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कन्हैया कुमार : ‘लाल गढ़’ भर रहा ठंडी आहें…!

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राजकिशोर सिंह
6 अक्तूबर, 2021

BEGUSARAI. बड़े-बड़े नेताओं को भी अपने गांव-घर में जन समर्थन नहीं रहने के अनेक उदाहरण हैं. पर, उन उदाहरणों में कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) को शामिल नहीं किया जा सकता. इसलिए कि उन्हें उनकी नेतृत्व क्षमता में उम्मीद की आखिरी किरण देख Congress की कमजोर काया में नयी ऊर्जा भरने के बड़े ख्वाब के तहत पार्टी से जोड़ा गया है. यूं कहें कि ‘स्थापित’ किया जा रहा है तो वह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.

खुद कन्हैया कुमार का हाव-भाव भी वैसा ही कुछ दिख रहा है. यानी कांग्रेस को सांगठनिक जर्जरता से उबार जनाधार मजबूत बनाने का काम वह करेंगे. कुछ लोग कह सकते हैं कि एक-दो गांवों से कोई फर्क नहीं पड़ता. ऐसा है भी. पर परख तो एक ही चावल से होती है!

क्या कुछ करते हैं…
इस दृष्टि से राजनीति में रुचि रखने वाला हर शख्स यह अवश्य जानना और समझना चाहेगा कि बेगूसराय जिले के अपने पैतृक गांव बीहट में कांग्रेस की हालत सुधारने की बाबत कन्हैया कुमार क्या कुछ करते हैं, करते हैं तो उन्हें कामयाबी कितनी मिल पाती है.


रामचरित्र सिंह के कालखंड में बीहट कांग्रेस का गढ़ था. चन्द्रशेखर सिंह के प्रभुत्वकाल में उसे ‘लाल गढ़’ का उभार मिल गया – यानी भाकपा का गढ़ हो गया. गांव में स्पष्ट रूप से राजनीति की दो धाराएं हो गयीं. कांग्रेस और कम्युनिस्ट की धाराएं.


बीहट कोई साधारण गांव नहीं है. भाकपाइयों का ‘मक्का’ है. वैसे, अब यह ‘शहर की श्रेणी’ में आ गया है. जनाधार और जनप्रियता में भारी क्षरण के बाद भी ‘लाल गढ़’ का इसका स्वरूप कायम है. इस गांव में चार पंचायतें थीं, जो अब बीहट नगर परिषद का हिस्सा बन गयी हैं.

वक्त के गर्भ में
कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार रामचरित्र सिंह (Ramcharitra Singh) इसी गांव की शान थे. उनके बाद बड़े साम्यवादी (भाकपा) नेता के तौर पर उनके ही पुत्र चन्द्रशेखर सिंह (Chandrashekhar Singh) गांव की शान रहे. कन्हैया कुमार उसी खानदान के हैं. भाकपा में थे तो पुश्तैनी पहचान यानी गांव की नयी शान के रूप में उभर रहे थे. कांग्रेस उन्हें कौन सा स्थान और कौन सी पहचान दिलायेगी यह वक्त के गर्भ में है.

रामचरित्र सिंह के कालखंड में बीहट कांग्रेस का गढ़ था. चन्द्रशेखर सिंह के प्रभुत्वकाल में उसे ‘लाल गढ़’ का उभार मिल गया – यानी भाकपा का गढ़ हो गया. गांव में स्पष्ट रूप से राजनीति की दो धाराएं हो गयीं. कांग्रेस और कम्युनिस्ट की धाराएं. दीर्घकाल तक इन्हीं दो धाराओं के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता रही, खूनी टकराव भी हुए. कालांतर में भाजपा का विस्तार हुआ. कांग्रेस करीब-करीब विलुप्त हो गयी. वर्तमान में भी वहां दो धाराएं हैं. एक भाजपा की और दूसरी भाकपा की. बीहट में कांग्रेस भी है. पर, अत्यंत ही कमजोर हालत में.

पहली बड़ी चुनौती
राजनीतिक धारा बनाने में माहिर रामचरित्र सिंह और चन्द्रशेखर सिंह के खानदान के कन्हैया कुमार के लिए कांग्रेस में शामिल होने के बाद उसे (कांग्रेस) बीहट की राजनीति की मुख्य धारा में लाना पहली बड़ी चुनौती होगी.

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