सहरसा-मधेपुरा-सुपौल : चुनाव मैदान में नूतन, चेहरा नीरज बबलू का
प्रवीण गोविन्द
03 अप्रैल, 2022
Supaul : मतदाताओं को पटाने, पुचकारने- दुलारने के बीच शनिवार को बिहार विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्रों के लिए प्रचार का शोर थम गया. गौरतलब है कि सूबे में सर्वाधिक 14 प्रत्याशी सहरसा-मधेपुरा-सुपौल स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र में हैं. मंच तैयार है. 4 अप्रैल को आर-पार है. फिलवक्त मतदाता काठ बने हैं. रहनुमाओं की धड़कनें तेज हैं. वे नर्वस नाइंटीज के शिकार नजर आ रहे हैं. क्या होगा यह तो समय के गर्भ में है, लेकिन वस्तु-स्थिति के अवलोकन से यह साफ स्पष्ट हो जा रहा है कि पलड़ा किसका भारी है. कहने को तो चुनाव मैदान में राजग की भाजपा समर्थित उम्मीदवार नूतन सिंह (Nutan Singh) हैं, लेकिन चेहरा उनके मंत्री पति नीरज कुमार सिंह बबलू (Neeraj Kumar Singh Bablu) हैं.
सबके सब जीत रहे हैं…!
भाजपा (BJP) से नूतन सिंह के अलावा राजद (RJD) से डा. अजय कुमार सिंह (Dr. Ajay Kumar Singh ) , लोजपा (LJP) से गंगा सागर कुमार उर्फ छत्री यादव (Ganga Sagar Kumar urf Chhatri Yadav), माकपा से नीतू कुमारी (Nitu Kumari), विकासशील इंसान पार्टी से चंदन कुमार (Chandan Kumar), निर्दलीय अनिल कुमार सिंह, बलराम मंडल, अखिता कुमारी, अरविंद शर्मा, शंभू कुमार शरण, सोनी कुमारी, शैलेन्द्र शेखर, मुरलीधर प्रसाद सिंह व रामशंकर प्रसाद सिंह हैं.यानी कुल 14 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. सभी खुद को जीत के करीब मानते हैं. लेकिन, हकीकत यह है कि मुख्य मुकाबला नूतन सिंह एवं अजय कुमार सिंह में ही दिख रहा है.
तब धराशायी हो गया था ‘माय’
यहां गौर करने वाली बात है कि 2015 के चुनाव में यहां जाति-धर्म, अगड़ा-पिछड़ा की दीवार पूरी तरह ध्वस्त हो गयी थी. ‘माय’ समीकरण भी धराशायी हो गया था. उस समय सभी वर्ग के लोगों ने लगभग एकमत होकर नूतन सिंह को वोट दिया था. इस निर्वाचन क्षेत्र में तीन जिले- सुपौल, सहरसा व मधेपुरा हैं. दो लोकसभा एवं 13 विधानसभा क्षेत्रों वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में 34 प्रखंड हैं.
राजग की राजनीति
फिलवक्त, सभी प्रत्याशी अपनी चुनावी तरकश से उन सभी तीर का इस्तेमाल करने में लगे हैं जो चार बांस चौबीस गज… यानी निशाने पर लगे और मिशन कामयाब. अभी जो स्थिति-परिस्थिति बन रही है उसमें राजनीतिक पंडित भी मानते हैं कि निवर्तमान विधान पार्षद नूतन सिंह को हराना खेल नहीं है. उनका यह भी कहना है कि जहां जो भी हो लेकिन सुपौल की धरती पर विजेंद्र प्रसाद यादव (Bijendra Prasad Yadav) के व्यक्तित्व का भी प्रभाव पड़ेगा.
राजद का है अपना समीकरण
इधर, राजद प्रत्याशी अजय कुमार सिंह (Ajay Kumar Singh) ‘माय’ मार्का ईंट-सीमेंट और दलितों , पिछड़ों के साथ ही सवर्णोंं के मसाले से जोड़कर किले को मजबूत करने में लगे हुए हैं. यहां यह भी बता दें कि राज्य के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन (Sahnawaj Husain) जहां सुपौल के ही हैं, वहीं केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह (R. K. Singh) की जन्मभूमि बसबिट्टी (सुपौल) ही है. जबकि जिले में राजग की राजनीति विजेंद्र प्रसाद यादव और नीरज कुमार सिंह बबलू के इर्दगिर्द घूमती है.
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नीरज का है खूब प्रभाव
चुनाव, चुनाव होता है. सचमुच अधिकांश मामलों में कुछ कहा नहीं जा सकता. हवा चलती है और देखते ही देखते बाजी पलट जाती है. क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है. लेकिन, नूतन सिंह के लिए यह प्लस है कि उनके पति नीरज कुमार सिंह बबलू लगातार क्षेत्र में बने रहे हैं. उन्होंने बहुत कम वक्त में कोसी क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा लिया है. उनकी छवि एक बाहुबली नेता की रही है.
उम्मीदवार दिखा रहे लटके-झटके
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि मंत्री बनने के बाद नीरज कुमार सिंह बबलू के लिए एमएलसी चुनाव एक तरह से लिटमस टेस्ट भी होगा. गौरतलब है कि कोसी क्षेत्र के तीनों जिले सहरसा, मधेपुरा और सुपौल में कुल 7788 मतदाता हैं. कुल मिलाकर आज की तारीख में यहां कई नेता व उम्मीदवार जीत की सपनीली दुनिया के लटके-झटके दिखा और देख रहे हैं. सो थोड़ा इंतजार का मजा लीजिये.
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