जमालपुर : पति गये जेल, बिगड़ न जाये राजनीति का खेल!
विष्णुकांत मिश्र
4 अक्तूबर, 2021
PATNA. मुंगेर जिला परिषद के निर्वाचन क्षेत्र संख्या तीन-जमालपुर का चुनावी परिदृश्य इस बार काफी कुछ बदल रहा सा प्रतीत हो रहा है. चुनाव लगभग डेढ़ माह दूर है. सातवें चरण में यह 15 नवम्बर 2021 को होगा.
इस दौरान बहुत कुछ उलटफेर हो सकता है. अभी जो दृश्यमान है वह ओझल हो जा सकता है, तो नेपथ्य का खेल सामने आ जा सकता है. चुनावों में ऐसा होना सामान्य बात है. पंचायत चुनाव में यह सब कुछ अधिक होता है. इसलिए दावे के साथ कभी कुछ नहीं कहा जा सकता. सिर्फ संभावनाओं की बातें होती हैं.
पति हैं रेलवे के ठेकेदार
2016 में चर्चित इंदरुख गांव निवासी देवेश कुमार (Devesh Kumar) की पत्नी मीतू रविकर की जीत हुई थी. प्रतिष्ठित परिवार के देवेश कुमार रेलवे के ‘स्क्रैप ठेकेदार’ हैं. नीलामी में स्क्रैप खरीदते हैं. लोजपा के स्वजातीय पूर्व बाहुबली सांसद सूरजभान सिंह (Surajbhan Singh) से निकटता रही है. पहले क्षेत्रीय जदयू सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajiv Ranjan Singh urf Lalan Singh) के करीबी हुआ करते थे.
वक्त के अनुरूप राजनीतिक निष्ठा बदलती रही है. तमाम तरह के आरोप लगते रहे हैं. इसके बावजूद इलाकाई राजनीति में अच्छी धाक है. मुख्यतः इसी धाक की बदौलत मां नीलम देवी को इंदरुख से पंचायत समिति सदस्य और पत्नी मीतू रविकर को जमालपुर से जिला पार्षद बनवाने में सफल रहे.
‘वैगन घोटाला’ के आरोपित
फिलहाल 2017 से पूर्व हुए जमालपुर रेल कारखाना (Jamalpur Rail Factory) के 34 करोड़ के ‘वैगन घोटाला’ के आरोपित के तौर पर जेल में हैं. पति के जेल में रहने की स्थिति में निवर्तमान जिला पार्षद मीतू रविकर इस बार चुनाव लड़ेंगी या दर्शक की भूमिका में आ जायेंगी, यह अभी अस्पष्ट है. मीतू रविकर ने खुद तापमान लाइव डॉटकॉम से कहा कि पति देवेश कुमार जमानत पर बाहर आये तब वह चुनाव लड़ेंगी अन्यथा नहीं.
मीतू रविकर चुनाव मैदान में उतरें या नहीं, 2005 और 2010 के चुनावों में अपनी उम्मीदवारी से जमालपुर विधानसभा क्षेत्र में सियासी सनसनाहट भर रखीं साधना सिंह यादव (Sadhana Singh Yadav) के जिला परिषद के इस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के चौंकाऊ निर्णय से तमाम समीकरण उलट-पलट गये हैं.
मुकाबला नूतन देवी से हुआ
यह निर्वाचन क्षेत्र महिला (सामान्य) के लिए सुरक्षित है. 2016 में ब्रह्मर्षि समाज की मीतू रविकर का मुकाबला नूतन देवी से हुआ था. फरदा के बैंक टोला की नूतन देवी स्थानीय स्तर पर चर्चित सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्त्ता महेन्द्र यादव की पत्नी हैं. विश्लेषकों का मानना है कि सवर्ण मतों की संख्या अपेक्षाकृत कम रहने पर भी मीतू रविकर की जीत गैर सवर्ण मतों के प्रसाद की तरह बंट जाने की वजह से आसान हो गयी.
वैसे, एक तबके का कहना है कि इसमें महेन्द्र यादव की ‘अव्यावहारिकता’ भी एक बड़ा कारण रहा. उनके शुभचिंतकों की मानें तो इसी ‘अव्यावहारिकता’ में ‘कृपा’ अटक जाया करती है. सच क्या है यह नहीं कहा जा सकता.
ऐसे हो गयी राह अवरुद्ध
नूतन देवी 01 हजार 297 मतों से पिछड़ गयीं. मीतू रविकर को 8 हजार 778 मत मिले तो नूतन देवी को 7 हजार 481 मत. आंकड़ों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि अत्यंत पिछड़ा समाज की दो उम्मीदवारों-हलीमपुर की ज्योति देवी और बारीचक पाटम की श्वेता कुमारी ने नूतन देवी की राह अवरुद्ध कर दी.
मुनीलाल की पत्नी ज्योति कुमारी को 5 हजार 12 और विद्यानंद चौरसिया की पत्नी श्वेता कुमारी को 2 हजार 504 मत प्राप्त हुए. दलित वर्ग की रिंकू देवी भी मैदान में थीं. हरपुर के कुंदन पासवान की पत्नी. उन्हें 3 हजार 970 मत मिले.
तब भी नहीं रूका विजय रथ
गैर सवर्ण मतों के इस रूप में बंटवारे के बीच ब्रह्मर्षि समाज के गढ़ी रामपुर निवासी अरुण कुमार सिंह की पत्नी कुमारी अंजू रानी को मिले 3 हजार 492 मत भी मीतू रविकर के विजय रथ को रोक नहीं पाये.
अगली कड़ी …
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