बात भाजपा की : रोसड़ा विधानसभा क्षेत्र में दुहराव होगा या बदलाव?
विकास कुमार
26 जनवरी 2025
Patna : बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) का 2025 का चुनाव भले दस माह दूर है, नये साल में खरमास खत्म होते ही राजनीतिक दल और संभावित उम्मीदवार चुनाव की तैयारियों में दिमाग खपाने लग गये हैं. चुनावी राह के कील-कांटे दुरुस्त करने लगे हैं. मतदाताओं (voters) के बीच सक्रियता व स्वीकार्यता बढ़ाने लगे हैं. इन सब के बीच जन सरोकारों की बात भी बड़ी संजीदगी से करने लगे हैं. ऐसा प्रायः हर विधानसभा क्षेत्र में दिख रहा है, पर यहां हम बात रोसड़ा (Rosera) विधानसभा क्षेत्र की कर रहे हैं. समस्तीपुर (Samastipur) जिले के उस रोसड़ा विधानसभा क्षेत्र की जो अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है. वर्तमान में इस क्षेत्र पर भाजपा (BJP) काबिज है. पासवान बिरादरी के वीरेन्द्र कुमार (Virendra Kumar) विधायक हैं.
तीसरे स्थान पर अटक गये
2020 के चुनाव में वीरेन्द्र कुमार ने महागठबंधन के कांग्रेस (Congress) उम्मीदवार नागेन्द्र कुमार विकल (Nagendra Kumar Vikal) के मंसूबों को 35 हजार 744 मतों के भारी अंतर से धो दिया था. वीरेन्द्र कुमार को 87 हजार 163 मत मिले थे तो पासवान बिरादरी के ही नागेन्द्र कुमार विकल को 51 हजार 419 मत प्राप्त हुए थे. कृष्ण राज लोजपा (LJP) के उम्मीदवार थे. 22 हजार 995 मत हासिल कर तीसरे स्थान पर अटक गये थे. यहां यह जानने वाली बात है कि रोसड़ा विधानसभा क्षेत्र पहले सामान्य के लिए था. 2008 के परिसीमन में अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हो गया. इस रूप में 2010 में हुए प्रथम चुनाव में भाजपा की जीत हुई थी. मंजू हजारी विधायक निर्वाचित हुई थीं.
आश्वस्त हैं समर्थक
परन्तु, 2015 में महागठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी डा. अशोक कुमार (Dr. Ashok Kumar) से मंजू हजारी (Manju Hazari) हार गयीं. उस वक्त जदयू (JDU) महागठबंधन (grand alliance) का हिस्सा था. डा. अशोक कुमार की आसान जीत हो गयी. 2020 में जदयू एनडीए में था. बाजी भाजपा के वीरेन्द्र कुमार के हाथ लग गयी. 2025 में क्या होगा? भाजपा की उम्मीदवारी फिर वीरेन्द्र कुमार को ही मिलेगी या कोई और झटक लेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है. वैसे, स्थानीय राजनीतिक हलकों की चर्चाओं पर भरोसा करें, तो विधायक वीरेन्द्र कुमार के समर्थक उन्हें दोबारा उम्मीदवारी मिलने के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हैं. उनकी दावेदारी को और अधिक मजबूत बनाने के लिए उनके कार्यकलापों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रमुखता से रख भी रहे हैं.
मिल रहा है सहयोग
इसी आश्वस्ति के मद्देनजर वीरेन्द्र कुमार भी क्षेत्र में सक्रिय हैं. समस्तीपुर जिला भाजपा के नवमनोनीत अध्यक्षों नीलम सहनी और शशिधर झा का विधायक वीरेन्द्र कुमार और उनके समर्थकों ने जिस शानदार तरीके से स्वागत- अभिनंदन किया उसे भी उसी नजरिये से देखा जा रहा है. महत्वपूर्ण बात यह भी है कि उनकी दावेदारी को भाजपा के अधिसंख्य नेताओं- कार्यकर्ताओं का सहयोग- समर्थन भी मिल रहा है. यह सब तो है, पर क्षेत्र में कम आवाजाही को लेकर आमजन में विधायक के प्रति गहरा असंतोष भी दिख रहा है.
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दुहराव पर खतरा नहीं
पर, ऐसा भी नहीं है कि चुनाव जीतने के बाद विधायक वीरेन्द्र कुमार क्षेत्र में एकदम ही नहीं आये या कम आये. आये, बार-बार आये, पर सामान्य धारणा यही है कि इस दौरान कुछ खास लोगों से ही घिरे रहे. आम लोग उनसे कटे-कटे रहे. इसके बाद भी विश्लेषकों को उनकी उम्मीदवारी के दुहराव पर कोई खतरा नहीं दिख रहा है. वैसे, किसी कारण से उन्हें हाशिये की राह बढ़ा दिया गया तब अवसर किसे उपलब्ध हो सकता है, लोग इस पर भी चर्चा कर रहे हैं. विकल्प के रूप में फिलहाल दो नामों की खूब चर्चा है. एक भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. गुरु प्रकाश पासवान (Dr. Guru Prakash Paswan) की और दूसरे लंबे समय से भाजपा से जुड़े रोसड़ा उदयनाचार्य कॉलेज, रोसड़ा के प्राध्यापक डा. विनय कुमार (Dr. Vinay Kumar) की.
लड़ेंगे तो भाजपा से ही
डा. गुरु प्रकाश पासवान पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. संजय पासवान (Dr. Sanjay Paswan) के पुत्र हैं. डा. संजय पासवान का समस्तीपुर, विशेषकर रोसड़ा क्षेत्र से गहरा लगाव रहा है. इस कारण डा. गुरु प्रकाश पासवान के नाम की चर्चा को मजबूत आधार मिल रहा है. जहां तक डा. विनय कुमार की बात है तो प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) की जन सुराज पार्टी की उम्मीदवारी का प्रस्ताव उन्हें मिला था. उसे उन्होंने विनम्रता से ठुकरा दिया था. डा. विनय कुमार का स्पष्ट कहना है कि भाजपा की उम्मीदवारी मिलेगी तभी वह चुनाव लड़ेंगे, अन्यथा नहीं. उम्मीदवारी के लिए उन्होंने जिला और प्रदेश स्तर के शीर्ष नेतृत्व का ध्यान आकृष्ट कराना शुरू कर दिया है.
रुचि उनकी भी नहीं है
उधर महागठबंधन के घटक दलों में भी रोसड़ा से उम्मीदवारी को लेकर रस्साकस्सी है. 2020 में यह सीट कांग्रेस के हिस्से में गयी थी. नागेन्द्र कुमार विकल को उम्मीदवारी मिली थी. बाहरी उम्मीदवार होने के कारण दूसरे घटक दलों के कार्यकर्ताओं का संपूर्ण सहयोग नहीं मिला. परिणामस्वरूप पराजय का मुंह देखना पड़ गया. इस बार उम्मीदवारी की संभावना क्षीण है. रुचि संभवतः उनकी भी नहीं है. उनकी जगह 2015 में इस क्षेत्र से विजयी रहे पूर्व मंत्री डा. अशोक कुमार के पुत्र डा. अतिरेक कुमार को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाये जाने की चर्चा जोर पकड़े हुए है.
चाहत और कई नेताओं की भी
गौर करने वाली बात है कि डा. अतिरेक कुमार (Dr. Atirek Kumar) को कुशेश्वरस्थान (Kusheshwarsthan) के उपचुनाव में यहां से कांग्रेस की उम्मीदवारी मिली थी, जीत नहीं पाये थे. महागठबंधन में इस सीट पर राजद की भी नजर है. रोसड़ा की चुनावी राजनीति की गहन जानकारी रखने वालों के मुताबिक यह सीट इस बार राजद के कोटे में गयी तब पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्यविंद पासवान को मौका मिल सकता है. वैसे, चुनावी चाहत राजद के और कई नेताओं की भी है. विश्लेषकों की मानें तो महागठबंधन में इस सीट के कांग्रेस के ही हिस्से में रहने की ज्यादा संभावना है.
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