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हनुमत कथा : इतने बड़े आयोजन की इतनी सुस्त तैयारी!

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राजकिशोर सिंह
08 मई 2023

RAGHAWENDRA NAGAR (PATNA) : राजधानी पटना से तकरीबन 25 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम नौबतपुर (Naubatpur) के समीप है तरेत पाली मठ (Taret Pali Math). तरेत और पाली दो अलग-अलग गांव हैं. राजद नेताओं के एक तबके के आपत्तिजनक बयानों के बीच वहीं बागेश्वर बालाजी धाम (Bageshwar Balaji Dham) के आचार्य पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की पांच दिवसीय ‘हनुमत कथा’ होगी. 13 से 17 मई 2023 तक. 15 मई 2023 को दिव्य दरबार लगेगा, पर्ची निकाली जायेगी. 12 मई को पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) पटना पधार जायेंगे. ‘हनुमत कथा’ के लिए उसी दिन कलश यात्रा निकलेगी. यानी चार दिनों के बाद ही आयोजन शुरू होगा. पर, कैसे क्या होगा, स्थानीय स्तर पर मुकम्मल जानकारी देने वाला कोई नहीं है. परिणामतः कलश यात्रा (Kalash Yatra) कहां से शुरू होगी, इसमें कितनी संख्या में महिलाएं शामिल होंगी, इसको लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है.

यहां बन रहा जर्मन पंडाल.

कहां से निकलेगी कलश यात्रा?
आयोजन समिति की अंदरूनी तैयारी जो हो, आमलोगों में इक्यावन हजार से लेकर साढ़े सात हजार के बीच की संख्या घूम रही थी. कोई पटना के दीघा (Digha) गंगा घाट से कलश यात्रा शुरू होने की अव्यावहारिक बात कर रहा था, तो कोई पुनपुन (Punpun) नदी से, कोई तरेत पाली मठ परिसर स्थित तालाब से. तालाब के हो रहे जीर्णोद्धार से ऐसा लगा कि कलश यात्रा वहीं से शुरू होगी. नौबतपुर के पत्रकार अखिलेश कुमार (Akhilesh Kumar) की जानकारी के मुताबिक तालाब के जीर्णोद्धार के लिए सांसद डा. अखिलेश प्रसाद सिंह (Dr. Akhilesh Prasad Singh) और विवेक ठाकुर (Vivek Thakur) ने धन उपलब्ध कराये हैं. रंग-रोगन से मठ परिसर का रूप भी निखारा जा रहा है. भीषण गर्मी और प्रचंड धूप को देखते हुए तालाब से कलश यात्रा को इस रूप में व्यावहारिक माना गया कि वहां से कलश स्थापन स्थल की दूरी आधा किलोमीटर भी नहीं होगी.

दो मई को हुआ ध्वजारोहण
इस बीच कहा जा रहा है कि पटना के दीघा गंगा घाट से टैंकर के जरिये जल लाया जायेगा. राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 139 पर स्थित मोतेपुर गांव (Motepur Village) केे स्कूल परिसर में रखा जायेगा. कलश यात्रा वहीं से निकलेगी. आयोजन की तैयारी में समायी सुस्ती के मद्देनजर कलश यात्रा में साढ़े सात हजार की भी संख्या शायद ही पूरी हो पायेगी. बहरहाल, मंगलवार 02 मई को पांच दिवसीय हनुमत कथा के लिए निर्धारित कलश स्थल के समीप ध्वजारोहण हुआ. तरेत पाली मठ के महंत सुदर्शनाचार्य (Mahanth Sudarshanacharya) की देखरेख में आयोजन समिति के अध्यक्ष के के शाश्वत (K Shaswat) व अर्चना कुमारी (Archana Kumari) ने विधि-विधान से यह कार्य संपन्न किया. कथा स्थल का नाम राघवेन्द्र नगर (Raghawendra Nagar) रखा गया है. तरेत पाली मठ भगवान राघवेन्द्र को समर्पित है.

भरोसे पर विश्वास नहीं
सेवानिवृत्त पुलिस उपमहानिरीक्षक अरविन्द ठाकुर (Arvind Thakur) हनुमत कथा आयोजन समिति (बागेश्वर बिहार फाउंडेशन) के संरक्षक हैं. के के शाश्वत अध्यक्ष और  राजशेखर (Rajshekhar) सचिव हैं. संभवतः सभी पटना में रहते हैं. समिति से और भी कई लोग जुड़े हैं. तरेत गांव के समाजसेवी अखिलेश कुमार भी उसमें शामिल हैं. उनके अलावा अन्य किसी स्थानीय व्यक्ति का जुड़ाव संभवतः नहीं है. प्रति दिन तीन लाख से ज्यादा लोगों के जुटान का आयोजन समिति का अनुमान है. इसके मद्देनजर तीन लाख वर्गफीट क्षेत्र में जर्मन पंडाल (German Pandal) बनाया जा रहा है. हनुमत कथा के लिए अलग सुसज्जित मंच. 15 लाख वर्गफीट क्षेत्र में पार्किंग की व्यवस्था होगी. भोजन-भंडारा, रहने-सहने एवं परिवहन की उत्तम व्यवस्था का भरोसा दिलाया जा रहा है. आयोजन स्थल पर रविवार को तैयारी की जो प्रगति दिखी उससे आयोजकों के भरोसे पर विश्वास नहीं जमता.

2012 में हुआ था महायज्ञ
हालांकि, 2012 में तरेत पाली मठ ने वहां बहुत बड़े यज्ञ का अनुष्ठान (Anushthaan) किया था. पांच लाख से ज्यादा लोग जुटे थे. मठ के महंत सुदर्शनाचार्य की मानें, तो कहीं कोई अव्यवस्था- अराजकता पैदा नहीं हुई थी. हनुमत कथा की व्यवस्था में क्या होगा, यह अभी नहीं कहा जा सकता. बागेश्वर बालाजी धाम (Bageshwar Balaji Dham) के आचार्य पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के पांच दिवसीय प्रवास स्थल को लेकर भी असमंजस की स्थिति है. कहा जा रहा है कि सुरक्षा (Security) के ख्याल से इसे गोपनीय रखा गया है. वैसे, इसकी व्यवस्था विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) के पटना स्थित आवास पर होने की चर्चा है. पटना पुलिस के अभेद्य सुरक्षा इंतजाम के तहत उनका नौबतपुर आना-जाना होगा. प्रवास की व्यवस्था कोरजी गांव (Korji Village) में की जानी थी. तमाम सुख-सुविधाओं से युक्त चित्तरंजन सिंह (Chitranjan Singh) के आवास पर. यह गांव पटना-नौबतपुर मार्ग में है. संभवतः सुरक्षा कारणों से इसे उपयुक्त नहीं माना गया.

स्थानीय लोगों को महत्व नहीं
हैरान करने वाली बात यह कि आयोजन की तैयारी से स्थानीय प्रभावशाली लोगों को नहीं जोड़ा गया है. इसका असर परिलक्षित हो रहा है. बागेश्वर धाम बाला जी महाराज के महात्म को लेकर धार्मिक जोश भरा जो माहौल दिखना चाहिये था, वैसा कुछ नहीं दिख रहा है. खलने वाली बात यह भी कि मौका-मुआयना के लिए आ रहे ‘बड़े लोग’ स्थानीय नेताओं को महत्व नहीं दे रहे हैं. दो-तीन दिन पहले केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) आये थे. वह भी ऐसे नेताओं को दुखी कर गये. पूर्व विधायक रामजन्म शर्मा (Ramjanam Sharma) का कहना है कि आयोजन समिति से स्थानीय प्रभावशाली लोगों का जुड़ाव रहता तो नजारा कुछ और दिखता. सामान्य समझ है कि पटना वाली समिति से अलग स्थानीय स्तर पर भी एक समिति बनाने की जरूरत थी. उससे जन सहभागिता बढ़ती. वैसे, बागेश्वर धाम को लेकर आम लोगों में अगाध आस्था है. उसके उफान में आयोजन समिति की तमाम खामियां विलीन हो जायेंगी.


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महंत का भी नहीं है सीधा जुड़ाव
यहां गौर करनेवाली बात यह भी है कि आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के कार्यक्रम को तरेत पाली मठ से जोड़कर प्रचारित किया जा रहा है. सनातन धर्मावलंबियों में इस पौराणिक मठ का काफी महत्व है. आयोजकों की ओर से कहा जो जा रहा हो, हनुमत कथा के आयोजन से इस मठ का कोई सीधा जुड़ाव नहीं है. महंत सुदर्शनाचार्य ने रविवार को तापमान लाइव से बातचीत में कहा कि कारण जो रहा हो, पटना में ‘हनुमत कथा’ के आयोजन की प्रशासनिक अनुमति नहीं मिली. आयोजकों ने विकल्प की बाबत उनसे आग्रह किया. उन्होंने मठ की जमीन उपलब्ध करा दी. बाद का काम जनता देख रही है. आवश्यकतानुसार मठ भी सहयोग करेगा. उन्होंने खुद इससे अधिक कुछ नहीं कहा. इसकी वजह मठ के जाति-धर्म के भेदभाव से परे रहना हो सकता है. इस संदर्भ में स्थानीय लोगों का कहना रहा कि आयोजन में महंत सुदर्शनाचार्य की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है. सब कुछ पटना की आयोजन समिति के हाथ में है. तरेत पाली मठ का सिर्फ नाम लिया जा रहा है. आधार क्या है, यह नहीं कहा जा सकता, पर इतने बड़े आयोजन की सुस्त तैयारी से बेफिक्र आयोजक समय पर सबकुछ पूरा हो जाने के प्रति आश्वस्त हैं.

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