बात गहलौर की : भागीरथ मांझी ने कर दी ऐसी मांग…राहुल गांधी हो गये परेशान !

राजेश पाठक
11 जून 2025
Gaya : राहुल गांधी (Rahul Gandhi) जहां कहीं भी जाते हैं वहां कांग्रेस (Congress) और अपने गठबंधन के लिए कुछ बनाते तो नहीं, बिगाड़ जरूर देते हैं.’ बिहार प्रदेश भाजपा (BJP) के अध्यक्ष डा. दिलीप जायसवाल (Dr. Dilip Jaiswal) ऐसा कहते हैं तो उनके बयान को राजनीतिक माना जाता है. राजनीतिक होता भी है. पर, इधर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी गयाजी (Gayaji) आये तो जाने-अनजाने ऐसा कुछ हो गया कि डा. दिलीप जायसवाल के उक्त बयान को मजबूत आधार मिल गया. राहुल गांधी कांग्रेस के अतिपिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ की ओर से 06 जून 2025 को राजगीर (Rajgir) में आयोजित संविधान सुरक्षा सम्मेलन में भाषण करने आये थे. भाषण उन्होंने किया भी.
बहुचर्चित ‘कुटिया’ से भी घूम आये
राजगीर जाने के लिए गयाजी आये थे तो लगे हाथ ‘पर्वत पुरुष’ दशरथ मांझी (Dashrath Manjhi) की गहलौर (Gehlaur) स्थित बहुचर्चित ‘कुटिया’ से भी घूम आये. वहां उनका स्वागत ‘पर्वत पुरुष’ दशरथ मांझी के पुत्र भागीरथ मांझी (Bhagirath Manjhi) और पोती यानी भागीरथ मांझी की पुत्री अंशु कुमारी (Anshu Kumari) ने किया. अंशु कुमारी के साथ उसका पति मिथुन मांझी (Mithun Manjhi) भी था. गहलौर में और सब जो हुआ सो हुआ, राहुल गांधी की इस राजनीतिक यात्रा का गौर करने वाला हिस्सा यह रहा कि स्वागत-सत्कार के बीच भागीरथ मांझी ने राहुल गांधी के समक्ष बोधगया (Bodhgaya) विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की उम्मीदवारी की मांग रख दी.
शायद ही पूरा कर पायेंगे
राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता, इस जुमले को किनारे रख दें, तो भागीरथ मांझी ने जो मांग रखी है, विश्लेषकों के मुताबिक महागठबंधन (Grand Alliance) में रहते राहुल गांधी उसे शायद ही पूरा कर पायेंगे. पूरा नहीं कर पाये तो फिर उनका और कांग्रेस का क्या होगा, बड़ी सहजता से समझा जा सकता है. और कुछ हो या नहीं उनके ‘दलित प्रेम’ का ढकोसलापन तो उजागर हो ही जायेगा. भागीरथ मांझी पहले जदयू (JDU) में थे. कहते हैं कि दलितों के बड़े हिमायती के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए राहुल गांधी ने उन्हें कांग्रेस में शामिल करवाया.

यह है वहां का इतिहास
29 जनवरी 2025 को कांग्रेस मुख्यालय में उनकी मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने वाले भागीरथ मांझी की मांग को राहुल गांधी क्यों नहीं पूरा कर सकते, यह जानने -समझने से पहले थोड़ा इतिहास जान लीजिये. बोधगया विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है. इसकी पहचान किसी खास राजनीतिक दल या नेता के गढ़ की नहीं रही है. इस क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार भी निर्वाचित होते रहे हैं तो जनसंघ और भाजपा के भी. वामपंथी और समाजवादी समझ वाले प्रत्याशी भी बाजी मारते रहे हैं.
नहीं जमा अंगदी पांव
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (jitan Ram Manjhi) , पूर्व सांसद राजेश कुमार (Rajesh Kumar) , पूर्व विधायक बालिक राम (Balik Ram) आदि इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. महत्वपूर्ण बात यह कि किसी विधायक का वहां अंगदी पांव नहीं जम पाया. भाकपा (CPI) के बालिक राम को तीन चुनावों में जीत जरूर मिली, पर लगातार नहीं. एक चुनाव में जीत हुई तो दूसरे में हार का मुंह देखना पड़ गया. दिवंगत पूर्व सांसद राजेश कुमार अलग- अलग दो चुनावों में जीते. बोधगया के वर्तमान विधायक कुमार सर्वजीत (Kumar Sarvjeet) उन्हीं के पुत्र हैं. राजद उम्मीदवार के रूप में लगातार दो चुनावों में विजयश्री हासिल करने का सौभाग्य सिर्फ इन्हें ही प्राप्त हुआ है. एक बार उपचुनाव में भी जीत हुई.
मिश्रित मिज़ाज है मतदाताओं का
जीतनराम मांझी एवं अन्य की जीत एक- एक बार हुई. इससे स्पष्ट है कि बोधगया मिश्रित मिजाज के मतदाताओं वाला विधानसभा क्षेत्र है. इस बार महागठबंधन में सीटों का बंटवारा किस रूप में होगा, यह अभी नहीं कहा जा सकता. बोधगया फिलहाल राजद (RJD) के हिस्से की सीट है. उम्मीदवारी कुमार सर्वजीत को मिलती रही है, जो राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad) और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav) के विश्वस्तों में शुमार हैं. उनकी जीत इस कारण भी आसान हो जाती है कि क्षेत्र में खुद का पुश्तैनी जनाधार है. दूसरे किसी के साथ शायद ऐसा नहीं है.
अटक जायेगा तब ‘दलित प्रेम’
ऐसे में राजद बोधगया की सीट आसानी से कांग्रेस के लिए छोड़ देगा, ऐसा नहीं दिखता. भागीरथ मांझी के लिए राहुल गांधी दबाव बनायेंगे तो उससे महागठबंधन का अस्तित्व प्रभावित हो जा सकता है. विश्लेषकों का मानना है कि इतना बड़ा जोखिम वह शायद ही उठाना चाहेंगे. नहीं उठायेंगे तो इसी में उनका सारा ‘दलित प्रेम’ अटक कर रह जायेगा.
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