तापमान लाइव

ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

बेगूसराय : विधायक के खिलाफ गुस्सा, तावड़े को महसूस हुई तपिश!

शेयर करें:

विनोद कर्ण
19 मार्च 2025
Begusarai : भाजपा (BJP) के कार्यकर्ताओं में जब इतना असंतोष और आक्रोश है, तो उन लोगों को कितना कोफ्त होता होगा जिन्होंने 2020 के चुनाव में उन्हें वोट दिया था ! ऐसे में क्या 2025 में वे उन्हें फिर वोट देंगे? मुंह नहीं फेर लेंगे? भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व बिहार मामलों के प्रभारी विनोद श्रीधर तवाड़े (Vinod Shridhar Tawade) उस दिन निश्चय ही इसी मुद्दे पर सोचते-गुनते पटना लौटे होंगे. तो क्या उनके सोचने-गुनने का कोई असर पड़ेगा? बात बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र और वहां के भाजपा विधायक कुंदन कुमार (MLA Kundan Kumar) की है.

नहीं दिखे विधायक कुंदन कुमार
होली (Holi) से छह दिन पहले यानी 09 मार्च 2025 को विनोद तावड़े विधानसभा क्षेत्र बार सांगठनिक स्थिति की समीक्षा, चुनाव में भाजपा की संभावनाओं पर कार्यकर्ताओं से संवाद और मतदाताओं का मन मिजाज भांपने के लिए बेगूसराय आये थे. स्थानीय एक होटल के सभागार में प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ उनकी बैठक हुई थी. बेगूसराय से प्रायः दूर- दूर रहने वाले विधायक कुंदन कुमार उस बैठक में भी उपस्थित नहीं हुए. उन्हें इसकी सूचना नहीं थी या सूचना रहने के बावजूद उन्होंने इसे महत्व नहीं दिया, यह नहीं कहा जा सकता. जानने वाली बात यह भी है कि मीडिया को इस कार्यक्रम से दूर रखा गया था.

कार्यशैली पर गंभीर सवाल
बैठक के बाद विनोद तावड़े ने व्यक्तिगत तौर पर भी कुछ प्रमुख कार्यकर्ताओं से अलग से बातचीत की. बताया जाता है कि उसी क्रम में कतिपय कार्यकर्ताओं ने विधायक कुंदन कुमार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाते हुए उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. सूत्रों के मुताबिक उसमें कहा गया है कि जिले के सात विधानसभा क्षेत्रों में एकमात्र बेगूसराय ही ऐसा है जहां से भाजपा सात बार चुनाव लड़ी और छह बार विजयी हुई. लेकिन, वर्तमान विधायक कुंदन कुमार के बारे में आम धारणा है कि अपने क्षेत्र के लोगों के लिए उनके पास समय नहीं है. बड़ी मुश्किल से वह महीना में दो-चार दिन क्षेत्र में समय दे पाते हैं.


ये भी पढ़ें :

भिरहा का रंगोत्सव : पड़ जाती है फीकी ब्रज की होली

सीतामढ़ी : जानीपुर गौरवान्वित है अपने दो युवा उद्यमियों से

हसनपुर : हिमांशु परिवार… जागृत हो रही विरासत!

बेगूसराय में महागठबंधन : फंस रहीं सींगें वामदलों की!


आवास पर किसी से नहीं मिलते
ज्ञापन में कहा गया है कि बेगूसराय के इतिहास में यह पहला ऐसे विधायक हैं जो पटना (Patna) में सरकारी आवास नहीं लेकर आवासीय भत्ता लेते हैं. गौर करने वाली बात है कि जो विधायक सरकारी आवास नहीं लेते हैं उन्हें आवास भत्ता के तौर पर 60 हजार रुपया मासिक मिलता है. सरकारी आवास नहीं लेने का कारण जो रहा हो, उनके इस निर्णय को क्षेत्रीय लोगों को वहां फटकने नहीं देने के रूप में देखा और समझा जा रहा है. ज्ञापन में उल्लिखित है कि विधायक कुंदन कुमार बेगूसराय स्थिति अपने आवास पर किसी से नहीं मिलते हैं. राजमहल सरीखे अपने घर से अलग उन्होंने कार्यालय बना रखा है जहां महीने में सिर्फ एक-दो दिन घंटा दो घंटा बैठते हैं. क्षेत्र के लोगों के लिए बस इतना ही समय उनके पास रहता है.

समझा दिया स्पष्ट शब्दों में
ज्ञापन में कई और आरोप हैं. उनमें भाजपा संगठन को मजबूत बनाने के बजाय गुटबाजी को प्रश्रय देने का आरोप भी है. इन्हीं सब कारणों से नब्बे प्रतिशत कार्यकर्ताओं के असंतुष्ट रहने की बात कहते हुए 2025 के चुनाव में सुयोग्य उम्मीदवार देने की मांग रखी गयी है. भाजपा के लोगों की मानें, तो विनोद तावड़े ने कार्यकर्ताओं की बातों को गंभीरता से सुना, आरोपों को पढ़ा. आगे क्या होता है यह भगवान ही जानेंगे. वैसे, कार्यकर्ताओं से बातचीत के दरमियान विनोद तावड़े ने स्पष्ट शब्दों में समझा दिया कि भाजपा में किसी को भी खुद को प्रभावशाली और उसी प्रभाव के बूते उम्मीदवारी या फिर कोई दूसरा पद पा लेने का भ्रम नहीं पालना चाहिये.

लोग समझ नहीं पाये
विनोद तावड़े के मुताबिक भाजपा में निर्णय व्यक्ति नहीं, पार्टी हित में हुआ करता है. किसी ने नेताओं का बढ़िया स्वागत-सत्कार कर दिया, स्वादिष्ट खाना खिला दिया तो उसे पार्टी की उम्मीदवारी मिल जायेगी, यह सोचना- समझना और मानना मूर्खता होगी. ऐसा कह तात्कालिक तौर पर कार्यकर्ताओं को तो उन्होंने संतुष्ट कर दिया, पर किसको इंगित कर कहा, सीधे तौर पर लोग समझ नहीं पाये. उनके इस बयान की चर्चा इस वजह से भी कुछ अधिक हो रही है कि जिस होटल के सभागार में भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक हुई वह भाजपा के ही एक नेता की है. कहते हैं कि वह नेता भी बेगूसराय से भाजपा की उम्मीदवारी की चाहत रखते हैं.

गणेश परिक्रमा के सहारे…
भाजपा कार्यकर्ताओं के एक तबके के असंतोष और उम्मीदवारी की बाबत विनोद तावड़े की स्पष्टोक्ति के बाद बेगूसराय के राजनीतिक फिजां में यह सवाल तैरने लगा है कि क्या कुंदन कुमार को 2025 के चुनाव में हाथ मलने के लिए छोड़ दिया जायेगा? उम्मीदवारी किसी दूसरे को मिल जायेगी? या फिर इतनी प्रतिकूलता के बाद भी 2020 की तरह इस बार भी गणेश परिक्रमा के सहारे उम्मीदवारी पाने में वह सफल हो जायेंगे? परिणाम भले नकारात्मक निकले, विश्लेषकों की समझ में कुंदन कुमार की जो अर्थ आधारित पारिवारिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि है उसमें तमाम अलोकप्रियता गौण पड़ जायेगी और भाजपा की उम्मीदवारी उन्हें ही ‘समर्पित’ कर दी जायेगी.

जमी हैं नजरें इन सब की
संभावना नहीं दिखने के बाद भी बेगूसराय से विधायक रह चुके खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता (Surendra Mehta) , पूर्व विधान पार्षद रजनीश कुमार (Rajnish Kumar), भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार, पूर्व में बछवाड़ा से भाजपा के प्रत्याशी रहे अमरेन्द्र कुमार अमर, भाजपा नेता मनीष कुमार, गंगा डेयरी (Ganga Dairy) के प्रबंध निदेशक अखिलेश कुमार, बेगूसराय जिला भाजपा के पूर्व अध्यक्ष संजय कुमार आदि की नजरें बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र पर जमी हैं. गौर करने वाली बात यहां यह भी है कि कुंदन कुमार की बेदखली के सवाल पर फिलहाल सभी एकजुट तो दिख रहे हैं, संभावना बनने पर यही एक-दूसरे की टांग खींचने लग जा सकते हैं.

होली मिलन समारोह
बहरहाल, विधायक कुंदन कुमार का कभी- कभार दरस होने से बेगूसराय के लोग आक्रोशित हैं ही, रंगों के त्योहार होली के अवसर पर भी उनके नदारद रहने से गुस्सा उनका आसमान चढ़ गया सा दिख रहा है. यह गुस्सा इसी साल अक्तूबर- नवम्बर में होने वाले चुनाव में अपना रंग दिखा दे तो वह हैरान करने वाली कोई बात नहीं होगी. क्या होगा क्या नहीं, यह वक्त के गर्भ में है. होली के अवसर पर क्षेत्र में उनकी गैर मौजूदगी से प्रतिद्वंद्वियों का उत्साह काफी बढ़ गया है. इसकी झलक बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र के रजौरा में आयोजित होली मिलन समारोह में दिखी. उसमें वे तमाम नेता मौजूद थे जो कुंदन कुमार की बेदखली के लिए चलाये जा रहे अभियान का हिस्सा माने जा रहे हैं.

#tapmanlive

अपनी राय दें