वक्फ बोर्ड : पर कतरने की जरूरत क्यों?
अनिल विभाकर
24 नवम्बर 2024
इन दिनों वक्फ बोर्ड (waqf Board) और इसे मिले संविधान विरुद्ध असीमित अधिकारों को लेकर देश में माहौल बहुत गर्म है. वजह यह
है कि केंद्र में लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में बनी राजग सरकार ने वक्फ बोर्ड के पर कतरने की कार्रवाई शुरू कर दी है. संसद के पिछले सत्र में केंद्र सरकार (Central government) ने वक्फ कानून में संशोधन के लिए विधेयक पेश कर दिया. मुसलमानों के वोट के लिए तुष्टिकरण में अंधे विपक्षी दलों ने इस पर भारी हंगामा किया. इसके बाद सरकार ने इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (joint parliamentary committi) के पास भेज दिया. जगदम्बिका पाल (Jagdambika Pal) की अध्यक्षता में बनी यह समिति इस पर गंभीरता से विचार कर रही है. कांग्रेस (Congress) की सरकार ने दरअसल वक्फ बोर्ड को इतने असीमित अधिकार दे दिये कि वक्फ बोर्ड अब खुलेआम मनमानी कर रहा है. हिन्दुओं के दो हजार साल पुराने धर्मस्थलों तक को वह वक्फ की सम्पत्ति बता रहा है.
पुश्तैनी जमीन पर ठोंक दिया दावा
बिहार (Bihar) में पटना (Patna) जिले के फतुहा (Fatuha) में वक्फ बोर्ड ने कुछ लोगों की पुश्तैनी जमीन पर अपना दावा ठोक दिया. वक्फ बोर्ड ने इसी तरह चुपके-चुपके तमिलनाडु (Tamil Nadu) के कई वैसे गांवों को भी वक्फ की सम्पत्ति बता दी जहां डेढ़ हजार साल से भी पुराने मंदिर हैं जबकि इस्लाम धर्म ही चौदह सौ साल पुराना है. वक्फ बोर्ड का यह असीमित अधिकार समाप्त करना बहुत जरूरी है. केंद्र सरकार इसकी तैयारी में है जिससे एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) खासे खफा हैं. खफा तो देवबंद के मौलाना नदवी, भगोड़ा आतंकवादी जाकिर नाइक सहित मुसलमानों के और भी कई नेता हैं जो केंद्र सरकार के इस संशोधन विधेयक को इस्लाम के विरुद्ध बता रहे हैं. असदुद्दीन ओवैसी तो सरकार की इस तैयारी के खिलाफ पूरे देश के मुसलमानों को खुलेआम भड़का रहे हैं. मुसलमानों को यह कह बरगला रहे हैं कि मोदी सरकार मस्जिदें, मजार और कब्रिस्तान छीनने के लिए यह बिल लायी है.
यह कानून देता है असीमित अधिकार
गौर करने की बात यह है कि दुनिया के ढेर सारे मुस्लिम मुल्कों में न वक्फ बोर्ड है और न ही ऐसा कोई कानून. कुरान शरीफ (Quran Sharif) में भी वक्फ बोर्ड या वक्फ कानून का कोई जिक्र नहीं है. बावजूद इसके पूरे देश में मुल्ले और मुसलमानों के नेता तूफान मचाये हुए हैं. उन्हें इसमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी,टीएमसी और वामपंथी दलों का भरपूर समर्थन मिल रहा है. ताज्जुब यह कि इसमें पाकिस्तान (Pakistan) की आईएसआई और चीन (China) भी कूद पड़ा है. यहां यह बताना जरूरी है कि वक्फ को मिले असीमित अधिकारों पर दो साल पहले समकालीन तापमान के अपने इसी कालम में मैंने लिखा था. तब बहुत कम लोगों ने इसे गंभीरता से लिया था . ‘संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है वक्फ कानून ’ शीर्षक से लिखे उस कालम में मैंने वक्फ बोर्ड को संविधान के विरुद्ध बताते हुए इसे खत्म करने की जरूरत बतायी थी. वर्तमान केंद्र सरकार ने तो अभी सिर्फ वक्फ कानून में संशोधन के लिए विधेयक पेश किया है जिसपर इतना बवाल मचा हुआ है जबकि वक्फ बोर्ड को अविलंब भंग कर देना चाहिये. यह कानून भारत के संविधान की मूल भावना और पंथनिरपेक्षता का उल्लंघन करता है. यह ऐसा कानून है जो एक धर्मविशेष की इस संस्था को असीमित अधिकार देता है. पंथनिरपेक्ष लोकतंत्र में ऐसा असीमित अधिकार किसी को कतई नहीं दिया जा सकता. नैसर्गिक न्याय और समानता के मूल अधिकार के विरुद्ध भी है यह. मंदिरों का संचालन धर्मनिरपेक्ष सरकार का काम नहीं-
कारनामे ऐसे-ऐसे
तमिलनाडु के तिरुचि जिले के हिंदू बहुल तिरुचेंथुरई गांव के लोगों को जब यह पता चला कि वे अपनी जमीन इसलिए बेच नहीं सकते क्योंकि डेढ़ हजार साल पुराना मंदिर समेत पूरा गांव उनका है ही नहीं. वह तो वक्फ की सम्पत्ति है तो उनके पैरों तले की जमीन ही खिसक गयी. गांव हिन्दुओं का, जमीन हिन्दुओं की, डेढ़ हजार साल पुराना मंदिर हिन्दुओं का और ये सब कब मुसलमानों के वक्फ की सम्पत्ति हो गयी गांव वालों को पता ही नहीं चला. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के लखनऊ (Lucknow) के सादतगंज थाना क्षेत्र में भी डेढ़ सौ साल पुराना एक शिव मंदिर और उससे लगी उसकी लगभग एक बीघा जमीन इसी तरह वक्फ की प्रोपर्टी बना दी गयी. सरकार के 1862 के राजस्व रिकार्ड में यह जमीन हिन्दू शिवालय के नाम दर्ज है जबकि वक्फ 1908 में बना. मजेदार बात यह है कि शिया वक्फ बोर्ड ने सर्वे आयुक्त को लिखकर कहा है कि यह जमीन और मंदिर वक्फ की सम्पत्ति नहीं है इसलिए यह मंदिर को वापस कर दिया जाये. इस घपले का खुलासा वक्फ बचाओ मूवमेंट के अध्यक्ष शमील शम्सी (Shamil Shamsi) ने किया. जांच में पता चला कि सपा की अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) सरकार ने 2013 में माफिया मुख्तार अंसारी को खुश करने के लिए इस मंदिर और इसकी जमीन गलत तरीके से वक्फ के खाते में कर दी. इसके बाद मुख्तार अंसारी की पत्नी ने मंदिर की जमीन प्लाटिंग कर बेच दी. पता नहीं पूरे देश में ऐसी कितनी सम्पत्तियां वक्फ की सम्पत्ति बना दी गयी हैं.
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अधिकतर संपत्तियों के कागजात नहीं
एआईएमआईएम के सुप्रीमो सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने हाल में मुसलमानों को भड़काते हुए कहा कि उत्तरप्रदेश वक्फ बोर्ड के पास इस समय 11 लाख 21 हजार अचल सम्पत्तियां हैं. इनमें वक्फ बोर्ड के पास नौ लाख से भी अधिक सम्पत्तियों के कागजात नहीं हैं. दरअसल पूरे देश में जहां भी वक्फ बोर्ड के पास अचल सम्पत्तियां हैं उनमें से अधिकतर के कागजात उसके पास हैं ही नहीं. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) की सरकार ने 2013 में जो कानून बनाया उसके सेक्शन 40 में वक्फ को यह शक्ति दी गयी है कि यदि वक्फ के मौलानाओं को यह लगता है कि गैर मुस्लिम समुदाय की कोई सम्पति वक्फ प्रोपर्टी है तो वे डीएम को उसे खाली कराने का आदेश दे सकते हैं और उनका यह आदेश डीएम को मानना होगा. यह कानून किसी को इस आदेश के खिलाफ सीधे हाई कोर्ट में अपील की इजाजत तक नहीं देता. यह कानून कहता है कि वक्फ के इस आदेश के खिलाफ पहले वक्फ के ही ट्रिब्यूनल में अपील करनी होगी.
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