पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय : एक झटके में जमीन पर आ गये ‘अवैध’ प्रभारी प्राचार्य

विष्णुकांत मिश्र
06 जून 2025
Patna : आखिरकार स्वाभिमान रक्षा अभियान में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय (Patliputra University) के वरीयतम प्राध्यापकों को सुकून भरी सफलता मिल गयी. विश्वविद्यालय प्रशासन ने बुधवार को नियम विरुद्ध नियुक्त अवैध प्रभारी प्राचार्य (Principal-In-Charge) के रूप में वरीयतम प्राध्यापकों के सिर पर बैठा दिये गये कनीय प्राध्यापकों को एक झटके में जमीन पर ला दिया. आगे क्या होगा, यह अभी नहीं कहा जा सकता, फिलहाल वरीयता को दरकिनार करने की गलती को सुधार आठ महाविद्यालयों में वरीयतम प्राध्यापकों को प्रभारी प्राचार्य के रूप में पदस्थापित कर उच्च शिक्षा परिसरों को प्रशासनिक अराजकता से उबार लिया गया.
धो लिया कलंक विश्वविद्यालय ने
हालांकि, राज्यपाल-सह-कुलाधिपति (Governor-Cum-Chancellor) के तत्संबंधी आदेश के अनुपालन में विश्वविद्यालय को ढाई माह का लम्बा वक्त लग गया. यह वक्त कुलाधिपति (Chancellor) के आदेश की अवहेलना के आरोप का आधार बन गया. पर, देर से ही सही, दुरुस्त निर्णय कर उसने अवैध प्रभारी प्राचार्य से संबंधित समस्त कलंक धो लिया. उस दिन जिन आठ महाविद्यालयों में प्रभारी प्राचार्यों की पदस्थापना हुई उनमें पटना का अनुग्रह नारायण महाविद्यालय (Anugrah Narayan College) भी है, जो डा. प्रवीण कुमार (Dr. Praveen Kumar) के अवकाश ग्रहण के बाद से ‘प्राचार्य विहीन’ था.
निर्णय खुद का था, विश्वविद्यालय का नहीं
हालांकि, वहां की इस ‘प्राचार्य विहीनता’ का कुछ अलग किस्सा है. महाविद्यालय के प्राचार्य डा. प्रवीण कुमार का सेवाकाल 31 मार्च 2025 को पूरा हो गया. विश्वविद्यालय प्रशासन ने विकल्प तय नहीं किया तब वह प्राचार्य पद की जिम्मेदारी एमबीए विभाग (MBA Department) की अध्यक्ष डा. रत्ना अमृत (Dr. Ratna Amrit) को सौंप महाविद्यालय से प्रस्थान कर गये. कहते हैं कि डा. रत्ना अमृत को प्रभार सौंपने का निर्णय डा. प्रवीण कुमार का खुद का था, विश्वविद्यालय का नहीं.

संभाल लिया पद प्रभारी प्राचार्य ने
निर्णय जिस किसी का भी रहा हो, जानकारों के मुताबिक था नियम विरुद्ध. सामाजिक विज्ञान (Social Science) के संकायाध्यक्ष प्रो. अरुण कुमार सिंह (Prof. Arun Kumar Singh) अनुग्रह नारायण महाविद्यालय में वरीयतम प्राध्यापक हैं. विश्वविद्यालय का निर्णय नहीं हुआ था तब भी डा. प्रवीण कुमार को वरीयता के आधार पर प्रभार प्रो. अरुण कुमार सिंह को सौंप कर जाना चाहिये था. खैर, विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रो. अरुण कुमार सिंह की पद स्थापना प्रभारी प्राचार्य के रूप में कर दी और उन्होंने पद भी संभाल लिया.
आठ कालेजों में प्रभारी प्राचार्य
अन्य सात महाविद्यालयों में मालतीधारी महाविद्यालय, नौबतपुर (Maltidhari College, Naubatpur) में प्रो. हेमन्त कुमार झा (Prof. Hemant Kumar Jha), बी. एस. कालेज, दानापुर (B.S College, Danapur) में प्रो. ललन कुमार (Prof. Lalan Kumar), महिला महाविद्यालय, खगौल (Women’s College, Khagaul) में प्रो. उदय राज उदय (Prof. Uday Raj Uday), एसएमडी कालेज, पुनपुन (SMD College, Punpun) में प्रो. मधुरेन्द्र (Pro. Madhurendra), श्रीगुरु गोविन्द सिंह कालेज, पटना साहिब (Sri Guru Govind Singh College, Patna Sahib) में प्रो. कनक भूषण मिश्र (Prof. Kanak Bhushan Mishra), रामलखन सिंह यादव महाविद्यालय , बख्तियारपुर (Ramlakhan Singh Yadav College, Bakhtiyarpur) में प्रो. अवधेश कुमार यादव (Prof. Awadhesh Kumar Yadav) और नालंदा कालेज, बिहारशरीफ (Nalanda College, Biharsharif) में प्रो. आरपी कच्छवय (Prof. RP Kachchhaya) को विधिवत प्राचार्य का प्रभार दिया गया है.
ये भी हुईं निर्णय से प्रभावित
पदमुक्ति बी. डी. कालेज, पटना (B. D.College, Patna) के अवैध प्रभारी प्राचार्य प्रो. विवेकानंद सिंह (Principal Prof. Vivekanand Singh) की भी हो जाती. चूंकि चयन उनका स्थायी प्राचार्य के रूप में हो गया है इसलिए नयी पद स्थापना तक के लिए बने रहने दिया गया है. और की बात छोड़ दें, इस निर्णय से पूर्व विधायक डा. उषा विद्यार्थी (Dr. Usha Vidyarthi) और प्रो. सीता सिन्हा (Pro. Sita Sinha) भी प्रभावित हुई हैं. डा. उषा विद्यार्थी महिला महाविद्यालय, खगौल (Women’s College, Khagaul) में प्राचार्य का पद संभाल रही थीं तो प्रो. सीता सिन्हा (Prof. Sita Sinha) मालतीधारी महाविद्यालय, नौबतपुर (Maltidhari College, Naubatpur) में.
खड़ा हो गया विवाद
विवशता जो रही हो, प्रो. सीता सिन्हा ने विश्वविद्यालय के निर्णय को शिरोधार्य कर लिया. नवनियुक्त प्रभारी प्राचार्य प्रो. हेमन्त कुमार झा को बड़ी सहजता से प्रभार सौंप दिया. पर, डा. उषा विद्यार्थी पूरी तरह बिफर गयीं. महिला महाविद्यालय में पुरुष प्राचार्य की पद स्थापना को नियम विरुद्ध बता नये प्रभारी प्राचार्य प्रो. उदय राज उदय (Prof. Uday Raj Uday) को प्रभार सौंपने से साफ मना कर दिया. प्रशासनिक भवन में ताला भी लगा दिया. मामला विश्वविद्यालय प्रशासन के संज्ञान में है.
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