देवघर : भू-माफिया मिटा रहे धर्मशालाओं का वजूद

विजय कुमार राय
29 अप्रैल 2025
Deoghar : देवघर में 1870 में कच्छी धर्मशाला (Kutchi Dharamshala) का निर्माण हुआ था. जानकारों के मुताबिक कास्टर टाउन मुहल्ले में रेड रोज स्कूल (Red Rose School) के बगल में स्थित इस धर्मशाला की स्थिति भी अन्य पुरानी धर्मशालाओं की तरह दयनीय बनी हुई है. ढेर सारे गरीब परिवारों ने उसमें अपना आशियाना बना रखा है. इस वजह से धर्मशाला के रूप में उसका उपयोग नहीं के बराबर हो रहा है. भू-माफिया (Land Mafia) की नजर उस पर भी है. लेकिन, जमीन के स्वामित्व से जुड़े कुछ ऐसे पेंच हैं जो उसकी मंशा को फलीभूत नहीं होने दे रहे हैं. इसके ठीक उलट गोयनका धर्मशाला (Goenka Dharamshala) पर भू-माफिया के सिंडिकेट ने तिकड़मी चालों से कब्जा जमाना शुरू कर दिया है. कुछ ही वर्षों में इसका वजूद मिट जाये तो वह चकित करने वाली कोई बात नहीं होगी.
टकटकी लगा रखे हैं माफिया
विलासी टाउन मुहल्ले के पंडा टोला में वैद्यनाथ टाकिज के बगल में स्थित कैकेई महासेठ धर्मशाला (Kaikeyi Mahaseth Dharamshala) का भविष्य भी बहुत कुछ इसी से मिलता-जुलता दिख रहा है. उस पर भी भू-माफिया टकटकी लगाये हुए है. कागजी तिकड़म सफल हुआ तो वह काबिज हो जा सकता है. 1880 के आसपास शिवगंगा (Sivaganga) के सामने पूरब में बने भट्टर धर्मशाला (Bhattar Dharamshala) की स्थिति अन्य धर्मशालाओं की तुलना में कुछ ठीक है. बताया जाता है कि इसका निर्माण कोलकाता (Kolkata) निवासी किसी मारवाड़ी ने कराया था. रखरखाव ढंग से हो तो उससे तीर्थयात्रियों को ज्यादा लाभ मिल सकता है. इन धर्मशालाओं के अलावा गजाधर धर्मशाला, नया धर्मशाला, श्रीशंकर धर्मशाला, केसरवानी आश्रम धर्मशाला, रजोली संगत धर्मशाला आदि भी हैं जो अस्तित्व रक्षा के लिए जूझ रहे हैं.

नया धर्मशाला पर खड़ा हो गया बाजार
सरदार पंडा पथ स्थित नया धर्मशाला को भू-माफिया लगभग निगल चुका है. उसके नब्बे प्रतिशत हिस्से को जमींदोज कर वहां मार्केट काम्प्लेक्स खड़ा कर दिया गया है. आश्चर्य की बात यह कि झारखंड (Jharkhand) राज्य हिन्दू धार्मिक न्यास पर्षद इसे अब भी अस्तित्व में मान रहा है. इस तीर्थ नगरी में विगत 50 वर्षों के दौरान मारवाड़ी कांवर संघ (Marwari Kanwar Sangh) के सौजन्य से एक धर्मशाला अस्तित्व में आयी. 1980 में बाबा मंदिर (Baba Mandir) से लगभग ढाई सौ मीटर दूर 25 कट्ट्ठा वाले भूखंड पर धर्मशाला की नींव मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के स्वर्गीय गंगा वख्स चोखानी ने 1978 में डाली थी. दो साल के अंदर ही यह बनकर तैयार हो गयी थी.
दस्तावेजी तिकड़म
स्वर्गीय गंगा बख्श चोखानी मारवाड़ी कांवर संघ के संयोजक थे. धर्मशाला की देखरेख के लिए एक ट्रस्ट बना हुआ है. मदनलाल चोखानी इसके मुख्य ट्रस्टी हैं. मुम्बई (Mumbai) में रहते हैं. 1982 से धर्मशाला के प्रबंधक का दायित्व घनश्याम मिश्र संभाल रहे हैं. दस्तावेजी तिकड़मबाजी से भू-माफिया तो धर्मशालाओं का वजूद मिटा ही रहे हैं, सरकार के स्तर पर भी ऐसा हो रहा है. कहा जाता है कि कास्टर टाउन के सुभाष चौक पर जिस भूखंड पर विशालकाय होटल पर्यटन विहार खड़ा है उस पर पहले धर्मशाला थी. उसे तोड़कर ही होटल बनाया गया है.
दुधवा धर्मशाला का है यह हाल
इसी तरह जिस भूखंड पर पर्यटन विभाग का नटराज विहार नामक होटल है वहां भी धर्मशाला होने की बात कही जाती है. बैद्यनाथधाम (Baidyanathdham) रेलवे स्टेशन के समीप स्थित सरकार संरक्षित दुधवा धर्मशाला (Dudhwa Dharamshala) को कथित रूप से अवैध ढंग से खरीद कर वहां दस मंजिला होटल का निर्माण करा दिया गया है. यह धर्मशाला शहर के बीचोबीच स्थित है. स्टेशन पर देर रात उतरने वाले यात्रियों के लिए यह काफी उपयुक्त थी. इसी तरह बाबा बैद्यनाथ मंदिर से सटे पाठक धर्मशाला (Pathak Dharamshala) को तोड़कर मल्टी काम्पलेक्स बिल्डिंग का निर्माण कराया गया है.
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