हसनपुर : हिमांशु परिवार… जागृत हो रही विरासत!
विकास कुमार
08 मार्च 2025
Samastipur : राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के लाडले तेजप्रताप यादव को हसनपुर से विरक्ति हो गयी है. वैसी ही विरक्ति जैसी 2020 में महुआ से हो गयी थी. महुआ विधानसभा क्षेत्र से 2015 में वह पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे. बिहार (Bihar) के सबसे बड़े राजनीतिक घराना (Political House) के वारिस होने के नाते चुनाव तो वह जीत गये, पर पांच वर्षों तक विधायक (MLA) रहने के बाद भी महुआ के मतदाताओं (Voters) का दिल नहीं जीत पाये. मैदान छोड़ने की विवशता में घिर गये. 2020 में सुरक्षित ठांव तलाशते हसनपुर पहुंच गये. महुआ (Mahua) की तरह हसनपुर (Hasanpur) ने भी उन्हें सिर आंखों पर बैठा लिया. यादवों के अभेद्य गढ़ में रिकार्ड तोड़ जीत हुई.
निराशा मिली हसनपुर को भी
दुर्भाग्य देखिये, विधायक के रूप में तेजप्रताप यादव (Tejpratap Yadav) से हसनपुर को भी वैसी ही निराशा मिली जैसी महुआ को मिली थी. खबर सुर्खियों में है कि वह फिर से महुआ की ओर मुखातिब होने वाले हैं. इसकी मुनादी और कोई नहीं,वह खुद कर रहे हैं. महुआ से अभी राजद (RJD) के ही राकेश रोशन (Rakesh Roushan) विधायक हैं. इस मुनादी से उनके होश उड़े हुए हैं. तेजप्रताप यादव हसनपुर से भागते हैं या नहीं, मामला वक्त के गर्भ में है. इस बीच लम्बे अरसे बाद विधानसभा के उपाध्यक्ष (Deputy Speaker of Vidhan Sabha) रहे पूर्व मंत्री गजेन्द्र प्रसाद हिमांशु (Gagendra Prasad Himansu) की क्षेत्र में जागृत हो रही विरासत की अनुभूति लोगों को हो रही है. गजेन्द्र प्रसाद हिमांशु हसनपुर से ही निर्वाचित होते थे. एक-दो बार नहीं, सात बार विधायक बने. बाद में परिस्थिति ऐसी बना दी गयी कि उन्होंने चुनावी राजनीति से खुद को अलग कर लिया.
जदयू महिला प्रकोष्ठ की उपाध्यक्ष
अब तकरीबन दो दशक बाद हसनपुर विधानसभा क्षेत्र की उनकी विरासत को विस्तार मिलने की संभावना बड़ा आकार लेने लगी है. यह विस्तार कोई और नहीं, उनकी पुत्रवधू मीनाक्षी हिमांशु (Meenakshi Himanshu) दे रही हैं.हसनपुर विधानसभा क्षेत्र (Hasanpur assembly constituency) से पार्टी की उम्मीदवारी के लिए प्रयत्नशील मीनाक्षी हिमांशु प्रदेश जदयू महिला प्रकोष्ठ की उपाध्यक्ष हैं. 2005 से ही वह इस पार्टी से जुड़ी हैं. सांगठनिक दायित्वों का बड़ी कुशलता से निर्वहन करती रही हैं. अब भी कर रही हैं. पार्टी के प्रति उनके समर्पण को इस रूप में देखा और समझा जा सकता है कि राजधानी पटना से लेकर जिला मुख्यालयों तक में नारी शक्ति रथ (Nari Shakti Rath) के साथ दलीय कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं.
ये भी पढ़ें :
बेगूसराय में महागठबंधन : फंस रहीं सींगें वामदलों की!
महागठबंधन और कांग्रेस : बेगूसराय में कौन…अमिता भूषण या कन्हैया कुमार?
बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र : महागठबंधन… बगावत का खतरा
नीतीश कुमार लाचार : कमान संभालेंगे निशांत कुमार?
बदल गया है राजनीति का मिजाज
मीनाक्षी हिमांशु की इस सक्रियता को उनके हसनपुर से चुनाव लड़ने के संकेत (Signs to Contest Elections) के रूप में देखा जा रहा है. हसनपुर से जदयू की उम्मीदवारी पूर्व विधायक राजकुमार राय (Rajkumar Rai) को मिलती रही है. 2010 और 2015 में उनकी जीत भी हुई. पर, 2020 में पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव से वह हार गये. विश्लेषकों का मानना है कि तेजप्रताप यादव के मैदान में उतरने से हसनपुर की चुनावी राजनीति का मिजाज बदल गया है. कहा जा सकता है कि जदयू के प्रतिकूल हो गया है. कोई नया दमदार चेहरा ही उसे उसके अनुकूल बना सकता है.
समृद्ध राजनीतिक विरासत
इस दृष्टि से मीनाक्षी हिमांशु को सर्वाधिक उपयुक्त माना जा रहा है. मीनाक्षी हिमांशु का खुद का व्यक्तित्व तो प्रभावशाली है ही, उनके साथ एक खासियत यह भी है कि गजेन्द्र प्रसाद हिमांशु की पुत्रवधू होने के नाते समृद्ध राजनीतिक विरासत भी उनसे जुड़ी हुई है. यह जदयू की उम्मीदवारी की उनकी पात्रता (Eligibility) को मजबूत आधार प्रदान करती है. जीत की संभावना भी जगाती है.
#Tapmanlive