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नरकटियागंज : जोखिम शायद ही उठाना चाहेगी भाजपा

सुनील गुप्ता
05 मई 2025
Bettiah : नरकटियागंज (Narkatiyaganj) की भाजपा विधायक ( MLA) रश्मि वर्मा (Rashmi Verma) का 2025 के चुनाव में क्या होगा? भाजपा (BJP) की उम्मीदवारी का दोहराव होगा या उन्हें हाशिये पर डाल दिया जायेगा? चम्पारण (Champaran) की राजनीति में फिलहाल यही चर्चा का बड़ा विषय बना हुआ है. चौक-चौराहों और चौपालों में भी बातें मुख्यतः इसी पर होती हैं. रश्मि वर्मा के चुनावी भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं, तो उसके एक नहीं, अनेक आधार हैं.

एक नहीं, हैं अनेक आरोप

विधानसभा में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव प्रकरण में कथित संदिग्ध भूमिका तो बड़ा कारण है ही, 2020 में विधायक बनने के बाद उन पर एक-एक कर जितने गंभीर आरोप लगे हैं, वे भी भाजपा की उनकी उम्मीदवारी का दोहराव रोक दे सकते हैं. खासकर मोतिहारी (Motihari) के अगरवा मोहल्ला निवासी संजय सारंगपुरी (Sanjay Sarangpuri) से जुड़े मामले के मद्देनजर भाजपा नेतृत्व उन्हें फिर से चुनाव मैदान में उतारने का जोखिम शायद ही उठाना चाहेगा. ऐसे में सवाल यह उठता है कि रश्मि वर्मा को हाशिये पर डाल दिया गया तब भाजपा में उनका विकल्प क्या होगा? उम्मीदवारी किसे मिलेगी?

बंटे हुए हैं घराने के लोग

रश्मि वर्मा चम्पारण के चर्चित शिकारपुर इस्टेट (Shikarpur Estate) यानी वर्मा घराने की बहू हैं. कांग्रेस (Congress) से जुड़े स्वर्गीय आलोक प्रसाद वर्मा उर्फ ओम बाबू (Alok Prasad Verma alias Om Babu) की पत्नी हैं. इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि नरकटियागंज विधानसभा क्षेत्र पर इस घराने की मजबूत पकड़ है. आपस में फूट-फटक नहीं हो तो चुनावों में इस घराने से जुड़े उम्मीदवार को परास्त करना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है. लेकिन, दुर्भाग्य यह कि घराने के लोग ही बुरी तरह बंटे हुए हैं. परिवार में ही नहीं, राजनीति में भी यही स्थिति है. विश्लेषकों की नजर में सिर्फ बंटे हुए ही नहीं हैं, चुनावों में ताल ठोक एक-दूसरे को धूल चटाने में भी ऊर्जा खपाते हैं.

बड़ी हैसियत है वर्मा घराने की

2020 में रश्मि वर्मा ने अपने ही घराने के रिश्ते में भैंसुर कांग्रेस उम्मीदवार विनय वर्मा (Vinay Verma) को परास्त किया था. इसी तरह 2015 में विनय वर्मा और किसी को नहीं भावज रश्मि वर्मा को ही शिकस्त दे विधायक निर्वाचित हुए थे. नरकटियागंज पहले शिकारपुर विधानसभा क्षेत्र था. नये परिसीमन में नरकटियागंज विधानसभा क्षेत्र हो गया. वर्मा घराने (Verma Gharana) की हैसियत को इससे आसानी से आंका जा सकता है कि 2010 से 2020 तक नरकटियागंज विधानसभा क्षेत्र में तीन चुनाव और एक उपचुनाव यानी चार चुनाव हुए. तीन में वर्मा घराने से जुड़े उम्मीदवार की जीत हुई. चौथे में भी मुख्य मुकाबले में वही रहे. चुनावों में उम्मीदवारी की दावेदारी भी अधिक इसी घराने के लोगों की होती है.

वहां भी हैं कई दावेदार

भाजपा विधायक रश्मि वर्मा की 2025 के चुनाव में सिकुड़ी संभावना को देख वर्मा घराने के भी कई दावेदार जुगत भिड़ा रहे हैं. पूर्व विधायक दिलीप वर्मा (Dilip Verma) अपने पुत्र समृद्ध वर्मा (Samridh Verma) के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं, तो रश्मि वर्मा की जेठानी शीला वर्मा (Sheela Verma) भी संभावना टटोल रही हैं. वह दिलीप वर्मा के चचेरे भाई मधुप कुमार वर्मा (Madhup Kumar Verma) की पत्नी हैं. भाजपा में बड़ी दावेदारी टीपी वर्मा कालेज , नरकटियागंज (TP Verma College, Narkatiaganj) के पूर्व प्राचार्य डा. विनोद वर्मा (Dr. Vinod Verma) की है. वर्मा घराने के ही वारिस डा. विनोद वर्मा जयप्रकाश आंदोलन (Jaiprakash Movement) से जुड़े रहे हैं. उनके करीब के लोगों के मुताबिक समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रियता, स्वच्छ छवि और अच्छी खासी जनप्रियता भाजपा में उनकी दावेदारी का मुख्य आधार है.

विकल्प निर्दलीय का तो है ही

एक चर्चा यह भी है कि खुद की बात नहीं बनने पर रश्मि वर्मा अपने पुत्र अंशुमन वर्मा (Anshuman Verma) के लिए जोर लगा सकती हैं. वैसे, खुद के जनाधार पर आधारित निर्दलीय का विकल्प तो उनके पास है ही. भाजपा द्वारा 2015 में दरकिनार कर दिये जाने पर वह निर्दलीय मैदान में उतर गयी थीं. खुद नहीं जीतीं तो भाजपा उम्मीदवार को भी नहीं जीतने दीं.

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