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उपचुनाव : एकजुट हो गये गैर स्वर्णकार वैश्य तब?

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राजेश पाठक
14 दिसम्बर 2023

Chhapra : हुआ भी वैसा ही. छपरा नगर निगम क्षेत्र में वैश्य मतों की बहुलता है. उनमें स्वर्णकार समाज के मत अपेक्षाकृत अधिक हैं. गैर स्वर्णकार मतों में विभाजन कहिये या वरुण प्रकाश का चुनाव – कौशल, 2022 के चुनाव में महापौर और उपमहापौर दोनों ही पदों पर स्वर्णकार समाज की महिलाएं काबिज हो गयीं. एक ही जाति को दोनों महत्वपूर्ण पद को लेकर गैर स्वर्णकार वैश्यों में जबर्दस्त प्रतिक्रिया हुई. उसका असर महापौर (Mayor) पद के उपचुनाव में दिख सकता है. जिला वैश्य महासभा के अध्यक्ष पूर्व मुखिया वीरेन्द्र कुमार साह पिछले चुनाव में वैश्य मतों में विभाजन कराने में सफल नहीं हो पाये थे. वह कानू जाति से हैं. वैश्य बिरादरी की दूसरी जाति को अवसर मिलने को मुद्दा बना वह अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने में पूरी मुस्तैदी से जुटे हैं, ऐसा शहर के लोग देख रहे हैं.

स्वर्णकार ही क्यों?
वैश्य समाज के अंदर यह सवाल जोरदार तरीके से उठ रहा है कि स्वर्णकार ही क्यों? कानू-हलवाई क्यों नहीं? इन सुलगते सवालों के बीच स्वर्णकार समाज से ही आने वाले समाजसेवक कृष्ण कुमार वैष्णवी की पत्नी नूतन देवी की संभावना को भी मजबूती मिल रही है. नूतन देवी (Nutan Devi) पिछले चुनाव में भी उम्मीदवार थीं. कृष्ण कुमार वैष्णवी वैश्य मतों को गोलबंद करने में सफल नहीं हो पाये थे. महापौर पद का उपचुनाव (By-election) लड़ने की चाहत कई शैक्षणिक संस्थानों के संस्थापक परिवार से आने वाले राजेशनाथ प्रसाद की पत्नी अमृतांजलि सोनी की भी थी. जनसुराज से जुड़ाव के बाद इरादा शायद बदल गया है. शहर में श्याम बिहारी अग्रवाल की दावेदारी की चर्चा भी खूब हो रही है.


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कायम रहेगी गोलबंदी?
पिछले चुनाव में अप्रत्याशित ढंग से दूसरे स्थान पर रह सुनीता देवी के अरमानों पर पानी फेर देने वाले रफी इकबाल का जुड़ाव भी जन सुराज (Jan Suraj) से हो गया है. महापौर के चुनाव में ऐसी बुलंदी उन्हें अल्पसंख्यक मतों (Minority Votes) की एकजुटता से मिली थी. ‘माय’ की माया को त्याग इस समुदाय के मतदाता उनके पक्ष में गोलबंद हो गये थे. उपचुनाव में भी वह गोलबंदी कायम रहेगी, इसकी संभावना (Possibility) इस कारण सिमटी – सिकुड़ी सी दिखती है कि उपमहापौर के चुनाव में दमखम दिखा राजनीति को चौंका देने वाले अब्दुल क्यूम अंसारी भी महापौर पद के उपचुनाव में ताल ठोकने का मन बनाये हुए हैं. अप्रत्यक्ष रूप से उनके पीछे कला – संस्कृति मंत्री जितेन्द्र कुमार राय (Jitendra Kumar Rai) की ताकत खप रही है.

देखना दिलचस्प होगा
ऐसी चर्चा है कि जितेन्द्र कुमार राय राजद से जुड़े अब्दुल क्यूम अंसारी की जीत के लिए नहीं, रफी इकबाल के मंसूबों को ध्वस्त करने के मकसद से ऐसा कर रहे हैं. संभवतः स्थानीय स्तर पर ‘माय’ समीकरण में बिखराव को लेकर वह उनसे खार खाये हुए हैं. जितेन्द्र कुमार राय की यह रणनीति सफल हो पाती है या नहीं, यह वक्त के गर्भ में है. उपचुनाव में रफी इकबाल को जन सुराज का समर्थन मिलता है, प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) उनके लिए अभियान चलाते हैं या वह स्वतंत्र उम्मीदवार होते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा.

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