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तारापुर : नहीं मिला होता सवर्णों का साथ तब…?

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निरंजन कुमार मिश्र
16 नवम्बर, 2021

TARAPUR (MUNGER) : तारापुर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के परिणाम घोषित हुए सप्ताह भर से अधिक हो गये. लेकिन, क्षेत्र के राजनीतिक कार्यकर्त्ताओं के बीच चर्चा का विषय अब भी यही बना हुआ है. जीत-हार की समीक्षा हो रही है, उम्मीदवारों को मिले मतों का जातीय आकलन-विश्लेषण हो रहा है. यह भी कि किसने किसको दगा दिया और कौन दल में रहकर भितरघात किया.

ऐसी चर्चाओं का निष्कर्ष यह निकल रहा है कि JDU की जीत में निर्णायक भूमिका सवर्ण मतदाताओं की रही है. हालांकि, पूर्व के चुनावों में भी इन मतों का साथ राजग को ही मिलता रहा है. पर, तब इसका कोई महत्व नहीं आंका जाता था. इस समाज के नेताओं- कार्यकर्त्ताओं की पूछ नहीं होती थी. यहां तक कि विकास के मामले में भी सवर्ण बहुल गांव को उपेक्षित रखा जाता था.

राजद की रणनीति
उपचुनाव में RJD ने JDU को शिकस्त देने के लिए राजनीतिक लीक से हटकर वैश्य बिरादरी के अरुण साह (Arun Shah) को उम्मीदवार बना दिया. यादव, मुस्लिम और वैश्य मतों की एकजुटता जीत के लिए पर्याप्त थी. इन सामाजिक समूहों का साथ RJD उम्मीदवार अरुण साह को मिला भी. भाजपा समर्थक वैश्य समाज के मतों में बिखराव NDA के लिए चिंता का कारण बना रहा. Mahagathbandhan के रणनीतिकारों ने सोची-समझी रणनीति के तहत लोजपा (रामविलास)से क्षत्रिय समाज के चंदन कुमार सिंह (Chandan Kumar Singh) और कांग्रेस (Congress) से ब्राह्मण समाज के राजेश कुमार मिश्र (Rajesh Kumar Mishra) को मैदान में उतरवा दिया.

एकमात्र मकसद सवर्ण मतों में विभाजन कराना था. किन्तु राजग के सवर्ण नेताओं की सघन सक्रियता ने महागठबंधन के मंसूबों पर पानी फेर दिया. सवर्ण मतों को एकजुट रखने के लिए JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा मुंगेर के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajiv Ranjan Singh urf Lalan Singh) ने कमान संभाल रखी थी. स्वजातीय ब्रह्मर्षि मतों को उन्होंने तनिक भी इधर-उधर नहीं होने दिया.


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नहीं बिखरे सवर्ण मत
क्षत्रिय समाज के मतदाताओं को भारत सरकार के हाउसिंग को-ऑपरेटिव फाइनेंस बोर्ड के अध्यक्ष विजय कुमार सिंह (Vijay Kumar Singh) ने राजग से जोड़े रखा. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Mangal Pandey), भवन निर्माण मंत्री अशोक कुमार चौधरी (Ashok Kumar Chaudhary) तथा हाउसिंग को-ऑपरेटिव फाइनेंस बोर्ड के अध्यक्ष विजय कुमार सिंह के निर्देशानुसार ब्राह्मण समाज के एक पूर्व जिला पार्षद ने स्वजातीय मतों को बिखरने नहीं दिया.

दूसरी तरफ जदयू के उम्मीदवार राजीव कुमार सिंह (Rajiv Kumar Singh) जिस कुशवाहा बिरादरी से आते हैं उसी बिरादरी के तकरीबन आधा दर्जन नेताओं में कुछ ने खुलकर विरोध किया तो कुछ ने भितरघात किया. इसका असर पड़ा. भितरघात राजद में भी हुआ. लेकिन, ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाया. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि महागठबंधन, विशेषकर राजद की अभेद्य रणनीति में सवर्ण मतों ने सेंध लगा दी. ऐसा नहीं होता तो शायद JDU की जीत नहीं हो पाती.

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