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बात चुनाव की : सिकटा का संकट …जदयू में हैं कई दावेदार, तब भी अच्छे नहीं आसार

सुनील गुप्ता
31 मई 2025
Bettiah : पश्चिम चम्पारण (West Champaran) जिले के सिकटा (Sikta) विधानसभा क्षेत्र की तस्वीर इस रूप में बिल्कुल साफ है कि इस सीट को लेकर महागठबंधन (Grand Alliance) में कोई खिचखिच नहीं है. वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता (Virendra Prasad Gupta) भाकपा-माले (CPI-ML) के विधायक हैं. इस बार भी महागठबंधन में यह सीट भाकपा-माले के हिस्से में रहेगी. दूसरी तरफ एनडीए (NDA) में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है. सीट जदयू (JDU) के हिस्से में ही रहेगी या भाजपा (BJP) के हिस्से में चली जायेगी, इस पर निर्णय होना बाकी है. वैसे, 2020 के चुनाव तक यह जदयू के हिस्से में थी. उम्मीदवारी पूर्व मंत्री फिरोज आलम उर्फ खुर्शीद अहमद (Firoz Alam alias Khurshid Ahmed) को मिलती थी. बदले हालात में फिरोज आलम उर्फ खुर्शीद अहमद के सिकटा से जदयू उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने से तौबा कर लेने के बाद एनडीए में इस सीट के भाजपा के हिस्से में जाने की संभावना जग गयी है.

चुनाव लड़ेंगे ही समृद्ध वर्मा

इसमें सच्चाई कितनी है यह कहना कठिन, चर्चा है कि सिकटा के बदले जदयू को नौतन (Nautan) की सीट मिल सकती है. नौतन से अभी भाजपा के नारायण साह (Narayan Sah) विधायक हैं. राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि सिकटा की सीट भाजपा के हिस्से में गयी, तो पूर्व विधायक दिलीप वर्मा (Dilip Verma) के पुत्र समृद्ध वर्मा (Samridh Verma) को उम्मीदवारी मिल सकती है. समृद्ध वर्मा भाजयुमो के प्रदेश प्रवक्ता हैं. पिता दिलीप वर्मा का प्रभाव तो अपनी जगह है ही, भाजपा में उनकी खुद की भी अच्छी पकड़ है. इस कारण उम्मीदवारी मिलने में ज्यादा परेशानी नहीं हो सकती है. वैसे, बताया जा रहा है कि गठबंधन की विवशता के तहत भाजपा की उम्मीदवारी नहीं भी मिली तब भी समृद्ध वर्मा चुनाव लड़ेंगे ही.

तब किसे मिलेगी उम्मीदवारी?

दिलीप वर्मा भी ऐसा करते रहे हैं. भाजपा की उम्मीदवारी नहीं मिलने पर निर्दलीय या दूसरे किसी दल से चुनाव लड़ते रहे हैं. कभी जीतते तो कभी हारते रहे हैं. विश्लेषकों की समझ में समृद्ध वर्मा उनका अनुसरण करते हैं तो जीत की संभावना नहीं के बराबर रहेगी. कारण कि क्षेत्र में पिता जैसा प्रभुत्व उनका अभी नहीं बन पाया है. दिलीप वर्मा का जनाधार भी सिमट- सिकुड़ रहा है. विरासत पुत्र को सौंपने के पीछे यह भी एक कारण माना जा रहा है. सवाल यह भी उठ रहा है कि सीटों की अदला – बदली नहीं हुई और सिकटा की सीट जदयू के ही हिस्से में रह गयी तब उम्मीदवारी किसे मिलेगी? मुस्लिम समुदाय से ही उम्मीदवार उतारा जायेगा या दूसरे को अवसर मिलेगा?

मूल समस्या यह थी

मुस्लिम समुदाय से उम्मीदवार उतारा गया तो क्या उसके समक्ष वह समस्या नहीं रहेगी जिससे त्रस्त होकर फिरोज आलम उर्फ खुर्शीद अहमद ने जदयू से पल्ला झाड़ लिया है? फिरोज आलम उर्फ खुर्शीद अहमद के कथनानुसार मूल समस्या यह थी कि एनडीए का उम्मीदवार रहने के कारण मुसलमानों का मुकम्मल समर्थन नहीं मिल पाता था. मुस्लिम के नाम पर हिन्दुओं का ध्रुवीकरण हो जाता था. परिणामस्वरूप मुंह की खानी पड़ जाती थी. उम्मीदवार चयन में इस मसले को जदयू नेतृत्व किस नजरिये से देखता है, यह वक्त बतायेगा. बहरहाल, इससे बेखबर नेहा नेसार सैफी (Neha Nisar Saifi) जदयू में अपनी संभावना संवार रही हैं. नेहा नेसार सैफी पश्चिम चम्पारण जिला महिला जदयू की अध्यक्ष रही हैं. क्षेत्र में चुनाव अभियान चला भी रही हैं.

इनका भी रहा बड़ा योगदान

दूसरी ओर ईं. रमेश प्रसाद (Ramesh Prasad) भी जदयू में संभावना टटोल रहे हैं. मैनाटांड़ (manatand) प्रखंड के रमपुरवा गांव निवासी ईं. रमेश प्रसाद सरकारी नौकरी में थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कार्यशैली एवं नीतियों से इतने प्रभावित हुए कि अवकाश ग्रहण करने के कुछ ही समय बाद जदयू में शामिल हो उसकी राजनीति करने लग गये. पार्टी के लोग बताते हैं कि सिकटा विधानसभा क्षेत्र में जदयू को मजबूत बनाने में इनका भी बड़ा योगदान रहा है. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार (Shravan Kumar) का रमपुरवा गांव में कार्यक्रम आयोजित करा दो सौ से अधिक महिलाओं को जदयू की सदस्यता दिलवायी है. संगठन को इससे भी मजबूती मिली है.

भारी जीत का दावा

सबसे बड़ी बात यह कि सरकारी सेवा में रहने के दरमियान भी ईं. रमेश प्रसाद जनसरोकार से जुड़े रहे हैं. सिकटा एवं मैनाटाड़ प्रखंडों के लोगों की समस्याओं का त्वरित समाधान कराते रहे हैं. वह सिलसिला अब भी बना हुआ है. इतना ही नहीं, बैरिया (Baria) प्रखंड में पदस्थापित रहने के दौरान तत्कालीन विधायक बैद्यनाथ प्रसाद महतो (Baidyanath Prasad Mahato) द्वारा खेती और बेटी के रक्षार्थ दस्युओं के खिलाफ चलाये गये अभियान में भी इंजीनियर रमेश प्रसाद ने अहम भूमिका निभायी थी. उनका कहना है कि बैद्यनाथ प्रसाद महतो से प्रेरित होकर ही वह राजनीति में आये हैं. सिकटा से जदयू की उम्मीदवारी मिलने पर भारी जीत का वह दावा करते हैं.

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