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बिहार चुनाव : भाजपा तय करेगी जदयू के उम्मीदवार!

तापमान लाइव ब्यूरो
16 जून 2025

Patna : जदयू के रणनीतिकारों और सिपहसालारों के तर्क जो हो, नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की मानसिक और शारीरिक स्थिति सामान्य नहीं है. सुधार की कोई उम्मीद भी नहीं दिख रही है. बल्कि स्थिति दिन प्रतिदिन चिंता बढ़ाने वाली ही बनती जा रही है. जनसुराज पार्टी (Jansuraj Party) के संस्थापक प्रशांत किशोर, राजद (RJD) के अघोषित सुप्रीमो तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav) और कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) उन्हें बीमार, लाचार और कठपुतली साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. राजनीतिक हलकों की चर्चाओं पर विश्वास करें, तो नीतीश कुमार की इस ‘बेचारगी’ का भरपूर लाभ भाजपा (BJP) उठा रही है. सत्ता शीर्ष पर भले नीतीश कुमार जमे हुए हैं, शासन-प्रशासन में सिक्का अघोषित तौर पर भाजपा का ही चल रहा है.

तब परिदृश्य बदल जायेगा

2025 के चुनाव बाद इसी स्वरूप में एनडीए (NDA) की सत्ता में वापसी हुई और मुख्यमंत्री के पद पर नीतीश कुमार ही जमे रहे तब भी भाजपा का ही सिक्का चलेगा. सत्ता में वापसी नहीं हुई या नीतीश कुमार ने कोई अप्रत्याशित राजनीतिक खेल कर दिया तब परिदृश्य कुछ दूसरा बन जा सकता है. बहरहाल, राजनीति यह देख हैरान है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार केन्द्र में जदयू के समर्थन पर टिकी है और बिहार (Bihar) में जदयू (JDU) के अध्यक्ष नीतीश कुमार भाजपा के रहमोकरम पर आश्रित हो गये हैं.

तैयार कर रही है रणनीति

सूत्रों के मुताबिक भाजपा बिहार के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों के लिए क्षेत्रीय सामाजिक समीकरण, चुनावी गणित, मतदाताओं के रुझान और दावेदारों के दम को ध्यान में रख अपनी चुनावी रणनीति तैयार कर रही है. ऐसा माना जा रहा है कि जदयू चाहे जितनी भी सीटों पर चुनाव लड़े, उम्मीदवार भाजपा की पसंद और भरोसे के होंगे. भाजपा चुनाव जीतने की कूबत रखने वाले प्रत्याशियों को चिन्हित कर रही है. वर्तमान में जदयू के 45 विधायक हैं. सीटिंग विधायकों और अन्य कुछ चर्चित नेताओं की सीटों को छोड़, जदयू के हिस्से की शेष सीटों पर भाजपा के भरोसेमंद व जीताऊ चेहरों को उम्मीदवारी दिलाने की तैयारी है.

जीत-हार का दारोमदार मोदी पर

नीतीश कुमार खुद प्रत्याशियों को परखने व समझने की स्थिति में नहीं हैं. इसके मद्देनजर आशंका जतायी जा रही है कि केन्द्रीय मंत्री ललन सिंह (Lalan Singh), जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा (Sanjay Jha), संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी (Vijay Kumar Chaudhary) और ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी (Ashok Chaudhary) के माध्यम से भाजपा अपने मजबूत प्रत्याशियों को जदयू का चुनाव चिह्न दिलाने की कोशिश कर सकती है. स्वास्थ्य संबंधी कारणों से नीतीश कुमार सघन प्रचार अभियान चलाने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में जदयू प्रत्याशियों की जीत-हार का दारोमदार भाजपा के प्रचार अभियान व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि पर ही निर्भर करेगा.

अब छिपा नहीं रह गया

वैसे, नीतीश कुमार के अंतिम चुनाव के नाम पर पिछड़ी व अतिपिछड़ी जातियों को भावनात्मक घुट्टी पिलायी जा सकती है. यह सब तो है, लेकिन खतरा यहां यह भी बड़ा आकार लिये हुए है कि भाजपा फिर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनाव मैदान में उतरती है तो बैक फायर हो जा सकता है. एनडीए लाख पर्दा डाले, अब छिपा नहीं रह गया है कि नीतीश कुमार राजनीति में किसी काम के नहीं रह गये हैं. ऐसे में जनता ने उन्हें नकार दिया तो फिर भाजपा का क्या होगा? राजनीति के लिए यह बड़ा सवाल बना हुआ है.