राजनीति मिथिलांचल की : इस रूप में भी दुहरा रहा इतिहास !
विशेष प्रतिनिधि
18 जनवरी 2025
Patna : यह बिहार (Bihar) के मिथिलांचल (Mithilanchal) की राजनीति (Politics) से जुड़ी कथा है. अकाट्य सच है कि राजनीति में कब किसका सितारा बुलंदी पर पहुंच जाये कहना मुश्किल होता है. आम लोगों का सितारा बुलंद होता है तो वह अपने लोगों का भविष्य संवारने का प्रयास करता है. परन्तु, राजनीति में इसके उलट चलन है. सितारा बुलंद होने पर नेता अपने विरोधियों को रसातल में भेजने की योजना बनाता है. उस पर मनोयोग से लगता है. हां, कभी-कभी ऐसा भी होता है कि नेता जब तक विरोधियों को रसातल में पहुंचाये, वह खुद वहां पहुंच जाता है. यह अलग बात है कि नेता को इसका पता बहुत बाद में चलता है.
हश्र देख चुके हैं लोग
अतीत में ऐसी घटनाओं के कई उदाहरण हैं, जब बुलंद सितारा वाले नेता विरोधियों को रसातल में पहुंचाने के बदले खुद पहुंच गये.मिथिलांचल के ही रहने वाले थे विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राधानंदन झा (Radhanandan Jha) और पूर्व मुख्यमंत्री डा. जगन्नाथ मिश्र (Dr. Jagannath Mishra) . दोनों की सत्ता की राजनीति के चरम काल में उनमें जो लड़ाई छिड़ी थी उसका हश्र लोग देख चुके हैं. उसी कालखंड में डा. जगन्नाथ मिश्र और डा. नागेन्द्र झा (Dr. Nagendra Jha) के बीच भी जंग छिड़ी थी. उसकी परिणति भी दुखद रही. ऐसी ही लड़ाई अंग प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद (Bhagwat Jha Azad) और विधानसभा के तब के अध्यक्ष प्रो. शिवचंद्र झा (Pro. Shivchandra Jha) के बीच हुई थी.
बिखर गया वर्चस्व
इन तीनों भिड़ंत का परिणाम यह निकला कि बिहार में कांग्रेस (Congress) के हाथ से सत्ता फिसल गयी. सत्ता और सियासत में ब्राह्मणों का जो बर्चस्व था वह भी बिखर गया. राजनीति के गलियारे में जो चर्चा हो रही है उसके मुताबिक वर्तमान में भी मिथिलांचल में वैसी लड़ाई की पुनरावृति हो रही है. कथित तौर पर राज्यसभा सदस्य (Rajya Sabha member) संजय झा (Sanjay Jha) और नीतीश कुमार की सरकार के उद्योग मंत्री (Industry Minister) नीतीश मिश्र (Nitish Mishra) के बीच. अंतर सिर्फ इतना कि पूर्व की लड़ाई के पहलवान एक ही पार्टी कांग्रेस के थे.
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बुलंदी पर है सितारा
अभी के पहलवानों में संजय झा जदयू (JDU) के हैं तो नीतीश मिश्र भाजपा (BJP) के. इस दृष्टि से प्रतिद्वंद्विता को अस्वाभाविक नहीं कहा जा सकता . पर, चूंकि दोनों एनडीए (NDA) में हैं इसलिए खबर चर्चा में है. संजय झा का सितारा अभी बुलंदी पर माना जा रहा है. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से लेकर अमित शाह (Amit Shah) तक उनके मुरीद बने हुए हैं. राजनीति महसूस कर रही है कि बढ़ी हुई ताकत से संजय झा अपनी राजनीतिक हैसियत नहीं बढ़ा पा रहे हैं. कथित रूप से इस ताकत का उपयोग वह नीतीश मिश्र की राजनीति को तबाह करने में कर रहे हैं. हाल की बात है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) मिथिलांचल के दौरे पर थीं. वह झंझारपुर (Jhanjharpur) भी गयीं.
हिसाब बराबर हो गया
कहते हैं कि उनके कार्यक्रम में संजय झा ने नीतीश मिश्र को नहीं फटकने दिया. जबकि वह वहां के विधायक हैं. नीतीश मिश्र के समर्थक कहते हैं कि यह दरभंगा एम्स (Darbhanga AIIMS) का बदला था. गौर करते वाली बात है कि दरभंगा एम्स के शिलान्यास समारोह में संजय झा को बोलने का मौका नहीं दिया गया था. लोग कहते हैं कि संजय झा को इस मामले में नीतीश मिश्र पर शक था. इसलिए झंझारपुर में हिसाब बराबर कर दिया
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