फरकिया : जरुरत हैं संगठित अभियान की
राहत रंजन
25 जुलाई 2023
Khagaria : खगड़िया और मानसी से मां कात्यायनी (Maa Katyayani) स्थान जाने-आने का रेल मार्ग ही एकमात्र विकल्प है. पैदल के लिए खतरनाक पुलों को पार करना पड़ता है. बाइक वाले हठयोग करते हैं. अक्सर बाइक समेत कोई न कोई नदी में गिर जाया करता है. इस इलाके में खेती-बारी एवं दूध-घी का अच्छा खासा व्यवसाय है. सड़क मार्ग की सुविधा नहीं रहने से स्थानीय लोग पैसेंजर ट्रेन (Passenger Train) के जरिये ही घास-भूसा, दूध-दही, अनाज आदि ढोने की विवशता से दो-चार हैं.
बागमती पर नौकापुल
वैसे, स्थानीय मछुआरों ने बागमती नदी पर नौका पुल बना रखा था. अधिकतर लोग उसका इस्तेमाल करते थे. नौका पुल को प्रशासन की सहमति-स्वीकृति प्राप्त थी या नहीं, यह नहीं कहा जा सकता. इस पुल से कमाई खूब होती थी. इस कारण स्थानीय बाहुबलियों एवं दबंगों का स्वार्थ आधारित संरक्षण मिला हुआ था. संरक्षणदाताओं का सिंडीकेट (Syndicate) था, जिसमें एक पूर्व बाहुबली विधायक के भी शामिल रहने की बात कही जाती थी. एक तबके का मानना है कि सड़क पुल के निर्माण में नौका पुल से जुड़ा स्वार्थ भी बाधक बना हुआ है. जदयू (JDU) के पन्नालाल पटेल बेलदौर के विधायक हैं.
विधायक मौन क्यों?
मां कात्यायनी स्थान और स्टील ब्रिज स्थल उसी विधानसभा क्षेत्र के तहत हैं. बागमती (Bagmati) और कोशी (Koshi) के रिटायर रेल पुल खगड़िया विधानसभा क्षेत्र के तहत आते हैं. विधायक के मौन रहने का स्थानीय कारण हो सकता है, पर क्षेत्रीय सांसद चौधरी महबूब अली कैसर (Chaudhary Mehboob Ali Kaiser) की उदासीनता समझ से परे है. धमारा घाट (Dhamara Ghat) रेलवे स्टेशन हादसे के बाद सड़क पुल निर्माण के लिए सुप्रसिद्ध लोक गायक सुनील छैला बिहारी (Sunil Chaila Bihari) एवं जन अधिकार पार्टी के नेता नागेन्द्र सिंह त्यागी (Nagendra Singh Tyagi) समेत कई स्थानीय नेताओं ने आमरण-अनशन किया था. उसी दौरान पुल निर्माण का आश्वासन मिला था. सब कोरा साबित हुआ.
विकास आंदोलन का मुद्दा
मां कात्यायनी स्थान के विकास के लिए ‘फरकिया मिशन’ ने अभियान छेड़ रखा था. किरणदेव यादव (Kirandev Yadav) ‘फरकिया मिशन’ के संस्थापक अध्यक्ष हैं. उन्होंने मां कात्यायनी मंदिर के आय-व्यय में अनियमितता का आरोप तो उछाला ही था, मंदिर परिसर का अपेक्षित विकास नहीं होने को भी आंदोलन का मुद्दा बना रखा था. उनका आरोप था कि मां कात्यायनी धार्मिक न्यास समिति के उपाध्यक्ष युवराज शंभु (Yuvraj Shambhu) एवं उनके समर्थक सदस्यों ने मंदिर की आय में भारी गड़बड़ी की. हालांकि, उनके इस अभियान में अब कोई धार नहीं रह गया है, ऐसा स्थानीय लोगों का कहना है.
गबन का आरोप
आरोप उछले थे कि 16 फरवरी 2018 से 18 मार्च 2019 तक के आठ वैरागन के आय-व्यय का हिसाब रोकड़ पंजी में अंकित नहीं कर लगभग पांच लाख रुपये नगद एवं चढ़ावे के सोना-चांदी का गबन हुआ है. उपाध्यक्ष युवराज ने इस आरोप को निराधार और दुष्प्रचार बताया. उनके मुताबिक जिन आठ वैरागन की संग्रहित राशि के हजम कर जाने की अफवाह उड़ायी गयी, वह राशि न्यास समिति के बैंक खाते में उसी दौरान जमा है. बैंक-विवरण इसका प्रमाण है. इसी तरह कैलाश वर्मा (Kailash Verma) पर लगाये गये छड़-सीमेंट की चोरी के आरोप भी जांच में सही नहीं पाये गये.
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युवराज का है यह कहना
मां कात्यायनी मंदिर धार्मिक न्यास समिति के उपाध्यक्ष युवराज शंभु चौथम राज (Chautham Raj) के अंतिम वारिस हैं. उनका कहना है कि यह सुनियोजित दुष्प्रचार वैसे लोगों द्वारा किया जा रहा है जो मां कात्यायनी मंदिर की आय को चूहे की तरह कुतर रहे हैं. पहले इस आय की लूट होती थी. उगाही कुछ होती थी और न्यास समिति के खाते में कुछ जमा होता था. उनके उपाध्यक्ष बनने के बाद इस पर अंकुश लगा तब साजिशन उन्हें और उनके समर्थक सदस्यों को अनर्गल आरोपों के घेरे में लाया गया.
चौथम राज की ‘कुल देवी ’
युवराज शंभु के मुताबिक मां कात्यायनी स्थान पर एक जाति विशेष के लोग काबिज होना चाहते हैं. उसी जाति के कतिपय दबंग और आपराधिक छवि के लोग उनके खिलाफ कुचक्र रच रहे हैं. न्यास समिति के पूर्व सदस्य निरंजन यादव (Niranjan Yadav) को वह इस कुचक्र का मास्टरमाइंड मानते हैं. उनकी मानें तो पूर्व जिला पार्षद अरुण यादव (Arun Yadav) भी मंदिर के विकास में व्यवधान खड़ा करते रहे हैं. युवराज शंभु ने मां कात्यायनी स्थान को पुश्तैनी साबित करने के प्रयास के आरोप को भी निराधार बताया. उनका कहना रहा कि यह मंदिर चौथम राज का नहीं, सार्वजनिक है. पर, इस सच को झुठलाया नहीं जा सकता कि यह ‘चौथम राज’ की कुल देवी हैं. यह इतिहास में वर्णित है और स्थानीय लोकगीत ‘आरहयिन’ में भी इसकी चर्चा है.
सब का है यह लक्ष्य
आरोप-प्रत्यारोप अपनी जगह है, किरणदेव यादव ने बागमती और कोशी नदियों पर सड़क पुल के साथ-साथ मां कात्यायनी स्थान को पर्यटन स्थल (Tourist Spot) घोषित करने की मांग भी उठायी थी. इसके लिए आंदोलन भी चलाया था. जन अधिकार पार्टी के नेता नागेन्द्र सिंह त्यागी, सुप्रसिद्ध लोक गायक छैला बिहारी और धार्मिक न्यास समिति के उपाध्यक्ष युवराज शंभु, सब किसी का लक्ष्य यही है. अलग-अलग वे प्रयासरत भी हैं. पर, जरूरत संगठित अभियान की है. पर बड़ा सवाल यह है कि वैमनस्यता भरे माहौल में ऐसा संभव है क्या?
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फरकिया : धार्मिक न्यास समिति में भी हैं विवाद
#tapmanlive चित्र : सोशल मीडिया