क्या मिलेगा कन्हैया को कांग्रेस से और कांग्रेस को कन्हैया से?
विशेष प्रतिनिधि
14 सितम्बर, 2021
Patna. कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) के प्रतिवाद के बाद उनके कांग्रेस (Congress) में जाने की अटकलों पर फिलहाल विराम लग गया है. लेकिन, बिहार (Bihar) के परिप्रेक्ष्य में यह सवाल अपनी जगह कायम है कि कन्हैया कुमार ‘एकरंगा लाल चोला’ उतार ‘तिरंगी पोशाक’ में आ भी जाते हैं तो उन्हें हासिल क्या होगा?
इसी तरह उनके जुड़ जाने से इस राज्य में कांग्रेस को क्या फायदा होगा? राजनीति में क्षणिक हलचल पैदा करने के सिवा कुछ और की प्राप्ति हो पायेगी क्या? क्रिकेट की माफिक राजनीति भी अनिश्चितताओं से भरी संभावनाओं का खेल है. कल क्या होगा, यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता. इसलिए राजनीति में हमेशा वर्तमान की बात होती है.
दोनों में दमखम है क्या?
वर्तमान में कन्हैया कुमार और कांग्रेस, दोनों के सम्मिलित सामर्थ्य में बिहार की राजनीति को अलग दिशा देने का दमखम है क्या? कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी तो है, पर जनाधार के मामले में यहां शून्य के करीब है. हालांकि, कुछ दम बचा हुआ है. कन्हैया कुमार में क्या है? अच्छे वक्ता के अलावा? वोट की राजनीति के ख्याल से दमदार होते, तो ‘लाल पार्टी’ किनारा लगा देती?
विश्लेषकों की नजर में हकीकत यह है कि कन्हैया कुमार ‘हवाओं के नेता’ बन कर रह गये हैं. बेगूसराय (Begusarai) संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने के रूप में मिले बेहतर अवसर के बावजूद धरातल पर पकड़ नहीं बना सके हैं. अन्य क्षेत्रों की बात छोड़ दें, गृह जिला बेगूसराय में भी जनस्वीकार्यता नहीं बन पायी है.
प्रशांत किशोर ने करायी मुलाकात
जो हो, कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने का शिगूफा राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से अलग-अलग समय में हुई दो मुलाकातों पर आधारित था. यह मुलाकात प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने करायी थी.
कन्हैया कुमार कुछ माह पूर्व भी चुनाव के बिना अचानक चर्चा में आ गये थे. आधार यह कि उन्होंने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार के एक मंत्री से मुलाकात कर ली थी. इन दिनों मंत्रीजी का अपनी पार्टी में भाव गिरा हुआ है. भाव बढ़ाने के लिए उन्होंने प्रचार करवा दिया कि कन्हैया कुमार उनके संपर्क में हैं.
नीतीश कुमार से भी हुई थी मुलाकात
बात को भारी करने के लिए यह कहवाया गया कि कन्हैया कुमार अपने बेगूसराय जिले के किसी कालेज की जमीन के सिलसिले में मिले थे. अब असली बात समझिये. कन्हैया कुमार जिस दिन मंत्री के घर गये थे, उससे एक दिन पहले उनकी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात हुई थी.
कहते हैं कि टेलीफोन पर बातचीत के दौरान मुलाकात की इच्छा खुद नीतीश कुमार ने जाहिर की थी. कन्हैया कुमार उनसे मिलने मुख्यमंत्री आवास गये थे. दोनों के बीच करीब घंटे भर की बातचीत हुई. वहां पहले से मौजूद मंत्रीजी को कुछ देर बाहर बैठने के लिए कहा गया.
तब हवा बांध दी थी एक मंत्री ने
मुख्यमंत्री से मुलाकात कर जब कन्हैया कुमार बाहर निकले तो मंत्रीजी ने अपनापन दिखाने की गरज से कह दिया कि कभी मेरे यहां नाश्ते पर आओ. कन्हैया कुमार तुरंत राजी हो गये. अगले ही दिन वह नाश्ता पर पहुंच गये. दक्षिण भारतीय व्यंजन परोसा गया. बातचीत हुई. नाश्ता कर बाहर निकले. अपने पटना वाले ठिकाने पर आये.
इधर टेलीविजन पर इस मुलाकात की ब्रेकिंग न्यूज चलने लगी. न्यूज का भाव यही था कि कन्हैया कुमार जल्द ही पाला बदलेंगे. उन्होंने सत्तारूढ़ दल से जुड़े एक मंत्री से देर तक मुलाकात की. किसी चैनल वाले ने मंत्रीजी को फोन किया. उन्होंने मुलाकात से इनकार नहीं किया. बताया कि बात वह नहीं है, जो आप समझ रहे हैं. वह तो अपने क्षेत्र के एक काॅलेज की जमीन वगैरह के बारे में बात करने आये थे.
नीतीश कुमार ने ही किया खुलासा
सच का खुलासा खुद मुख्यमंत्री ने किया. बताया कि कन्हैया कुमार से उनकी बराबर टेलीफोन पर बातचीत होती रहती है. वह बहुत बड़े नेता हैं. आपलोग क्या समझतेे हैं कि कन्हैया हमसे मिलने आयेंगे? अरे, मिलने की इच्छा तो मैंने जाहिर की थी. मुख्यमंत्री के इस बड़प्पन को सामने रखकर समझें कि दोनों के बीच क्या चल रहा था.
बीच में इस तथ्य को भी रखें कि कन्हैया कुमार जिन गिरिराज सिंह से बेगूसराय में हारे उनके बारे में मुख्यमंत्री की क्या राय थी. मुख्यमंत्री को जानने वालों ने दावा किया है कि इस मुलाकात का मतलब लोगों को जल्द ही समझ में आ जायेगा. तर्क रखा गया कि कन्हैया अच्छे वक्ता हैं. मगर, उनकी पार्टी में उन्हें सुनने वाले लोग बहुत कम हैं. नीतीश कुमार बहुत अच्छे नेता हैं. लेकिन, उनकी पार्टी में अच्छे वक्ता नहीं हैं. मतलब कि दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है.
अलग कुछ नहीं
दोनों की वह जरूरत अभी तक पूरी नहीं हो पायी. ऐसा ही कुछ प्रशांत किशोर के माध्यम से राहुल गांधी से हुई कन्हैया कुमार की मुलाकात का है. इससे अलग कुछ नहीं.