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सीतामढ़ी : हाशिये पर चले जायेंगे सुनील कुमार पिंटू?

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मदनमोहन ठाकुर
06 सितम्बर 2023

Sitamarhi : 2024 का लोकसभा चुनाव अभी तकरीबन आठ माह दूर है. राजग (NDA) और महागठबंधन के अंदर जोड़-तोड़ का जो दौर चल रहा है उसमें परिणाम की बात दूर, उम्मीदवारी को लेकर भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है. दोनों गठबंधनों में अलग-अलग दलों के दावेदार कई हैं. परन्तु, यह सीट किस घटक दल के कोटे में जायेगी, अभी स्पष्ट नहीं हुआ है. राजग में भाजपा (BJP) खुद मैदान में उतरेगी या सहयोगी दल को अवसर उपलब्ध करायेगी, आधिकारिक तौर पर इस पर भी कोई कुछ नहीं बोल रहा है. यही कारण है कि स्थानीय नेताओं-कार्यकर्त्ताओं में चुनाव की बाबत कोई अतिरिक्त उत्साह नहीं जग पा रहा है. महागठबंधन में भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं.

कोई संभावना नहीं
लेकिन, इन सब बातों के बीच राजनीतिक हलकों में यह सवाल अवश्य तैर रहा है कि क्षेत्रीय जदयू सांसद सुनील कुमार पिंटू (Sunil Kumar Pintu) लोकसभा की अपनी सदस्यता आगे भी बनाये रख पायेंगे या काल के प्रवाह में हाशिये पर चले जायेंगे? राजनीति संभावनाओं का खेल है. सीटिंग होने के नाते अवसर उपलब्ध हो जाये तो वह कोई अचरज की बात नहीं होगी. किसी कारणवश जदयू (JDU) उन्हें उगल देता है, तो वह दर्शक दीर्घा में ही बैठे नजर आ सकते हैं. पूर्व में भाजपा से जुड़े रहने के बावजूद इस रूप में वापसी हो जायेगी इसकी दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं दिखती है.

एक अनार सौ बीमार
विश्लेषकों का मानना है कि सीतामढ़ी की सीट महागठबंधन में जदयू के कोटे में गयी तो वहां ‘एक अनार सौ बीमार’ वाली स्थिति पैदा हो जा सकती है. सीटिंग होने की वजह से सुनील कुमार पिंटू की दावेदारी अपनी जगह बरकरार है. वैसे, इसके अलावा उनके दावे का अन्य कोई आधार नहीं है. 2019 में किस्मत उन्हें लोकसभा (Lok Sabha) में खींच ले गयी. इस बार भी अवसर मिलता है, तो उसे किस्मत का ही खेल माना जायेगा, काबिलियत (Ability) का नहीं. उनके इसी कमजोर पक्ष को देखते हुए सुरसंड के विधायक दिलीप राय और विधान पार्षद रेखा कुमारी ने भी अपनी दावेदारी पेश कर रखी है. संसदीय क्षेत्र (Parliamentary Area) में अपने-अपने स्तर से दोनों का प्रारंभिक अंदरुनी अभियान भी चल रहा है.

महतो की महत्वाकांक्षा
क्षेत्र के लोगों को अहसास हो रहा है कि विधान पार्षद रामेश्वर महतो (Rameshwar Mahto) की महत्वाकांक्षा भी उफान खा रही है. तकनीकी तौर पर वह जदयू में हैं, पर उनकी निष्ठा रालोजद (RLJP) सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को समर्पित है, ऐसा राजनीति महसूस करती है. रामेश्वर महतो के बारे में कहा जाता है कि जदयू में इन दिनों उनका रुख थोड़ा तल्ख है, तो उसके पीछे सीतामढ़ी संसदीय क्षेत्र (Sitamarhi Parliamentary Constituency) से उम्मीदवारी पाने की मंशा ही है. वैसे, जदयू में संभावना नहीं बनी, तो वह उपेन्द्र कुशवाहा के कोटे से राजग का उम्मीदवार बन जा सकते हैं. ऐसी चर्चा है कि स्थानीय राजनीतिक एवं सामाजिक समीकरणों के अनुकूल उम्मीदवार नहीं रहने की स्थिति में भाजपा यह सीट रालोजद के हिस्से में दे सकती है.रालोजद का राजग से जुड़ाव हुआ तब.

देवेश चन्द्र ठाकुर की इच्छा
विश्लेषकों की नजर में जदयू में बिहार विधान परिष्द (Bihar Legislative Council) के सभापति देवेश चन्द्र ठाकुर (Devesh Chandra Thakur) भी एक मजबूत दावेदार हैं. लेकिन, उनकी इस दीर्घ इच्छा की पूर्त्ति जदयू नेतृत्व की गंभीरता और राजद नेतृत्व की स्वीकार्यता पर निर्भर करेगी. वैसे तो इस क्षेत्र का सामाजिक समीकरण किसी भी रूप में उनके अनुकूल प्रतीत नहीं होता है, इसके बावजूद महागठबंधन में जदयू की उम्मीदवारी मिलती है, तो वह इस मिथक को तोड़ दे सकते हैं. ऐसा विश्लेषकों का मानना है. आधार यह कि उनके मामले में स्थानीय सामाजिक समीकरण कोई मायने नहीं रखता है. उन्हें सर्वदलीय-सर्ववर्गीय समर्थन हासिल है.

दिलीप राय का दावा
इस संसदीय क्षेत्र में सीतामढ़ी, सोनवर्षा, बथनाहा, परिहार, सुरसंड, चोरौत, पुपरी, बाजपट्टी, नानपुर, बोखड़ा, रून्नीसैदपुर एवं डुमरा प्रखंड समाहित हैं. सुरसंड विधानसभा क्षेत्र (Sursand Assembly Constituency) से दिलीप राय जदयू के विधायक हैं. सामाजिक समीकरण उनके अनुकूल रहने की बात कही जाती है. दिलीप राय ने पूर्व में बिहार विधान परिषद के सीतामढ़ी-शिवहर स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र से खुद के बूते जीत हासिल कर स्थानीय राजनीति में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करायी थी. इसके बाद 2020 में उन्होंने सुरसंड में राजद के बेहद सक्षम-समर्थ उम्मीदवार पूर्व विधायक अबू दोजाना (Abu Dojana) को शिकस्त दे अपना सिक्का जमा लिया. आर्थिक रूप से मजबूत अबू दोजाना को पछाड़ देना कोई साधारण बात नहीं थी.

रेखा कुमारी भी दावेदार
विधायक दिलीप राय (Dilip Rai) के अब तक के राजनीतिक जीवन की इन दो बड़ी उपलब्धियां संसदीय चुनाव की बाबत उनकी दावेदारी को ठोस आधार प्रदान करती है. जदयू की विधान पार्षद रेखा कुमारी डा. मनोज की पत्नी हैं, वह भी संसदीय चुनाव लड़ने की इच्छा रखती हैं. हालांकि, इसके प्रति ज्यादा आशान्वित नहीं हैं. बस, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से ‘कृपा’ की उन्होेंने आस लगा रखी हैं. उनकी समझ है कि जदयू में वर्तमान सांसद सुनील कुमार पिंटू का विकल्प तलाशा गया तो वैश्य समाज से होने के कारण उन्हें अवसर उपलब्ध हो जा सकता है. विश्लेषकों की समझ है कि जदयू रेखा कुमारी (Rekha Kumari) को संसदीय चुनाव में उम्मीदवार बनाता है तो अपनी काबिलियत और पति की हैसियत की बदौलत वह चुनाव के रुख को मोड़ दे सकती हैं. रून्नीसैदपुर (Runnisaidpur) में जदयू की कमान विधायक पंकज कुमार मिश्र ने संभाल रखी है. वह संसदीय चुनाव में उम्मीदवारी की होड़ से बाहर हैं.

राजद में मुकेश कुमार यादव
बाजपट्टी से राजद के मुकेश कुमार यादव (Mukesh Kumar Yadav) विधायक हैं. महागठबंधन में यह सीट राजद के कोटे में गयी तो सीतामढ़ी संसदीय क्षेत्र से उनकी दावेदारी को नजरंदाज करना पार्टी नेतृत्व के लिए आसान नहीं होगा. मुकेश कुमार यादव पहले प्रखंड की राजनीति करते थे. उस राजनीति में सक्रियता अब भी बनी हुई है. उनकी पत्नी रिंकू कुमारी ददरी ग्राम पंचायत की मुखिया हैं. सीतामढ़ी जिले में 17 प्रखंड हैं. मुकेश कुमार यादव लंबे समय तक जिला प्रखंड प्रमुख संघ के अध्यक्ष रहे हैं. इससे उनके राजनीतिक आधार एवं जनाधार को विस्तार मिला है. उसी के बल पर उन्होंने 2020 में बाजपट्टी विधानसभा क्षेत्र में जदयू की पूर्व मंत्री रंजू गीता जैसी धनाढ्य हस्ती को चुनावी अखाड़े में पछाड़ दिया.

कबू खिरहर में है दम
राजद के दूसरे दावेदार शैलेन्द्र कुमार उर्फ कबू खिरहर (Shailendra Kumar urf Kabu Khirhar) के चुनावी दमखम को भी कमतर नहीं आंका जा सकता. गृह पंचायत के मुखिया एवं मुखिया संघ के अध्यक्ष रहकर उन्होंने अपनी सामाजिक हैसियत तो बढ़ायी ही, जन सरोकारों से गहरे जुड़ाव के कारण उनकी जन स्वीर्कायता भी बढ़ी है. इसी को दृष्टिगत रख राजद नेतृत्व ने विधान परिषद के पिछले चुनाव में इन्हें सीतामढ़ी-शिवहर स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था. थोड़े मतों से वह पिछड़ अवश्य गये थे, पर उनकी चुनावी उपलब्धि ने उन्हें एक लोकप्रिय नेता की पहचान तो दे ही दी है. राजद में एक और दावेदार हैं सुधीर कुंवर और उनकी पत्नी मधु प्रिया. सुधीर कुंवर ने मधु प्रिया को सीतामढ़ी-शिवहर सेंट्रल को- ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष पद पर दोबारा निर्वाचित करा फिर से अपनी रणनीतिक काबिलियत स्थापित कर दी है.


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सुधीर कुंवर व मधु प्रिया
मधु प्रिया (Madhu Priya) की यह जीत निस्संदेह सुधीर कुंवर की व्यक्तिगत उपलब्धि है. मधु प्रिया बिस्कोमान (Biscomaan) के निदेशक के चुनाव में भी निर्वाचित हुईं. कहा जाता है कि सुधीर कुंवर की पीठ पर फिलहाल बिस्कोमान के अध्यक्ष विधान पार्षद सुनील सिंह (Sunil Singh) का हाथ है. सुनील सिंह लालू-राबड़ी (Lalu-Rabri) परिवार के निकटस्थों में गिने जाते हैं. जिला स्तर पर राजद संगठन को मजबूत बनाने में जलालुद्दीन खां और उनके पुत्र सफीक खां का भी योगदान रहता है. वह सीतामढ़ी नगर परिषद के अध्यक्ष रह चुके हैं. पूर्व सांसद अर्जुन राय भी राजद की उम्मीदवारी के प्रति आशान्वित थे. अपने संरक्षक पूर्व केन्द्रीय मंत्री शरद यादव (Sharad Yadav) के निधन के बाद से वह हताश-निराश हो गये हैं. उनकी हताशा और निराशा उनके बयानों से भी टपकती रहती है. शायद वह कोई दूसरा सियासी ठांव तलाश रहे हैं. वैसा कुछ मिलता भी है या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा.

भाजपा में कोई दमदार नहीं
जिले के कुल छह विधानसभा क्षेत्रों में तीन पर भाजपा काबिज है. सीतामढ़ी से डा. मिथिलेश कुमार, परिहार से गायत्री देवी और बथनाहा से अनिल कुमार उसके विधायक हैं. इस लिहाज से इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा की स्थिति अपेक्षाकृत कुछ अधिक मजबूत दिखती है. परन्तु, उसके साथ परेशानी यह है कि स्थानीय स्तर पर पार्टी में ऐसा कोई सक्षम-समर्थ नेता नहीं दिख रहा है, जिसमें सीतामढ़ी संसदीय क्षेत्र में जीत दिलाने का सामर्थ्य हो. पूर्व सांसद सीताराम यादव (Sitaram Yadav) केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव के प्रभाव में आकर भाजपा में शामिल तो हो गये, पर अब उन्हें इसका पछतावा हो रहा है. भाजपा में बिहार के मामलों में भूपेन्द्र यादव (Bhupendra Yadav) का अब पहले जैसा महत्व नहीं है. सीताराम यादव को पछतावा मुख्य रूप से इसी बात को लेकर है. वैसे, उनकी उम्र भी 65 वर्ष पार कर चुकी है. इसके मद्देनजर वह अपनी पुत्रवधू उषा किरण की संभावना संवारते दिख रहे हैं.

नित्यानंद राय की चर्चा
सीतामढ़ी जिला परिषद के सदस्य रह चुके भाजपा कार्यकर्ता विश्वनाथ मिश्र का कहना है कि परिस्थितियां जो भी हो इस क्षेत्र से भाजपा अपना उम्मीदवार उतारेगी. अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण का लाभ इसे सीतामढ़ी में भी मिलेगा. इसी के मद्देनजर केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय (Nityanand Rai) को यहां के अखाड़े में उतारने की चर्चा है. नित्यानंद राय अभी उजियारपुर से सांसद हैं. उजियारपुर की सीट उपेन्द्र कुशवाहा के कोटे में जाने की संभावना जतायी जा रही है. चर्चा यह भी है कि राजग में सीतामढ़ी की सीट लोजपा (रामविलास) (LJP ‘R’) के कोटे में गयी तो आलोक कुमार चौधरी पिंटू या फिर शिवहर जिला लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष विजय कुमार पांडेय को मौका मिल सकता है.

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