विवेका पहलवान : झुनझुना तो बजा ही रहे थे, दोस्ती से नया क्या मिला?
राजेश कुमार
05 दिसम्बर, 2021
BARH : राजद विधायक अनंत सिंह (Anant Singh) और विवेका पहलवान (Viveka Pahalwan) की गृह पंचायत नदावां (Nadawan) में मुखिया समेत तमाम पदों पर निर्विरोध निर्वाचन के बीच गांव-जवार में यह चर्चा भी जगह बनाये हुए है कि विवेका पहलवान राजनीतिक रूप से नदावां पंचायत में ही सिमट-सिकुड़ कर रह जायेंगे या अनंत सिंह की दोस्ती से उनके लिए भी विधायिका का द्वार खुलेगा? इस बाबत विश्लेषकों की समझ सकारात्मक नहीं है. उनके मुताबिक सामान्य परिस्थितियों में विवेका पहलवान के लिए ऐसी कोई संभावना बनती नहीं दिख रही है.
बाढ़ विधानसभा क्षेत्र का सामाजिक-राजनीतिक समीकरण उनके प्रतिकूल है. एक बार वहां वह अपनी औकात की थाह ले चुके हैं. तब वह शिवसेना के उम्मीदवार थे. मुट्ठी खाली रह गयी थी. उस चुनाव में अनंत सिंह के बड़े भाई सच्चिदानंद सिंह उर्फ फाजो सिंह भी उम्मीदवार थे. वह भी मात खा गये. दुश्मन से दोस्त बने अनंत सिंह जब अपने भाई को जीता नहीं पाये तब विवेका पहलवान के लिए क्या कुछ कर पायेंगे, इसे बहुत आसानी से समझा जा सकता है.
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मोकामा में संभावना नहीं
पड़ोस के मोकामा (Mokama) विधानसभा क्षेत्र पर अनंत सिंह काबिज हैं. सत्ता के साथ रहकर और फिर सत्ता से खिलाफत कर वहां लगातार परचम लहरा रहे हैं. एक तरह से मोकामा उनका अभेद्य गढ़ हो गया है. दोस्ती की खातिर उस गढ़ को विवेका पहलवान को समर्पित कर देंगे, ऐसा कतई संभव नहीं है. रही बात मुंगेर (Munger) संसदीय क्षेत्र की, तो 2019 में अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी (Neelam Devi) महागठबंधन (Mahagathbandhan) में कांग्रेस (Congress) की उम्मीदवार थीं. पराजित नहीं होतीं तो मुंगेर की सांसद रहतीं. नीलम देवी की हार बहुत कम मतों के अंतर से हुई.
कांग्रेस महागठबंधन में रहे या नहीं, JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajiv Ranjan Singh urf Lalan Singh) के खिलाफ RJD इस प्रयोग को 2024 के संसदीय चुनाव में दोहरा सकता है. अनंत सिंह की सहमति से विवेका पहलवान को अवसर उपलब्ध हो जा सकता है. हालांकि, उनके निकट के लोगों का कहना है कि ऐसा शायद संभव नहीं होगा. उम्मीदवार नीलम देवी ही होंगी.
विधान परिषद चुनाव
विवेका पहलवान के लिए एक संभावना बिहार विधान परिषद (Bihar Vidhan Parishad) के आसन्न पटना (Patna) स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में बनती दिख रही है. यह चुनाव 2022 के पूर्वाद्ध में संभावित है. 2015 में इस क्षेत्र से रीतलाल यादव (Ritlal Yadav) निर्वाचित हुए थे. वह अब दानापुर (Danapur) से राजद के विधायक (MLA) हैं. उनकी तैयारी अपनी शिक्षिका पत्नी पिंकी यादव (Pinki Yadav) को मैदान में उतारने की है.
2016 में राजद का समर्थन पूर्व विधान पार्षद आजाद गांधी (Azad Gandhi) को मिला था. इस बार भी वह दावेदार हैं. स्पष्ट है कि राजद में पहले से दो दावेदार मौजूद हैं. ऐसे में विवेका पहलवान को मौका मिलेगा ही यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता. इस क्षेत्र से 2003 में अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह (Dilip Singh) विधान पार्षद निर्वाचित हुए थे.