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दिल्ली का दंगल : गुस्सा अपार‌ तब भी मिल गयीं सीटें चार!

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महेश कुमार सिन्हा
16 फरवरी 2025

New Delhi : ‘अभी एक फैशन हो गया है- अम्बेदकर… अम्बेदकर… अम्बेदकर… अम्बेदकर… अम्बेदकर…अम्बेदकर… इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता.’ दिल्ली विधानसभा (Delhi Assembly) के चुनाव से कुछ ही समय पूर्व केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने राज्यसभा में ऐसा कहा तो राजनीति (Politics) में तूफान खड़ा हो गया. कांग्रेस (Congress) समेत तमाम विपक्षी दलों और दलित अधिकार से जुड़े संगठनों ने हंगामाई अंदाज में अमित शाह के इस बयान की तीखी भर्त्सना की. कांग्रेस ने पहले माफी मांगने की मांग उठायी. फिर गृह मंत्री (Home Minister)के पद से इस्तीफा मांगी.

तोड़ मरोड़ कर पेश करने का आरोप
कांग्रेस अध्यक्ष (Congress President) मल्लिका अर्जुन खड़गे (Mallika Arjun Kharge) ने एक कदम आगे बढ़ कहा कि अमित शाह इस्तीफा नहीं देते हैं, तो प्रधानमंत्री (Prime Minister) नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) को उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) से बर्खास्त कर देना चाहिये. बबंडर ऐसा उठा कि अमित शाह को सफाई-दर-सफाई देनी पड़ गयी. केन्द्रीय मंत्रियों- जे पी नड्डा, किरण रिजिजू, पीयूष गोयल और अश्विनी वैष्णव के साथ प्रेस कांफ्रेंस कर अमित शाह ने सफाई दी कि वह एक ऐसे पार्टी से आते हैं जो अम्बेदकर की विरासत का कभी अपमान नहीं करती. उन्होंने कांग्रेस पर उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया.


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बड़ी चुनौती थी भाजपा के लिए
ये सब राजनीतिक कर्मकांड तो हुए, पर इस बयान से दिल्ली विधानसभा के चुनाव (Delhi Assembly Elections) में दलित मतदाताओं (Dalit Voters) के समर्थन को लेकर भाजपा बेचैन हो उठी. ऐसा स्वाभाविक भी था. दिल्ली विधानसभा के पिछले दो चुनावों में भाजपा एक भी आरक्षित सीट (Reserved Seat) पर जीत हासिल नहीं कर पायी थी. चिंता इस कारण भी कुछ अधिक हुई कि दलित समर्थन पहले से ही कम हो रहा था. सीएसडीएस (CSDS) के आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा ने 2019 के संसदीय चुनाव की तुलना में 2024 में तीन प्रतिशत दलित मत गंवा दिये. उसकी सहयोगी पार्टियों ने दो प्रतिशत दलित समर्थन गंवाया. इन आंकड़ों के बीच दिल्ली में दलित मतों में सेंध लगाना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती थी.

प्रभावकारी रहा भाजपा का अभियान
दिल्ली में दलित समुदाय के मत 16 प्रतिशत से अधिक हैं. कुछ सीटों पर 44 प्रतिशत तक हैं. आरक्षित सीटों की संख्या भले 12 है, पर लगभग दो दर्जन सीटों के परिणाम तय करने में दलित मतदाताओं की बड़ी भूमिका होती है. ‘आप’ (Aap) ने 2015 और 2020 के विधानसभा के चुनावों में सभी 12 आरक्षित सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार 08 सीटों पर अटक गयी. 04 सीटों पर भाजपा काबिज हो गयी. इसकी इस उपलब्धि से यह स्पष्ट हुआ कि अमित शाह का अम्बेदकर (Ambedkar) से संबंधित विवादित बयान (Controversial Statement) ने दलित जनमानस (Dalit masses) को ज्यादा उद्वेलित नहीं किया. दलितों को खुद से जोड़ने-लुभाने का भाजपा ने जो सघन अभियान चलाया वह प्रभावकारी रहा.

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