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टूट गयी राजा के ‘दो बैलों’ की जोड़ी!

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विशेष प्रतिनिधि
29 जनवरी, 2022

PATNA : दो बैलों की कथा (Do Bailon ki katha) याद होगी. महान साहित्यकार प्रेमचंद (Premchand) की यह ऐसी रचना है, जिसे बच्चे, बूढ़े और जवान समान भाव से पढ़ते रहे हैं. कथा का नायक झूरी (Jhoori) है. उसके पास दो बैल थे. पूरी कथा दोनों की दोस्ती पर है. दोस्ती क्या, गाढ़ी दोस्ती कह लीजिये. साथ जीने और मरने वाली दोस्ती. यहां जिस दोस्ती की चर्चा हो रही है, वह शुरू तो गाढ़ेपने से हुई थी, लेकिन समय के साथ पतली होती गयी. दूसरी बात कि इनके मालिक थे नहीं, अब भी नहीं हैं. ये दोनों भी बैल नहीं हैं. सर्व उत्कृष्ट सेवा के अधिकारी हैं. कथा आगे बढ़ रही है.

एक साथ लूटते रहे
झूरी मतलब राजा के पास दो अधिकारी ऐसे हैं, जो एक दौर में एक ही साथ खजाना (Khazana) लूटने की योजना बनाते हैं. एक साथ लूटते हैं. एक ही साथ दक्षिण या हिन्दी पट्टी के समृद्ध राज्यों में निवेश करते हैं. सामाजिक व्यवस्था के स्तर पर समझिये तो दोनों एक ही बिरादरी के हैं. दोनों की नाद एक ही है. उसमें निर्माण का चारा परोसा जाता है. कुछ दिन पहले तक दोनों के बीच झूरी के बैलों वाली दोस्ती थी. कोरोना (Corona) संकट के समय दरार आ गयी, जिसकी कथा अलग है.

लूट में ओवरटाइम!
संक्षेप में यह कि इनमें से एक की ससुराली महिला रिश्तेदार की मौत हो गयी. मौत भी ऐसी कि माल-असबाब के बारे में बताने का मौका ही नहीं मिला. ढेर सारा माल उन्हीं के पास था. उनके पति ने दो टूक कह दिया कि आपके माल के निवेश का सारा विवरण उन्हीं के पास था. वह उनके साथ ही चला गया. बेचारे मायूस हुए. पार्टनर (Partner) को हाल बताया. कहा कि क्षति की पूर्ति के लिए लूट में ओवरटाइम करना पड़ेगा. इसके साथ ही अपने हिस्से में से भी कुछ देना होगा.

कोई अमर नहीं हैं यहां
बस, उसी दिन से दोनों की दोस्ती में भीषण दरार पड़ गयी. कुछ एक-दूसरे को देख लेने का जज्बा पैदा हो गया. पहले और राजा (Raja) से पुराने जुडे़ दोस्त ने बदला लेने का उपक्रम किया. अपने आदमी को भेज कर मुंबई (Mumbai) के एक होटल (Hotel) समूह में दोस्त के दो नम्बर के धन के निवेश का पक्का सबूत जुटा लिया. रकम में यह निवेश कई सौ करोड़ का है. यह खबर दूसरे दोस्त तक पहुंचा दी गयी कि अब तुम बर्बाद हो गये. साथ में यह उपदेश भी दे दिया गया कि यहां कोई अमर नहीं है. किसी ने अमृत का पान नहीं किया है.

अमृत पीकर नहीं आये
दूसरे दोस्त के चेहरे पर कभी डरने का भाव नहीं आया. वह बंदा उसी दिन से काम में लग गया. जल्द ही कागजात जुटा लिये. अगले ने उड़ीसा (Odisa) में ढेर अचल संपत्ति अर्जित कर ली है. दोनों ने एक-दूसरे का कागजात देखा. पाया कि कागज में दम है. दोनों मिले. कबूल किया कि हम अमृत पी कर नहीं आये हैं.

जब लक्ष्मी ही चंचल है
दूसरे ने भी कहा कि यह धरती माया है. संपत्ति क्या चल और क्या अचल, जब लक्ष्मीजी ही चंचल हैं तो हमारी-तुम्हारी संपत्ति की क्या बिसात. चलो, फिर से दोनों एक साथ नाद में मुंह डालते हैं. अपना मालिक जो झूरी नहीं है, बस उनकी नजर से बच कर रहना है. फंस गये तो खुद हांक कर कांजीहौस पहुंचा देगा. हुआ वैसा ही. जिसे बचकर रहने की नसीहत मिली उस पर झूरी मतलब राजा की नजर पड़ गयी और सचमुच में वह कांजीहौस पहुंच गये.

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