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पति या पत्नी…किसने किया कत्ल? यह है रहस्य !

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अतीश दीपंकर
17 अगस्त 2024

Bhagalpur : न कोई चश्मदीद, न कोई ठोस सबूत … क्रूरतम कत्ल के गबाह हैं तो सिर्फ उस अभिशप्त सरकारी आवास की शोक संतप्त दीवारें जिसने देखा तो सब‌ कुछ है, पर लाख कोशिशों के बावजूद बयां कुछ भी नहीं कर सकती हैं. इसी तरह मौका- ए – वारदात सबूत मिले भी‌ हैं तो धुले – पोछे. किसी काम के लायक नहीं. यही उलझन है भागलपुर पुलिस की. ऐसे में वह कैसे तय करे कि महिला सिपाही (Female Constable) और उसके चार अपनों की हत्या किसने की?

यह है बड़ा सवाल

भागलपुर पुलिस लाइन में 12 – 13 अगस्त 2024 की दरमियानी रात में हुई पांच लोगों की हत्या से संपूर्ण बिहार स्तब्ध रह गया. सिहरन इस रूप में पसर गयी कि जब पुलिस परिसर में ऐसी जघन्य वारदात (Heinous Crime) हो सकती है तो फिर सामान्य जगहों में क्या होगा? हत्या महिला सिपाही नीतू कुमारी (Neetu Kumari) और उसके परिवार के चार सदस्यों की हुई. पति पंकज सिंह, सास आशा देवी और दो मासूम बच्चों – साढ़े चार साल का बेटा शिवांश उर्फ शिबू और तीन साल की बेटी श्रेया उर्फ बुच्ची की. चार‌ लाशें इधर- उधर बिखरी थीं. पंकज सिंह का शव छत के हूक से लटका था.

मुकम्मल खुलासा नहीं

पुलिस परिसर में इस ह्दयविदारक घटना (Heartbreaking Incident) को अंजाम किसने दिया इसका मुकम्मल खुलासा नहीं हुआ है. इसकी गुत्थी इतनी उलझी हुई है कि मुकम्मल खुलासा (Full Disclosure) शायद कभी होगा भी नहीं. वैसे, माना यही जा रहा है कि महिला सिपाही नीतू कुमारी के पति पंकज सिंह ने पत्नी, बच्चे और मां की हत्या करने के बाद खुदकुशी (Suicide) कर ली. नीतू कुमारी के मामा नागेन्द्र ठाकुर ने‌ इसी आशय की प्राथमिकी इशाकचक थाने में दर्ज करायी है. नागेन्द्र ठाकुर पुलिस जमादार के तौर पर समस्तीपुर में कार्यरत हैं.

सत्यापन होना बाकी है

मामले की गुत्थी कुछ इस वजह से भी उलझ गयी है कि पुलिस को वारदात स्थल से एक सुसाइड नोट मिला है. संभवतः वह पंकज सिंह का लिखा हुआ है. उसमें कहा गया है कि नीतू कुमारी ने बच्चों और अपनी सास की हत्या गला रेत कर कर दी. इस गुस्से में पंकज सिंह ने नीतू कुमारी की हत्या कर दी. फंसरी लगा खुद भी जान दे दी. सुसाइड नोट पंकज सिंह का लिखा तो प्रतीत होता है, परन्तु, यह वारदात के पहले का लिखा है या नीतू कुमारी को मौत की नींद सुलाने के बाद उसने लिखा है, इसका सत्यापन (Verification) होना बाकी‌ है.


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खारिज भी नहीं किया जा सकता

बताया जाता है कि सुसाइड नोट दो पन्ने का है. संदेह यह जताया जा रहा है कि पंकज सिंह ने सुसाइड नोट पहले लिख दिया और फिर एक – एक कर सब का गला रेत दिया. अंत में खुद मौत के फंदे से झूल गया. संदेह (Doubt) को मजबूती इससे मिलती है कि चार अपनों की लाशों के बीच बैठ कर इतना लम्बा सुसाइड नोट लिखने की मन:स्थिति रह जाती है क्या? तब भी हालात के मद्देनजर इस सुसाइड नोट को एकबारगी खारिज भी नहीं किया जा सकता.

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