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मनोज कुशवाहा पर इतनी मेहरबानी का राज क्या?

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विभेष त्रिवेदी
30 नवम्बर, 2022

MUZAFFARPUR : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) हमेशा मनोज कुशवाहा (Manoj Kushwaha) पर मेहरबान रहे हैं. उन्होंने उन्हें न सिर्फ मंत्री बनाया था, बल्कि हर चुनाव (Election) में टिकट भी देते रहे हैं. बीच में चर्चा पसरी कि नीतीश कुमार अपने चहेते मनोज कुशवाहा को कुढ़नी में राजद का टिकट दिलायेंगे, लेकिन उन्हें जदयू का चुनाव चिह्न मिल गया. मनोज कुशवाहा की उम्मीदवारी से नाराज राजद (RJD) कार्यकर्ता भी मानते हैं कि वह जदयू (JDU) की बजाय राजद के उम्मीदवार होते तो उन्हें अधिक ताकत मिलती.

जानकारों का कहना है कि राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajiv Ranjan Singh urf Lalan Singh) हों या आरसीपी सिंह (RCP Singh), उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) हों या शिवानन्द तिवारी (Shivanand Tiwari), नीतीश कुमार अपने राजनीतिक सफर में अधिक दिनों तक किसी पर मेहरबान नहीं रहे हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि नीतीश कुमार ने किस रणनीति के तहत मनोज कुशवाहा को उम्मीदवार बनाने के लिए वीटो का इस्तेमाल किया. दरअसल, उन्हें कुशवाहा समाज की नाराजगी की चिंता सता रही है. गोपालगंज उपचुनाव में बहुप्रचारित लवकुश समीकरण की हवा निकल गयी. कुशवाहा समाज ने महागठबंधन (Mahagathbandhan) की बजाय भाजपा (BJP) को वोट दिया.


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2024 के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा (Kushwaha) समाज नीतीश कुमार को अंगूठा दिखा भाजपा (BJP) के साथ हो गया तो उनके मंसूबे पर पानी फिर जायेगा. प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनना तो दूर, बिहार (Bihar) में इज्जत बचाने के लायक भी सीटें हासिल नहीं कर पायेंगे. एक तरफ जहां नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया, वहीं दूसरी ओर भाजपा ने सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) को बिहार विधान परिषद में अपने दल का नेता बना दिया है. नीतीश कुमार जब मंत्रिमंडल का गठन करने वाले थे, प्रदेश जदयू अध्यक्ष उमेश कुशवाहा (Umesh Kushwaha) ने पटना (Patna) में कुशवाहा समाज के नेताओं की बड़ी बैठक की. प्रस्ताव पारित कर उपेंद्र कुशवाहा को मंत्री नहीं बनाने की मांग की गयी.

विश्लेषकों की समझ है कि उपेंद्र कुशवाहा को मंत्री नहीं बनाने की रणनीति के तहत नीतीश कुमार के इशारे पर ही उमेश कुशवाहा ने बैठक आयोजित की. उमेश कुशवाहा (Umesh Kushwaha) की इतनी हिम्मत नहीं है कि नीतीश कुमार की इजाजत के बगैर जातीय बैठक कर लें. उपेन्द्र कुशवाहा की उपेक्षा से कुशवाहा समाज और नीतीश कुमार के बीच गहरी खाई पैदा हो गयी है. नीतीश कुमार के कान खड़े हैं. उन्होंने इसी खाई को भरने के लिए मनोज कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है.

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