पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय : रसूखदार प्रभारी प्राचार्य भी आ गये ‘शुद्धिकरण ’ की चपेट में…

विष्णुकांत मिश्र
11 जून 2025
Patna : महाविद्यालयों (colleges) में प्राचार्य (Principal) पद के असमय रिक्त होने पर तात्कालिक व्यवस्था के तहत संबद्ध महाविद्यालय के वरीयता क्रम में शीर्षस्थ प्राध्यापक (Professor) को प्रभारी प्राचार्य का दायित्व सौपने की नियम आधारित परिपाटी रही है. संभव है इसके कुछ अपवाद हों, पर प्रारंभिक काल से ऐसा ही होता आ रहा है. वजह जो रही हो, इधर के वर्षों में यह परिपाटी लगभग ध्वस्त हो गयी. वरीयता को नजरंदाज कर तमाम विश्वविद्यालयों (universities) में प्रभारी प्राचार्य के तौर पर मनमानी नियुक्ति की जाने लगी. कहते हैं कि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय (Patliputra University) में ऐसा कुछ अधिक हुआ. नियमों की ही नहीं, कुलाधिपति (chancellor) की हिदायत की भी अवहेलना कर दूसरे-दूसरे महाविद्यालयों से कनीय को लाकर वरीय प्राध्यापकों के माथे पर बैठा दिया गया.
रक्षा हुई स्वाभिमान की
हैरान करने वाली बात यह कि कुछेक को दो – दो महाविद्यालयों का प्रभार दे दिया गया. कुलाधिपति कार्यालय ने सख्ती बरती तब इधर आठ महाविद्यालयों के वरीय प्राध्यापकों को न्याय मिला, स्वाभिमान की रक्षा हुई. ऐसे चार और महाविद्यालयों में ‘शुद्धिकरण’ होना है. कुलाधिपति कार्यालय की सख्ती से प्रभावित ‘अवैध’ प्रभारी प्राचार्यों में पूर्व विधायक डा. उषा विद्यार्थी (Dr. Usha Vidyarthi) और प्रो. सीता सिन्हा (Pro. Sita Sinha) भी शामिल हैं. डा. उषा विद्यार्थी महिला महाविद्यालय, खगौल (Women’s College, Khagaul) में प्राचार्य का पद संभाल रही थीं तो प्रो. सीता सिन्हा मालती धारी महाविद्यालय, नौबतपुर (Malti Dhari College, Naubatpur) में.
स्वाभाविक था बिफर उठना
विवशता जो रही हो, प्रो. सीता सिन्हा ने विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्णय को शिरोधार्य कर लिया. नवनियुक्त प्रभारी प्राचार्य प्रो. हेमन्त कुमार झा (Prof. Hemant Kumar Jha) को बड़ी सहजता से प्रभार सौंप दिया. पर, डा. उषा विद्यार्थी पूरी तरह बिफर गयीं. महिला महाविद्यालय में पुरुष प्राचार्य की पदस्थापना को नियम विरुद्ध बता नये प्रभारी प्राचार्य प्रो. उदय राज उदय (Prof. Uday Raj Uday) को प्रभार साैंपने से साफ मना कर दिया. डा. उषा विद्यार्थी का बिफर उठना स्वाभाविक था. वर्षों से वह प्रभारी प्राचार्य के पद पर जमी थीं. सरकार अपनी, उससे ऊपर भी अपना. सब कुछ अनुकूल. तब भी बिजलियां गिर गयीं!
अपमानजनक रुखसती
प्राचार्य पद से ऐसी ‘अपमानजनक रुखसती’ की उन्होंने कल्पना नहीं की होगी. प्रो. सीता सिन्हा और कुछ दिनों पूर्व रामकृष्ण द्वारिका कालेज, पटना (Ramkrishna Dwarika College, Patna) के प्रभारी प्राचार्य के पद से मुक्त कर दिये गये डा. जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता (Dr. Jagannath Prasad Gupta) की भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति रही. प्रो. सीता सिन्हा कुशवाहा बिरादरी से हैं, डा. उषा विद्यार्थी भूमिहार और डा. जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता वैश्य समाज से हैं. सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) और विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) के उपमुख्यमंत्री एवं डा. दिलीप जायसवाल (Dr. Dilip Jaiswal) के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहते पद नहीं बच पाने का भी मलाल उन्हें होता होगा.

पदमुक्त कर दिया गया
पूर्व विधायक प्रो. सीता सिन्हा और डा. उषा विद्यार्थी को भाजपा संगठन में शायद कोई पद नहीं मिला हुआ है. रामकृष्ण द्वारिका कालेज के प्रभारी प्राचार्य रहे डा. जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता बिहार प्रदेश भाजपा के वाणिज्य प्रकोष्ठ के संयोजक हैं. सबसे पहले गाज उन्हीं पर गिरी. वरीय-कनीय के मुद्दे को लेकर नहीं. 15 मई 2025 को वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में उन्हें पदमुक्त कर दिया गया. वैसे, वरीय- कनीय के मुद्दे से वह भी जुड़े हुए हैं. जानकारों के मुताबिक उन्हें भी प्रभारी प्राचार्य का पद वरीयता का उल्लंघन कर दिया गया था.
तब जांच समिति का गठन हुआ
डा. जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता के मामले का दिलचस्प पहलू यह भी है कि उनके खिलाफ कार्रवाई हो, इसके लिए जदयू (JDU) के प्रवक्ता विधान पार्षद नीरज कुमार (Neeraj Kumar) भी मुखर थे. कहते हैं कि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के सिंडिकेट (syndicate) की बैठक में उन्होंने बड़े आक्रामक अंदाज में वित्तीय अनियमितता के मुद्दे को उठाया था. तभी जांच समिति कि गठन हुआ था. इसी बीच कुलसचिव (registrar) डा. नागेंद्र कुमार झा (Dr. Nagendra Kumar Jha) ने जांच पूरी होने तक लिए उन्हें पदमुक्त कर महाविद्यालय के ही प्राध्यापक प्रो. शेखर कुमार जायसवाल (Prof. Shekhar Kumar Jaiswal) को नया प्रभारी प्राचार्य नियुक्त कर दिया.
और भी हैं कई गंभीर आरोप
डा. जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता के खिलाफ और भी कई तरह के गंभीर आरोप हैं. प्रो. सीता सिन्हा जब रामकृष्ण द्वारिका कालेज की प्रभारी प्राचार्य थीं तब उन्होंने भी कुछ आरोप मढ़े थे. उस समय डा. जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता बर्सर (Bursar) का पद संभाल रहे थे. बहरहाल, प्रभारी प्राचार्य के पद से मुक्त किये जाने पर मीडिया में उनका बयान आया कि यह किसी भी रूप में सही नही है.
#tapmanlive