पस्त चुनावी मंसूबों को 673 मतों से रौंद दिया.

विधानसभा चुनाव में भी हुई दुर्गति
मतों के मामले में डा. सुमन कुमार उर्फ रंजीत डॉन की ऐसी ही दयनीय स्थिति 2020 के विधानसभा चुनाव में हुई. नालंदा जिले के हिलसा (Hilsa) से वह लोजपा के उम्मीदवार थे. 17 हजार 471 मतों में सिमट कर रह गये. उस शर्मनाक हार से सदमा ऐसा पहुंचा कि इस बार उन्होंने विधान परिषद के चुनाव से खुद को पूरी तरह अलग कर रखा है. ऐसा उनके निकट के लोगों का कहना है. 2015 में उनकी और रीना यादव की उम्मीदवारी संयोगवश हुई थी. जदयू ने रीना यादव (Rina Yadav) के पति राजेश कुमार सिंह उर्फ राजू यादव (Rajesh Kumar Singh urf Raju Yadav) और लोजपा ने डा. सुमन कुमार उर्फ रंजीत डॉन की पत्नी कुमारी दीपिका (Dipika Kumari) को उम्मीदवार घोषित किया था. दोनों ने नामांकन (Nomination) भी कराया जो रद्द हो गया. ‘विशेष व्यवस्था’ के तहत रीना यादव और रंजीत डॉन की उम्मीदवारी सुनिश्चित करायी गयी.

बदल गये उम्मीदवार
इस बार लोजपा (रामविलास) की उम्मीदवारी रंजीत डॉन की जगह कुर्मी शक्ति संघ (Kurmi Shakti Sangh) के अध्यक्ष नरेश प्रसाद सिंह (Naresh Prasad Singh) को मिलने की बात कही जा रही है. इस्लामपुर (Islampur) के सुखचैन गांव निवासी नरेश प्रसाद सिंह छत्तीसगढ़ (Chhatisgarh) में स्वयंसेवी संगठन चलाते हैं. 2020 के चुनाव में वह इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र से लोजपा (LJP) के प्रत्याशी थे. खुद तो नहीं जीत पाये, पर जदयू (JDU) के स्वजातीय प्रत्याशी चन्द्रसेन प्रसाद (Chandrasen Prasad) की हार का कारण अवश्य बन गये. राजद (RJD) के राकेश कुमार रौशन (Rakesh Kumar Raushan) से चन्द्रसेन प्रसाद की हार 3 हजार 698 मतों से हुई. नरेश प्रसाद सिंह की झोली में 8 हजार 597 मत पड़ गये. हालांकि, वह मैदान में नहीं होते तो ये सब मत चन्द्रसेन प्रसाद को ही मिलते, ऐसा नहीं कहा जा सकता. इसलिए कि इन मतों में लोजपा के आधार मत भी रहे होंगे.


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रोचकता तो आ ही जायेगी
विधानसभा के चुनाव (Election) में जो हुआ सो हुआ, नरेश प्रसाद सिंह (Naresh Prasad Singh) की उम्मीदवारी विधान परिषद के चुनाव को और कुछ नहीं तो रोचक जरूर बना दे सकती है. उधर, विखंडित महागठबंधन (Mahagathbandhan) में यह सीट राजद (RJD) के हिस्से में ही रहेगी. लेकिन, अभी तक उसका उम्मीदवार तय नहीं हुआ है. कुछ नाम कयासों में अवश्य हैं. सबसे पहले मेघी-नगवां पंचायत के मुखिया विजय यादव (Vijay Yadav) की चर्चा हुई थी. कहा जाता है कि उन्होंने चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी थी. इसी बीच उनकी जगह नकटपुरा के राजद नेता बीरन यादव (Biran Yadav) का नाम उछलने लगा. बीरन यादव की छवि अच्छी नहीं मानी जाती है. अब देखना है कि तीसरा नाम किसका सामने आता है.

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