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अच्छे पिता न होने की कसक साथ तो होगी…

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विशेष प्रतिनिधि
07 जुलाई, 2022

PATNA : पिता की आकांक्षा रहती है कि पुत्र नाम कमाये. दाम कमाये. यह आकांक्षा सामान्य लोगों में होती है. राजनीति (Politics) में अक्सर मामला उलट जाता है. इस कुनबा में पिता-पुत्र की आकांक्षाएं बदल जाती है. यहां अच्छे पुत्र की नहीं, अच्छे पिता (Father) की कद्र होती है. पुत्र (Son) की नजर में पिता अच्छा तभी साबित होता है, जब वह उसे राजनीति में हैसियत दिला दे. हैसियत का मतलब यह कि पिता जिस किसी सदन में है या रहा है, पुत्र को पुश्तैनी (ancestral) संपत्ति की तरह उसे विरासत में सौंप दे. यह जरूरी नहीं है कि सदन में जाने के लिए पुत्र अपने पिता के रिटायर (Retire) होने का इंतजार करे.

सतत जागृत रहती है आकांक्षा
कुछ ऐसे भी पिता हैं, जो एक साथ अगल-बगल के सदन में सदस्य (Member) रहे हैं. कुछ ऐसे भी रहे हैं, जिनके पिता लोकसभा (Parliament) में थे तो पुत्र विधानसभा (Assembly) की शोभा बढ़ा रहे थे. मां-बेटे, पिता-पुत्र, पति-पत्नी के सदन में रहने के कई उदाहरण हैं. कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं, जिसमें पिता को धकियाकर पुत्र किसी सदन के सदस्य बन गये हैं. यह आकांक्षा सतत जागृत रहती है. मगर चुनाव (Election) के दिनों में बढ़ जाती है. हाल में हुए विधान परिषद (Vidhan Parishad) की 24 सीटों के चुनाव में भी कई नेता पुत्रों ने अपने पिता से अपेक्षा की थी. बाकी की बात का कोई मतलब नहीं है. लेकिन, पुरानी पार्टी (Party) के दो पिता ने अपने पुत्रों के लिए पूरा-पूरा प्रयास किया था.


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उनकी भी सोचिये
कहते हैं कि पुत्रों की आकांक्षा की पूर्ति न होने के कारण ही महागठबंधन (Mahagathbandhan) में फूट पड़ गयी. अंत में पार्टी की ओर से सिर्फ चार सीटों की मांग की गयी. सुप्रीमो इस मांग पर सहमत हो गये. लेकिन, सीटों की सूची देखकर दोनो पक्षों का दिमाग चकरा गया. पुरानी पार्टी की ओर से जिन सीटों की मांग की गयी थी, उन पर पहले से ही ताकतवर उम्मीदवार (Candidate) उतार दिये गये थे. सुप्रीमो की ओर से जो सूची गयी, उस पर पुरानी पार्टी के पास सक्षम उम्मीदवार नहीं था. अंत में कहा गया कि चार जाने दीजिये. तीन ही रहने दीजिये. इनमें दो सीटें वह रहे, जिन पर दो नेताओं के पुत्र उम्मीदवार होंगे. तीसरी सीट एक मालदार उम्मीदवार के लिए मांगी गयी. दोनों अपनी-अपनी सूची (List) पर अड़े रहे. अंत में बात बिना किसी समझौते के समाप्त हो गयी. आम लोगों के लिए यह सामान्य घटना हो सकती है. लेकिन, उन पिताओं के बारे में कोई नहीं सोच रहा है, जिन्हें उनके घरों में अच्छे पिता का ओहदा (Position) नहीं मिल रहा है.

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