तेजस्वी प्रसाद यादव के दावे से मुरझाये डा. अशोक कुमार के अरमान
विशेष प्रतिनिधि
10 सितम्बर, 2021
PATNA. यह अंतिम निर्णय नहीं है. फैसला उपचुनाव की तारीख घोषित होने के बाद महागठबंधन की बैठक में होगा. पर, राजद (RJD) मजबूती से दावा जता देगा, तो उसे मानना सहयोगी दलों की मजबूरी हो जायेगी. अभी की स्थिति में उसकी इच्छा के विपरीत सोचना- करना शायद संभव नहीं है.
कहीं धरा दिया किनारा तब
ऐसी स्थिति में वाम दलों (VAM DAL)के लिए तो नहीं, कांग्रेस (CONGRESS) के लिए परेशानी वाली बात अवश्य हो जायेगी. कहीं किनारे धरा दिया गया तो उसके लिए वह शर्मनाक बात होगी ही, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष पूर्व मंत्री डा. अशोक राम की राजनीति ही करीब-करीब ध्वस्त हो जायेगी. मुद्दा कुशेश्वरस्थान (KUSHESHWAR SATHAN )विधानसभा क्षेत्र का है.
कांग्रेस लड़ती रही है चुनाव
जद(यू) (JDU)विधायक शशिभूषण हजारी के असामयिक निधन के कारण वहां उपचुनाव होना है. राजद (RJD)से तालमेल रहा हो या नहीं, एकाध अपवाद को छोड़ इस क्षेत्र (2010 के परिसीमन से पहले सिंघिया) से कांग्रेस चुनाव लड़ती रही है. इधर के चुनावों में डा.अशोक कुमार (DR. ASHOK KUMAR)उसके उम्मीदवार रहे हैं.
2015 में जद(यू) भी कांग्रेस के साथ महागठबंधन का हिस्सा था. उसने इस सीट को शशिभूषण हजारी के लिए अपने कोटे में रख लिया था. कांग्रेस को पड़ोस की रोसड़ा की सीट मिली थी. उम्मीदवार डा. अशोक कुमार ही थे. जीत भी गये थे. 2020 में जद(यू) राजग में था. डा. अशोक कुमार फिर से कुशेश्वरस्थान आ धमके. परंपरागत ढंग से मुकाबला शशिभूषण हजारी से ही हुआ. डा. अशोक कुमार बुरी तरह मात खा गये.
राजद की भूमिका दर्शक वाली
दूसरी तरफ हाल के कई चुनावों से राजद दर्शक की भूमिका में है. अन्य क्षेत्रों की तुलना में वहां उसका कोई खास जनाधार नहीं है. इसके बाद भी पार्टी के अघोषित सुप्रीमो तेजस्वी प्रसाद यादव ने कुशेश्वरस्थान के उपचुनाव में राजद का उम्मीदवार उतारने की बात कही है तो निश्चय ही यह किसी खास रणनीति का ही हिस्सा है.
आने वाले दिनों में बिहार में दो विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं. कुशेश्वरस्थान के अलावा तारापुर विधानसभा क्षेत्र में. इन दोनों क्षेत्रों में हार-जीत से बहुमत के मामले में कांटे की नोंक पर ओस के कतरे की माफिक टंगी नीतीश कुमार की सरकार को तत्काल कोई खतरा नहीं है, पर उपचुनावों में जद(यू) को हार के सदमे में डाल उसकी नीव हिला देने की तेजस्वी प्रसाद यादव की राजनीति और रणनीति है.
तेजस्वी की है यह रणनीति
इसी सोच के तहत वह कुशेश्वरस्थान में भी राजद का उम्मीदवार उतारने का इरादा रखते हैं. ऐसा इसलिए भी कि कांग्रेस के ‘स्थायी उम्मीदवार’ डा. अशोक कुमार की उपलब्धियों में जीत से ज्यादा हार की ही संख्या है. कांग्रेस के पास अन्य कोई मजबूत विकल्प नहीं है. महागठबंधन में तेजस्वी प्रसाद यादव की रणनीति पर अमल हुआ तो डा. अशोक कुमार के हितों की बलि चढ़ जा सकती है.
चर्चा है कि इस चुनाव में उन्होंने खुद मैदान में नहीं उत्तर युवा कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय पुत्र अतिरेक कुमार पर दांव खेलने की तैयारी कर रखी है. उनकी यह मंशा पूरी हो पाती है या नहीं, यह देखना भी दिलचस्प होगा.