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उपचुनाव : पूरी हो पायेगी देवरानी की कामना?

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राजेश पाठक
12 दिसम्बर 2023

Chhapra : शहर में चुनाव का रंग जम रहा है. संसदीय चुनाव का नहीं, छपरा नगर निगम के महापौर पद के उपचुनाव का. उपचुनाव की नौबत राखी गुप्ता (Rakhi Gupta) की महापौर पद से ‘बर्खास्तगी’ की वजह से आयी है. शहर के बड़े सर्राफा व्यवसायी वरुण प्रकाश की पत्नी राखी गुप्ता साल भर पहले अक्तूबर 2022 में कानून की आंखों में धूल झोंक महापौर पद पर आसीन हो गयी थीं. इस रूप में नये दायित्वों को वह समझ ही रही थीं कि आसन के नीचे की जमीन खिसक गयी. स्वाभाविक रूप से मुंह के बल गिर गयीं, महापौर (Mayor) का पद छीन गया. मामला तीन संतान रहते चुनाव लड़ने व जीतने का था.

सुनीता देवी ने उठाया
इसे उनकी और उनके पति की चालाकी कहें या नासमझी या फिर धन की बदौलत असंभव को संभव बना देने का दंभ, कानून को ठेंगा दिखा तीन संतान रहते चुनाव लड़ गयीं. हैरानी की बात यह कि इस तथ्य के संबद्ध निर्वाची पदाधिकारी के संज्ञान में रहने के बावजूद उन्हें चुनाव लड़ने से रोका नहीं गया. वह नियम विरुद्ध महापौर निर्वाचित हो गयीं. छपरा के दहियावां टोला निवासी शत्रुघ्न राय उर्फ नन्हें राय की पत्नी पूर्व महापौर सुनीता देवी ने अवैध निर्वाचन (Illegal Election) के इस मुद्दे को राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष उठाया. महापौर पद के चुनाव में सुनीता देवी भी उम्मीदवार थीं, तीसरे स्थान पर रही थीं. राखी गुप्ता का मुकाबला रफी इकबाल से हुआ था. राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) ने सुनीता देवी के आवेदन को गंभीरता से लिया और मामले की सुनवाई के बाद महापौर पद पर राखी गुप्ता के निर्वाचन को निरस्त कर दिया.

मिलेगा आशीर्वाद?
जेठानी की मुलायम हथेली से बड़ी बेदर्दी से फिसल गयी छपरा नगर निगम की सत्ता अब देवरानी की मुट्ठी में आ जायेगी? धीरे-धीरे ही सही, जोर पकड़ रही उपचुनाव की चर्चाओं में यह सवाल भी महत्वपूर्ण जगह बनाये हुए है. इस रूप में कि देवरानी चांदनी प्रकाश महापौर पद के उपचुनाव में उम्मीदवार बनती हैं, तो पदमुक्त महापौर जेठानी राखी गुप्ता और उनके पति वरुण प्रकाश का ‘विजयी भव’ का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त होगा? शायद नहीं. तर्क यह कि दुनिया की रीति की तरह जेठानी और देवरानी में अहं का टकराव तो है ही, सामाजिकता की भी अपनी अलग-अलग धारा है.


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आपस में बनाव नहीं
कहने का तात्पर्य यह कि किसी भी रूप में इनमें आपस में कोई बनाव नहीं है. न पारिवारिक, न सामाजिक और न राजनीतिक. आपसी कटुता के ऐसे माहौल के बीच महापौर पद से राखी गुप्ता की फजीहत भरी विदाई ने उसको कुछ अधिक विस्तार दे दिया है. राखी गुप्ता और उनके पति वरुण प्रकाश को संदेह है कि महापौर पद के विवाद में फ्रंट पर भले सुनीता देवी थीं, पृष्ठभूमि चांदनी प्रकाश और उनके पति अरुण प्रकाश ने बनायी थी. मतलब तमाम पारिवारिक जानकारियां उन्हें इन दोनों ने ही उपलब्ध करायी थी. राखी गुप्ता के इस संदेह में सच्चाई कितनी है, यह कहना कठिन है. वैसे, इसमें थोड़ी भी सच्चाई है, तो फिर चांदनी प्रकाश की उम्मीदवारी को राखी गुप्ता एवं वरुण प्रकाश का समर्थन कैसे मिलेगा?

तब संभावना बढ़ जायेगी
यह लगभग तय है कि वरुण प्रकाश का ‘अपना’ यानी परिवार का कोई उम्मीदवार (Candidate) नहीं होगा. चुनाव के अंतिम दौर में ‘भ्रातृत्व प्रेम’ जग जाये और अरुण प्रकाश को ‘अपना’ मान लें, तो वह अलग बात होगी. विश्लेषकों का मानना है कि संयोगवश ऐसा हुआ तब छपरा नगर निगम की सत्ता चांदनी प्रकाश की मुट्ठी में आ जाने की संभावना (Possibility) बढ़ जायेगी. बशर्ते कि चांदनी प्रकाश मैदान में उतरती हैं.

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