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शिवनार की सियासत : बाहुबली तय करते हैं तकदीर

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राहुल कुमार सिंह
24 नवम्बर 2021

MOKAMA  शिवनार… मोकामा प्रखंड की एक ऐसी ग्राम पंचायत है जहां की चुनावी रणनीति प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष बाहुबली (Bahubali) तय करते हैं. वोट मतदाता डालते हैं, पर उनके निर्णय पर बाहुबल की परछाई रहती है. जोर उसी का चलता है जिसकी मजबूत बंदूकें बेधड़क आग उगलने की क्षमता रखती हैं. मुखिया और पंचायत समिति सदस्य दोनों का निर्वाचन आमतौर पर उसकी मर्जी के अनुरूप होता है.

राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत पहला चुनाव 2001में हुआ. उस वक्त अनेक बाहुबलियों की धमक थी, पर इस इलाके में आतंक का सिक्का निरजेश उर्फ नागा सिंह (Naga Singh) का जमा हुआ था. नागा सिंह फिलहाल जेल में है. ऐसा कहा जाता है कि 2001 में उसने अपनी ताकत पर जनकनंदन सिंह को शिवनार का मुखिया और उदयशंकर उर्फ बबलू सिंह को पंचायत समिति सदस्य निर्वाचित करा दिया था.

2011 में नागा सिंह
शराबबंदी के दौर में भी शराब बनाने और पिलाने को लेकर सुर्खियों में रहने वाला जंजीरा दियारा इसी पंचायत के तहत है. वहां की घनी आबादी पंचायत चुनाव के परिणाम को काफी गहराई तक प्रभावित करती है. 2001 में नागा सिंह ने उसी जंजीरा दियारा के मतों को बंदूक के बूते मनमाफिक मोड़ दे दिया था. इतना ही नहीं, मुखिया और पंचायत समिति सदस्य के दूसरे उम्मीदवारों को घर में ही दुबके रहने को विवश कर दिया था. हालांकि, चुनाव के बाद उसकी मंशा फलीभूत नहीं हो पायी. जनकनंदन सिंह को पंचायत के कार्यों में नागा सिंह की दखलंदाजी नागवार गुजरी और उन्होंने मुखिया के पद से इस्तीफा दे दिया.

जनकनंदन सिंह के उक्त व्यवहार से खिन्न नागा सिंह ने 2006 के चुनाव में अपनी बहन निशा देवी (Nisha Devi) को मोकामा के प्रखंड प्रमुख पद पर काबिज कराने की रणनीति बनायी.आसानी से कामयाबी भी मिल गयी. वैसे, पंचायत समिति सदस्य के चुनाव में निशा देवी की उम्मीदवारी तब के निवर्तमान पंचायत समिति सदस्य उदयशंकर उर्फ बबलू सिंह को रास नहीं आयी. इस खुन्नस में वह भी मैदान में कूद पड़े. पर, नागा सिंह का विरोध कर मुकाबले में टिक नहीं पाये. उसकी एक घुड़की में ही मैदान छोड़कर भाग गये. उनके अलावा और किसी की मैदान में उतरने की हिम्मत नहीं हुई.

निर्विरोध चुनी गयीं निशा देवी
निशा देवी निर्विरोध पंचायत समिति सदस्य निर्वाचित हो गयीं. प्रखंड प्रमुख के चुनाव में भी उनका कोई जोरदार विरोध नहीं हुआ. बाद के महीनों में विभिन्न मामलों में नागा सिंह की गिरफ्तारी हो गयी. धीरे-धीरे उसके आतंक का शिराजा बिखर गया. गिरोह का नया कोई सरगना उभर नहीं पाया. इसका असर इस रूप में दिखा कि 2011 के चुनाव में निशा देवी दोबारा जीत नहीं पायीं. हालांकि, इससे पहले नागा सिंह ने अपनी मां निर्मला देवी (Nirmla Devi) को मोकामा नगर परिषद के उपाध्यक्ष पद पर काबिज करा दिया था. बाद में वहां से भी उसकी बेदखली हो गयी.


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2011 में शिवनार पंचायत समिति सदस्य के चुनाव में पूर्व बाहुबली सांसद सूरजभान सिंह (Surajbhan Singh) ने निशा देवी के मुकाबले अपने करीबी शंभु सिंह को मैदान में उतार दिया. मुखिया पद के लिए उनके उम्मीदवार डाॉ रामप्रवेश की पत्नी मनोरमा देवी थीं. दोनों की जीत हो गयी. सूरजभान सिंह और नागा सिंह में कभी खूनी प्रतिद्वंद्विता थी, जानी दुश्मनी भी. उस प्रतिद्वंद्विता की झलक शिवनार के चुनाव में भी दिखी.

बायें से भोला सिंह, पंकज कुमार और कार्तिक सिंह.

अनंत सिंह का दखल
उस चुनाव में जेल में बंद राजद के बाहुबली विधायक अनंत सिंह (Anant Singh) का दखल भी दिखा. उनके खासमखास कार्तिकेय कुमार उर्फ कार्तिक सिंह (Kartik Singh) ने लेवर ठेकेदार उपेन्द्र साव को मुखिया पद का उम्मीदवार बना दिया. मामूली अंतर से हार हो गयी. उस वक्त मुखिया का पद अतिपिछड़ा समाज के लिए सुरक्षित था.

इस तरह शिवनार पंचायत पर प्रारंभिक 10 वर्षों तक निरजेश उर्फ नागा सिंह का वर्चस्व रहा, तो बाद के पांच वर्षों तक सूरजभान सिंह की मर्जी चली. 2016 में तस्वीर पूरी तरह बदल गयी. मुखिया का पद महिला (सामान्य) के लिए हो गया. पंचायत समिति सदस्य पूर्व की तरह सामान्य के लिए ही रहा. पंचायत समिति सदस्य के चुनाव में सूरजभान सिंह समर्थक शंभु सिंह दोबारा मैदान में उतरे. सूरजभान सिंह के अतिविश्वस्त भोला सिंह की पत्नी रूबी देवी मुखिया पद की उम्मीदवार हुईं.

बैरिस्टर को मिला अनंत सिंह का साथ
राजद विधायक अनंत सिंह के अतिकरीबी कार्तिकेय कुमार उर्फ कार्तिक सिंह ने मुखिया पद के महिला (सामान्य) के लिए सुरक्षित हो जाने की स्थिति में किसी अन्य पर भरोसा नहीं कर, अपनी पत्नी रंजना देवी (Ranjana Devi)को उम्मीदवार बना दिया. पंचायत समिति सदस्य के चुनाव में शंभु सिंह के मुकाबले अनंत सिंह का साथ सर्वजीत कुमार उर्फ बैरिस्टर को मिला. दोनों ही पदों पर जीत अनंत सिंह समर्थक उम्मीदवारों की हुई. पंचायत समिति सदस्य सर्वजीत कुमार उर्फ बैरिस्टर मोकामा के प्रखंड प्रमुख बने.

इस बार भी मुकाबले की तस्वीर करीब-करीब वैसी ही है. निवर्तमान प्रखंड प्रमुख सर्वजीत कुमार उर्फ बैरिस्टर पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लड़ रहे हैं, तो मुख्यिा पद के लिए भोला सिंह की पत्नी रूबी देवी और कार्तिकेय कुमार उर्फ कार्तिक सिंह की पत्नी रंजना देवी के बीच ही मुख्य मुकाबला दिख रहा है. सर्वजीत कुमार उर्फ बैरिस्टर के लिए पंचायत समिति सदस्य का चुनाव भले आसान हो, पर प्रखंड प्रमुख का पद दोबारा शायद ही मिल पायेगा. कारण कि इस पद पर पूर्व प्रखंड प्रमुख पंकज कुमार ने निगाहें जमा रखी है.

मैदान में उतरे फिर पंकज
पंकज कुमार 2001 में प्रखंड प्रमुख निर्वाचित हुए थे. उस कार्यकाल के दौरान उन पर बम से हमला हुआ था. आरोप नागा सिंह के समर्थकों पर लगा था. संयोगवश ही वह बच गये थे. मरांची में कई चिमनी भट्ठों के संचालक पंकज कुमार ने उस प्रकरण के बाद पंचायत चुनाव से तौबा कर लिया. अपना ठिकाना पटना में बना लिया. इस बार उनकी दिलचस्पी फिर से जगी है.

वह मरांची उत्तरी से पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लड़ रहे हैं. जीत हुई तो प्रखंड प्रमुख का पद पाने का पुरजोर प्रयास करेंगे. उन्होंने खुली घोषणा कर रखी है कि प्रखंड प्रमुख का पद प्राप्त नहीं कर पाये तो पंचायत समिति सदस्य से इस्तीफा दे देंगे. चुनाव 08 दिसम्बर 2021 को होना है. मतगणना 10 दिसम्बर 2021 को. परिणाम जानने के लिए तब तक तो इंतजार करना ही पड़ेगा.

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