तिरहुत स्नातक क्षेत्र : जदयू की राह में हैं दो बड़े कांटे!
विकास कुमार
03 दिसम्बर 2024
Patna : बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) के तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र (Tirhut Graduate Constituency) के उपचुनाव (by-election) में क्या होगा? जदयू सांसद देवेश चन्द्र ठाकुर (Devesh Chandra Thakur) की साख जमी रहेगी और सम्मान बचा रहेगा या मिट जायेगा? इन्हीं सवालों का जवाब यहां तलाशा जा रहा है. देवेश चन्द्र ठाकुर से जुड़ा सवाल इसलिए कि इस क्षेत्र से वह लगातार चार बार विधान पार्षद निर्वाचित हुए हैं. उनके ही द्वारा सीट खाली किये जाने पर उपचुनाव हो रहा है. मतदान 05 दिसम्बर 2024 को होना है. चुनावी अखाड़े में कुल 17 उम्मीदवार हैं
अभी छायी हुई है धुंध
चुनाव मैदान से अलग रहने के बाद भी देवेश चन्द्र ठाकुर की प्रतिष्ठा इस वजह से जुड़ी मानी जा रही है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार(Nitish Kumar) ने जदयू (JDU) प्रत्याशी ईं. अभिषेक झा (Abhishek Jha) की जीत की लगभग संपूर्ण जिम्मेदारी उनके ही परखे हुए कंधे पर डाल रखी है. सरसरी तौर पर देखें, तो नीतीश कुमार की उम्मीदों के अनुरूप देवेश चन्द्र ठाकुर के अनुभवी कंधे पर सवार ईं. अभिषेक झा की जीत आसान दिखती है, पर वास्तव में वैसा है नहीं. अभी पूरी तरह धुंध छायी हुई है.
दमखम वाले हैं दोनों
चुनाव मैदान में इनके मुकाबले राजद (RJD) के गोपी किशन (Gopi Kishan) और जन सुराज (Jan Suraj) पार्टी के डा. विनायक गौतम (Dr. Vinayak Gautam) ताल ठोक रहे हैं. अपने-अपने तरह का दमखम दोनों में है. पर, ईं. अभिषेक झा को ज्यादा खतरा दो निर्दलीय उम्मीदवारों से है. लोजपा- आर (LJP-R) के कथित बागी राकेश रौशन (Rakesh Roshan) और पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन के सहयोग-समर्थन का दावा कर रहे अरविन्द कुमार उर्फ विभात कुमार सिंह (Arvind Kumar alias Vibhat Kumar Singh) से.
चुनाव का है लम्बा अनुभव
तटस्थ विश्लेषकों का मानना है कि मुकाबला बहुकोणीय जरूर दिख रहा है, पर ऐसे चुनाव का जो चरित्र होता है उसमें आखिरी क्षण में टक्कर ईं. अभिषेक झा और डा. विनायक गौतम में ही संभावित है. ऐसा इसलिए कि इन दोनों के पीछे चुनाव लड़ने का लम्बा अनुभव है. ईं. अभिषेक झा के पीछे देवेश चन्द्र ठाकुर के चार बार चुनाव लड़ने और जीतने का तथा डा.विनायक गौतम के पीछे पिता रामकुमार सिंह (Ramkumar Singh) के तीन बार चुनाव लड़ने और जीतने का. एक – दो चुनावों में देवेश चन्द्र ठाकुर और रामकुमार सिंह के बीच भी मुकाबला हुआ है.
महागठबंधन की ताकत
इस लम्बे अनुभव के साथ दोनों सामर्थ्यवान भी हैं. ईं. अभिषेक झा राजनीतिक रूप से तो डा. विनायक गौतम आर्थिक रूप से. राजद प्रत्याशी गोपी किशन के पीछे महागठबंधन (grand alliance) की ताकत है. पर, अनुभव की कमी के कारण चुनाव अभियान में आक्रामकता का अभाव झलकता है. इससे उत्साह भी नहीं दिख रहा है. वैसे, अपने तई वह कोशिश भरपूर कर रहे हैं. महागठबंधन, विशेष कर राजद समर्थक स्नातक मतों का साथ भी उन्हें मिल रहा है.
हित प्रभावित होगा जदयू का
उधर, लोजपा-आर के कथित बागी राकेश रौशन भी खूब ताकत खपा रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि कहने के लिए वह बागी हैं, अघोषित रूप से उनके पीछे लोजपा-आर की ऊर्जा खप रही है. सच में ऐसा है, तो फिर इसका असर जदयू प्रत्याशी ईं. अभिषेक झा की चुनावी सेहत पर पड़ने की संभावना को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता. इसी तरह पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan) और सांसद लवली आनंद (Lovely Anand) के समर्थक स्नातक मतदाता निर्दलीय उम्मीदवार अरविन्द कुमार उर्फ विभात कुमार सिंह के साथ हो गये, तो उससे भी ईं. अभिषेक झा का ही हित प्रभावित होगा.
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सब कहने-सुनने के लिए
चर्चा यह भी हो रही है कि पूर्व विधान पार्षद रामेश्वर महतो (Rameshwar Mahato) के जदयू छोड़ देने का असर चुनाव पर पड़ सकता है. पर, इसमें हकीकत कम, हवाबाजी अधिक है. वह जदयू में रहते तब भी वही होता जो अलग हो जाने के बाद हो सकता है. वैसे, यह सब सिर्फ कहने – सुनने के लिए है. विधान परिषद के ऐसे चुनावों में आमतौर पर धन आधारित समीकरण के अलावा और कोई समीकरण काम नहीं करता है. इस दृष्टि से तिरहुत स्नातक क्षेत्र के उपचुनाव का परिणाम क्या निकल सकता है, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है. परन्तु, यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि उपचुनाव में सत्तारूढ़ दल की हार बहुत कम ही होती है.
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