दरभंगा : भाजपा में तब क्या करेंगे दिवंगत विधान पार्षद के पुत्र?
बिहार विधान परिषद के दरभंगा स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र के आसन्न चुनाव में क्या परिदृश्य उभर रहे हैं उसका निष्पक्ष आकलन यहां प्रस्तुत है. यह प्रस्तुति चार किस्तों में होगी. पढ़ें पहली किस्त …
विजयशंकर पाण्डेय
06 फरवरी, 2022
DARBHANGA : पंचायतों के चुनाव संपन्न होने के साथ ही बिहार विधान परिषद (Bihar Vidhan Parishad) के स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्रों के चुनाव की सरगर्मी बढ़ गयी है. चुनाव कुल 24 स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्रों में होना है. उनमें दरभंगा स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल है. 2015 के चुनाव के दोनों मुख्य प्रतिद्वंद्वियों के परिदृश्य से ओझल हो जाने की वजह से मुकाबले की तस्वीर अभी पूरी तरह साफ नहीं हो पायी है. फिलहाल इतना ही स्पष्ट हुआ है कि राजग में भाजपा और महागठबंधन में RJD के उम्मीदवार होंगे. संभावित उम्मीदवार के नाम भी हवा में है, पर इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. फेरबदल की संभावना बनी हुई है.
वीआईपी में हैं दोनों
2015 में भाजपा समर्थित सुनील कुमार सिंह (Sunil Kumar Singh) की जीत हुई थी. प्रारंभिक दो चुनावों के विजेता पूर्व विधान पार्षद मिश्रीलाल यादव (Mishrilal Yadav) को उन्होंने शिकस्त दी थी, मिश्रीलाल यादव महागठबंधन के राजद समर्थित उम्मीदवार थे. उस समय JDU भी महागठबंधन का हिस्सा था. इसके बावजूद वह पिछड़ गये. सुनील कुमार सिंह अपना छह वर्षीय कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये. कोरोना (Corona) संक्रमण की प्रथम लहर में 21 जुलाई 2020 को उनकी मृत्यु हो गयी. उसी साल हुए विधानसभा के चुनाव में मिश्रीलाल यादव अलीनगर से राजग (NDA) के घटक विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के विधायक निर्वाचित हो गये. संयोग देखिये कि वीआईपी (VIP) की उम्मीदवारी विधान परिषद के चुनाव में उन्हें पछाड़ने वाले दिवंगत सुनील कुमार सिंह की पुत्रवधू स्वर्णा सिंह (Swarna Singh) को भी मिली. गौड़ाबौराम विधानसभा क्षेत्र से. वह भी निर्वाचित हो गयीं. मिश्रीलाल यादव और स्वर्णा सिंह BJP में थे. उन्हें वीआईपी की उम्मीदवारी ‘सीट तुम्हारी, उम्मीदवार हमारा’ की नीति के तहत मिली थी. वीआईपी का NDA से जुड़ाव नहीं होता तो निश्चित तौर पर दोनों BJP के उम्मीदवार होते.
संभावना नहीं
विधान परिषद के आसन्न चुनाव में सुनील कुमार सिंह की विरासत संभालने का अवसर किसे प्राप्त होगा, परिवार के किसी सदस्य को या भाजपा के अन्य किसी नेता को, यह अभी अस्पष्ट है. पहले सुनील कुमार सिंह के परिवार की बात. सरसरी तौर पर देखें, तो सुनील कुमार सिंह की पुत्रवधू स्वर्णा सिंह को विधायक (MLA) के रूप में अवसर उपलब्ध हो गया है इसलिए उनके किसी परिजन को इस रूप में भी ‘उपकृत’ होने की संभावना नहीं दिखती है. वैसे, परिवार के लोगों की उम्मीद अपनी जगह कायम है. विधायक स्वर्णा सिंह के पति सुजीत सिंह आयकर आयुक्त हैं. परिवार के निकटवर्त्ती सूत्रों के मुताबिक मौका मिला तो पद त्याग कर मैदान में उतर सकते हैं. उनकी मां मिथिलेश सिंह (Mithilesh Singh) भी ऐसी चाहत रखती हैं.
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स्वर्णा सिंह की है यह इच्छा
दिवंगत सुनील कुमार सिंह के छोटे पुत्र हैं रंजीत सिंह. संभवतः सिक्यूरिटी एजेंसी चलाते हैं. रंजीत सिंह (Ranjeet Singh) की पत्नी चित्रा सिंह (Chitra Singh) हैं. ये सब भी चुनावी मंशा रखते हैं. लेकिन, सबकी चाहत एक में ही समाहित है. यानी इनमें से जिस किसी को भी मौका मिलेगा, वह सबको स्वीकार्य हागा. बशर्ते कि भाजपा नेतृत्व का ऐसा निर्णय हो. क्या होता है क्या नहीं, यह भविष्य की बात है, विधायक स्वर्णा सिंह चाहती हैं कि अवसर उनके देवर रंजीत सिंह को मिले. चर्चा यह भी है कि रंजीत सिंह के नाम पर JDU को कोई एतराज नहीं होगा. सुनील कुमार सिंह (Sunil Kumar Singh) के परिवार से इतर भी भाजपा में कई दावेदार हैं. हाल फिलहाल बेनीपुर के पूर्व जदयू विधायक सुनील चौधरी का इस पार्टी से जुड़ाव हुआ है. राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि मकसद विधान परिषद का चुनाव लड़ना है. वास्तव में ऐसा है तो फिर भाजपा के अन्य नेताओं की दावेदारी स्वाभाविक तौर पर गौण पड़ जा सकती है. वैसे, एक चर्चा यह भी है कि चुनाव की मुकम्मल तैयारी कर रखे रंजीत सिंह BJP से निराशा मिलने पर वीआईपी या लोजपा (रामविलास) का समर्थन पाने का प्रयास करेंगे. सफलता नहीं मिलने पर निर्दलीय मैदान में उतर जायेंगे.
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