बात बिहार की : भूमिहार… कांग्रेस में दरकिनार !

महेश कुमार सिन्हा
01 मई 2025
Patna : यह खुला सच है कि कांग्रेस (Congress) की बिहार (Bihar) की राजनीति (Politics) में कभी भूमिहार समाज के नेताओं का प्रभुत्व रहा करता था. पार्टी के हर निर्णय और अभियान में उनकी अहम भूमिका होती थी. लेकिन, सामान्य समझ में अब वैसी बात नहीं रही. कांग्रेस नेतृत्व की नयी सोच में राजनीतिक दृष्टिकोण से भूमिहार समाज (Bhumihar society) उसके लिए अप्रासंगिक हो गया है. इसी कारण इसके नेताओं को महत्वहीन बना दिया गया है. इन दिनों कांग्रेस में जो कुछ हो रहा है उससे ऐसी ही अनुभूति हो रही है. राजनीति डा. अखिलेश प्रसाद सिंह (Dr. Akhilesh Prasad Singh) और कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) को लेकर हो रही है.
चल रहा है यह दांव-पेंच
सीधे तौर पर कहें, तो कांग्रेस नेतृत्व बिहार में कन्हैया कुमार को स्थापित करना चाहता है. पर, डा. अखिलेश प्रसाद सिंह को मोर्चा पर रख राजद उसकी मंशा फलीभूत नहीं होने दे रहा है. इस दांव-पेंच का दुष्परिणाम इन्हीं दोनों को नहीं, भूमिहार समाज के अन्य दूसरे नेताओं को भी भुगतना पड़ रहा है. कैसे और किस रूप में, इस प्रकरण से आसानी से समझा जा सकता है.
हैं अनेक प्रभावशाली नेता
कांग्रेस में डा. अखिलेश प्रसाद सिंह और कन्हैया कुमार के अलावा भी भूमिहार समाज के अनेक प्रभावशाली नेता हैं. प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रो.रामजतन सिन्हा (Prof. Ramjatan Sinha) , कांग्रेस विधायक दल के पूर्व नेता अजीत शर्मा (Ajit Sharma) , प्रदेश महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष अमिता भूषण (Amita Bhushan) , पूर्व मंत्री वीणा शाही (Veena Shahi) , विधायक नीतू कुमारी (Neetu Kumari) आदि ऐसे नेता हैं जिनकी क्षेत्र विशेष में ही सही, स्वजातियों पर अच्छी पकड़ है. पर, चुनाव से संबंधित महागठबंधन (Grand Alliance) की किसी भी समिति में उन्हें जगह नहीं दी गयी है. युवा और नये चेहरों को तरजीह देने के नाम पर सबकी उपेक्षा कर दी गयी है.
समर्थन की जरूरत नहीं
राजनीतिक हलकों में इसका मतलब यह निकाला जा रहा है कि कांग्रेस को अब इस समाज के समर्थन की जरुरत नहीं है. महागठबंधन में समन्वय समिति समेत पांच समितियां गठित होनी है. अन्य समितियों के सदस्यों के नाम अभी विधिवत घोषित नहीं हुए हैं. समन्वय समिति में प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू (Krishna Allavaru) , प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम (Rajesh Ram), कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान (Shakeel Ahmed Khan) और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डा.मदनमोहन झा (Dr. Madan Mohan Jha) को रखा गया है. डा. मदनमोहन झा को महत्व संभवतः इस वजह से मिला है कि वह विधान परिषद में कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं.

जले पर छिड़क दिया नमक
कन्हैया कुमार बिहार कांग्रेस से सीधे तौर पर जुड़े नहीं हैं. इस दृष्टि से उनकी अनदेखी को सवालों से परे रखा जा सकता है. वैसे भी कन्हैया कुमार की पहचान भूमिहार समाज के नेता की नहीं रही है. स्वजातीय समाज में उस रूप में उनकी स्वीकार्यता भी नहीं है. कांग्रेस नेतृत्व द्वारा डा. अखिलेश प्रसाद सिंह को महत्वहीन बना दिया जाना भूमिहार समाज को खल रहा है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने यह कह जले पर नमक छिड़क दिया है कि डा. अखिलेश प्रसाद सिंह अब राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका निभायेंगे. कहने का तात्पर्य यह कि बिहार की राजनीति में उनकी कोई प्रासंगिकता नहीं रह गयी है.
अधिकतर नये चेहरे
बहरहाल, समन्वय समिति के अलावा घोषणा पत्र समिति, अभियान समिति, मीडिया कमेटी और सोशल मीडिया कमेटी के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने अलग- अलग 17 नाम अनुशंसित किये हैं. उनमें भूमिहार समाज के कितने हैं, यह कहना कठिन है. इसलिए कि अधिकतर नये चेहरे हैं. घोषणा पत्र समिति के लिए अनुशंसित सात नामों में एक तमिलनाडु (Tamil Nadu) के पूर्व पुलिस महानिदेशक करुणा सागर (Karuna Sagar) का भी है. भूमिहार समाज से आने वाले करुणा सागर बिहार के जहानाबाद (Jehanabad) जिले के रहने वाले हैं. राजनीति में उनकी सक्रियता राजद के प्रवक्ता के तौर पर हुई थी.
तकलीफ इस वजह से…
2024 के संसदीय चुनाव में जहानाबाद से उम्मीदवारी की आस लिये करुणा सागर राजद से जुड़े थे. उम्मीदवारी सुरेन्द्र प्रसाद यादव (Surendra Prasad Yadav) को मिल गयी. राजद से अलग हो वह कांग्रेस में शामिल हो गये. महागठबंधन की समितियों में भूमिहार समाज का प्रतिनिधित्व इसी रूप में होगा. बहरहाल, भूमिहार समाज के लोगों को तकलीफ करुणा सागर को तवज्जो मिलने से नहीं, दिग्गज नेताओं को दरकिनार कर दिये जाने से है.
#tapmanlive