दिनकर भूमि सिमरिया : एक नेता गया, दूसरा आया…
अश्विनी कुमार आलोक
19 सितम्बर 2023
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के देहांत के बाद उनकी जन्मभूमि पर आकर जन्मोत्सव मनाने के एक दिवसीय कार्यक्रम अनेक वर्षों तक चले. इस कार्यक्रम में राजनेताओं ने घोषणाएं की, आश्वासन दिये. साहित्यकारों ने दिनकर की जन्मभूमि को साहित्य तीर्थ मानकर उसके विकास की आवश्यकता बतायी, तो ग्रामीणों ने आधारभूत संरचनाओं की उपलब्धि के लिए अपनी स्वाभाविक इच्छाएं भी प्रकर कर दीं. ऐसा ही एक वर्ष आया 1988 का, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दूबे (Bindeshwari Dubey) ने मंच पर खड़े होकर सिमरिया को आदर्श ग्राम (Model Village) घोषित कर दिया और आवश्यक सुविधएं देने का आश्वासन देकर चले गये. मुख्यमंत्री के मुंह से सिमरिया (Simaria) के लिए ‘आदर्श ग्राम’ जैसी विशिष्ट पदवी सुन चुके स्थानीय लोगों ने अपने गांव का नाम ‘आदर्श ग्राम सिमरिया’ लिखना-बोलना शुरू भी कर दिया.
‘आदर्श ग्राम’ का भ्रम
भ्रम को ग्रामीणों ने करीब एक दशक तक संभालकर रखा भी, परंतु कोई परिवर्तन न दिखा. लोग ‘सिमरिया’ पर आकर टिक गये. एक नेता गया, दूसरा आया. घोषणाएं कीं और भूल गये. तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. सी. पी. ठाकुर (Dr. C.P. Thakur) ने चौबीस घंटे कार्यरत रहनेवाले तीस बेड के रेफरल अस्पताल का निर्माण करवाने की घोषणा की. परन्तु, सिमरिया गांव में आज भी महज एक अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र है, जिसमें दो चिकित्सक पदस्थापित हैं, सुविधाएं नदारद हैं. किसी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने आप्टिकल फाइबर संयंत्र स्थापित करने एवं स्थानीय युवकों को रोजगार (Employment) देने की भी बात की, लोग यह भी याद कर रहे हैं. वर्ष 2006 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री वृष्णि पटेल (Vrishni Patel) ने प्लस टू विद्यालय की स्थापना का आश्वासन दिया था.
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फिर कभी सिमरिया नहीं आयीं
शिक्षा मंत्री (Education Minister) की घोषणा के चौदह वर्षों के बाद दो वर्ष पूर्व रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (Ramdhari Singh ‘Dinkar’) स्मारक उच्च विद्यालय को प्लस टू विद्यालय के रूप में उत्क्रमित किया गया, लेकिन शिक्षक और दूसरी सुविधाओं की जरूरत सरकार ने नहीं समझी. ऐसे ही कभी जब कांग्रेस (Congress) की सरकार थी, तो तत्कालीन क्षेत्रीय सांसद कृष्णा शाही के मुंह से निकल गया था कि वह बरौनी रिफाइनरी परिसर में पेट्रोकेमिकल यूनिट लगायेंगी. जब कुछ वर्षों बाद दिनकर जयंती के मंच पर संचालक रामाज्ञा राय शशिधर ने कृष्णा शाही को उस घोषणा की याद दिलायी, तो वह गुस्से में यहां तक बोल गयीं कि फिर कभी सिमरिया नहीं आयेंगी.
तीन रुपये भी नहीं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के निर्देश पर सांसदों को विकास के लिए एक-एक गांव गोद लेने को कहा गया था. सांसद भोला सिंह (Bhola Singh) ने सिमरिया को गोद लेकर तीन करोड़ रुपये की बड़ी राशि से गांव का विकास करने का आश्वासन दिया था. लेकिन, जेब से तीन रुपये भी नहीं निकले. सांसद निधि (Parliamentarian Fund) से गांव के विकास के लिए योजनाओं का कुछ पता नहीं चला. दूसरी किसी योजना से भी कोई काम नहीं हुआ. इन दिनों सांसद हैं गिरिराज सिंह (Giriraj Singh). लेकिन, उनका रिश्ता सिर्फ आने और जाने से है, दिनकर ग्राम के लिए किसी बड़ी कार्य योजना के लिए शायद उन्हें फुर्सत नहीं.
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