सम्यागढ़ की बर्बरता पर मौन क्यों है सत्ता पक्ष?
राजकिशोर सिंह / रविशंकर शर्मा
02 नवम्बर, 2022
MOKAMA : कुछ माह पूर्व लखीसराय (Lakhisarai) के पीरी बाजार थाना क्षेत्र के घोसैठ गांव में पुलिस की ऐसी ही बर्बरता दिखी थी. कहर किसी सामान्य आदमी पर नहीं, जदयू (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajiv Ranjan Singh urf Lalan Singh) के खासमखास पूर्व जिला पार्षद आशुतोष सिंह (Ashutosh Singh) पर टूटा था. आधी रात की कायरतापूर्ण कार्रवाई में पुलिस उन्हें घर से खींच ले गयी. कथित रूप से मारपीट और महिलाओं के साथ असम्मानजनक व्यवहार भी हुआ. आशुतोष सिंह पर आरोप भूमि विवाद सलटाने गयी पुलिस (Police) के साथ गाली-गलौज, धक्का-मुक्की एवं अभद्रता का था. इस आरोप में सच्चाई कितनी थी, यह कहना कठिन. पर, दबंगता के साथ क्षेत्रीय सांसद से निकटता की हनक तो थी ही.
होगी त्वरित कार्रवाई?
सम्यागढ़ (Samyagarh) में पुलिस की अमानवीयता की चपेट में आये दीपक कुमार (Deepak Kumar) के साथ ऐसी कोई बात नहीं है. न दबंगता है और न राजनीति से कोई जुड़ाव. अनुचित कृत का प्रतिकार अत्याचार का कारण बन गया. घोसैठ गांव के आशुतोष सिंह (Ashutosh Singh) का मामला सत्तारूढ़ दल के सांसद (Sansad) के अतिकरीबी से जुड़ा था. सांसद का मुंह खुला और गहराई से जांच किये बगैर ही पीरी बाजार (Piri Bazar) थानाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई हो गयी. सम्यागढ़ गांव भी उसी मुंगेर (Munger) संसदीय क्षेत्र के तहत है, जहां से राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह सांसद हैं. सवाल स्वाभाविक है कि पुलिस जुल्म के लगभग समान मामले में पीरी बाजार थानाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई हुई, तो क्या वैसी ही त्वरित कार्रवाई सम्यागढ़ ओपी प्रभारी (OP Prabhari) के खिलाफ होगी?
भूमिका हैरान करनेवाली रही
पीड़ित-प्रताड़ित दीपक कुमार (Deepak Kumar) को न्याय दिलाने के लिए पक्ष-विपक्ष, दोनों के स्वजातीय नेता मुट्ठियां लहरा रहे हैं, आवाज उठा रहे हैं. पर, सरकार बहरी बनी हुई है. सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह भी मौन धारण किये हुए हैं. जाति (Cast) के नाम पर राजनीति चमकाने के प्रयास में लगे भूमिहार-ब्राह्मण (Bhumihar-Brahman) एकता मंच के सुप्रीमो आशुतोष कुमार की भूमिका भी हैरान करने वाली रही. उपचुनाव (By Election) में राजद (RJD) प्रत्याशी नीलम देवी (Neelam Devi) के लिए मोकामा (Mokama) क्षेत्र में घूम रहे आशुतोष कुमार इसी विधानसभा क्षेत्र के सम्यागढ़ के पीड़ित भूमिहार परिवार से मिलने का वक्त नहीं निकाल पाये! शायद यह भी उनकी जातीय एकता की राजनीति का एक हिस्सा था!
तार उपचुनाव से तो नहीं जुड़ा है?
सम्यागढ़ आठ पंचायतों वाले घोसवरी (Ghoswari) प्रखंड का इकलौता ऐसा गांव है, जहां भूमिहार समाज के लोगों की बहुतायत है. मुरलीधर सिंह (Murlidhar Singh) की पत्नी कुसुम देवी (Kusum Devi) सम्यागढ़ ग्राम पंचायत की मुखिया हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो मुरलीधर सिंह का जुड़ाव पहले जेल में बंद पूर्व विधायक अनंत सिंह (Anant Singh) से था. इधर के दिनों में हृदय परिवर्तन हो गया है. उपचुनाव में भाजपा (BJP) उम्मीदवार सोनम देवी (Sonam Devi) की जीत के लिए ताकत खपा रहे हैं. पुलिस (Police) जुल्म का तार 3 नवम्बर, 2022 को होनेवाले मोकामा विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव से जुड़ा है या नहीं, यह नहीं कहा जा सकता. वैसे, स्थानीय लोग उससे भी जोड़कर देख रहे हैं. अन्य गांवों की तरह वहां भी राजनीति की भी दो धाराएं हैं. हालांकि, गांव के अधिसंख्य वाशिंदों को स्थानीय राजनीति (Politics) से ज्यादा मतलब नहीं रहता है. कारण कि भूमिहार समाज के अधिकतर परिवार शहरों में बस गये हैं. कभी-कभार ही गांव आते हैं. पुलिस की बर्बरता वैसे ही एक परिवार पर टूटी, जो छठ पर्व के सिलसिले में गांव आया हुआ है.
एएसआई से हुई थी गांव में बकझक
वाकया 28 अक्तूबर, 2022 का है. सम्यागढ़ ओपी के सहायक अवर निरीक्षक प्रमोद बिहारी सिंह (Pramod Bihari Singh) उपचुनाव के संदर्भ में 107 की नोटिस (Notice) लेकर गांव पहुंचे थे. गांव वालों के मुताबिक नोटिस में कई नाम ऐसे थे, जो बाहर बस गये हैं. आरोप है कि नोटिस तामिल नहीं करने के एवज में कुछ इधर-उधर की बात हो रही थी. इसी मुद्दे को लेकर उक्त परिवार के दीपक कुमार से सहायक अवर निरीक्षक प्रमोद बिहारी सिंह की कहासुनी हो गयी. बात इतनी बिगड़ गयी कि गाली-गलौज करते हुए पुलिस दीपक कुमार को पकड़कर थाना ले गयी. बाद में गांव वालों के बीच-बचाव पर मामला सुलझ गया. दीपक कुमार को छोड़ दिया गया. सम्यागढ़ गांव (Samyagarh Village) के रामप्रवेश सिंह (Rampravesh Singh) के पुत्र दीपक कुमार (Deepak Kumar) पेशे से इंजीनियर हैं. कोलकाता (Kolkata) में किसी प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं. रहते भी वहीं हैं.
आधी रात में घर में घुस गये शताधिक पुलिसकर्मी
गांव वालों ने समझा कि मामला शांत हो गया. पर, उसी रात सम्यागढ़ ओपी प्रभारी बनारसी चौधरी (Banarasi Chaudhary) और सहायक अवर निरीक्षक प्रमोद बिहारी सिंह (Pramod Bihari Singh) समेत 100 से अधिक पुलिसकर्मी गांव में पहुंच दीपक कुमार के घर के अंदर दाखिल हो गये. पुलिसकर्मियों में अधिसंख्य केन्द्रीय सुरक्षा बल के वैसे जवान भी थे, जिन्हें उपचुनाव (By Election) के सिलसिले में तैनात किया गया था. यहां सवाल (Question) उठना लाजिमी है कि इतनी बड़ी संख्या में केन्द्रीय बल के जवान वहां किसके आदेश से गये थे? घर में दीपक कुमार की भाभी, बहन, पत्नी एवं परिवार (Family) के अन्य सदस्य सो रहे थे. पुलिस के जवान उसी अवस्था में कमरों की तलाशी लेने लगे.
गांव में पसरा है सन्नाटा
दीपक कुमार के मिलते ही सभी टूट पड़े. जान बचाने के लिए वह छत पर भागे तो वे सब भी उनके पीछे वहां पहुंच गये. वहीं अधमरा कर उन्हें नीचे फेंक दिया गया. इससे उनका हाथ-पांव टूट गया. उसी अवस्था में घसीट कर उन्हें थाना ले जाया गया. सूचना मिलने पर अधिवक्ता कुमार शानू (Kumar Shanu) थाना पहुंचे तो उनसे भी बदसलूकी की गयी. गांव (Village) में सिर्फ दीपक कुमार के घर में ही नहीं, दजर्नाधिक अन्य घरों में भी पुलिस (Police) ने जुल्म ढाया. ऐसा वहां के लोगों का कहना है. इसी बीच 28 अक्तूबर को ही सहायक अवर निरीक्षक प्रमोद बिहारी सिंह ने दीपक कुमार समेत एक दर्जन लोगों के खिलाफ जान लेने की नीयत से पुलिस पर हमला करने का आरोप मढ़ते हुए केस दर्ज किया. इस घटना के बाद गांव में सन्नाटा पसरा है. भूमिहार (Bhumihar) समाज के अधिकतर लोग अदृश्य हो गये हैं.
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