एनडीए और नीतीश: हो न जायें 2025 में फिनिश
विभेष त्रिवेदी
03 जनवरी 2025
Patna : बिहार में एनडीए (NDA) की सरकार भले चल रही हो, भाजपा (BJP) और जदयू (JDU) समेत उसके तमाम घटक दलों को ऐसे गठबंधन की जरूरत भी है. लेकिन, दिक्कत यह है कि किसी को भी एक-दूसरे पर मुकम्मल भरोसा नहीं है. बिहार विधानसभा के 2020 के चुनाव में कथित तौर पर भाजपा के लंगड़ी मारने से जदयू के लुढ़क कर छोटी पार्टी बन जाने के बाद से अविश्वास का दायरा कुछ अधिक चौड़ा हो गया है. 2022 में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के एनडीए से नाता तोड़ महागठबंधन (grand alliance) का हिस्सा बन जाना इसी की परिणति थी. हालांकि, कुछ ही समय बाद वह एनडीए में लौट आये. लेकिन, अविश्वास खत्म नहीं हुआ. नीतीश कुमार के फिर से एनडीए छोड़ने और बने रहने के कयासों के बीच रिश्ता झूल रहा है.
रिश्तों में आ गयी तल्खी
भाजपा और जदयू के रिश्तों में खटास बढ़ने के छोटे-बड़े मुद्दे उठते रहते हैं. मुंह फुला लेने और फिर मुस्कुरा देने का सिलसिला बना रहता है. परन्तु, महाराष्ट्र (Maharashtra) विधानसभा के चुनाव के बाद एनडीए में वहां जो खेल हुआ, उससे नीतीश कुमार की पेशानी पर बल पड़ गये हैं. राजनीति के विश्लेषक वरिष्ठ पत्रकार महेश कुमार सिन्हा की मानें, तो ऐसा स्वाभाविक है. महाराष्ट्र में भाजपा को खुद का बहुमत हासिल नहीं हुआ. बहुमत के करीब ही वह पहुंच पायी और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की मुख्यमंत्री (Chief Minister) की कुर्सी उसने हड़प ली. भाजपा ने वहां की सत्ता संभाल ली तब बिहार में नीतीश कुमार की नींद हराम हो गयी. भाजपा और जदयू के रिश्तों में तल्खी की आशंका समा गयी. इस रूप में कि 2025 के चुनाव में बिहार में भाजपा को बड़ी हैसियत मिली, तो नीतीश कुमार को भी एकनाथ शिंदे जैसे हालात में डाल दिया जा सकता है.
अमित शाह का बयान
इस आशंका के मद्देनजर नीतीश कुमार और उनके सलाहकार 2025 के चुनाव में हर हाल में जदयू को सबसे बड़ी पार्टी बनाने की मुहिम में पिल पड़े. पर, इसी बीच आये केंद्रीय गृह मंत्री (Union Home Minister) अमित शाह (Amit Shah) के बयान ने जदयू के अभियान पर तुषारापात कर दिया. एक टीवी चैनल पर पत्रकार ने अमित शाह से पूछा कि नीतीश कुमार को चेहरा बनाकर लड़ेंगे या मुंबई (Mumbai) वाला फार्मूला भी चल सकता है? अमित शाह ने पहले की तरह नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात नहीं कही, गोल-मटोल जवाब दिया-‘पार्टी के नीतिगत फैसले इस तरह के कार्यक्रम में घोषित नहीं होते. ये संसदीय बोर्ड का अधिकार है. नीतीश कुमार की पार्टी का भी अधिकार है. सभी दल साथ में बैठकर तय करेंगे. तय करेंगे तो आपको बतायेंगे.’
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राजद डाल रहा आग में घी
अमित शाह के इस बयान पर पटना (Patna) से दिल्ली (Delhi) तक ताबड़तोड़ बयानबाजी और कयासबाजी शुरू हो गयी. तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav) और राजद (RJD) के अन्य नेता आग में घी डालने लगे. अमित शाह को जदयू ने करारा जवाब दिया. केंद्रीय मंत्री ललन सिंह (Lalan Singh) और जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा (Sanjay Jha) ने कहा कि नीतीश कुमार इतने मजबूत हैं कि उनको सहारे की जरूरत नहीं है. जदयू के दो मंत्रियों ने कह दिया है कि चेहरे के नाम पर कोई कंफ्यूजन नहीं है. 2025 में अगर एनडीए की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे. जदयू ने फटाफट नीतीश कुमार की तस्वीर के साथ पोस्टर जारी कर दिया, ‘2025… फिर से नीतीश.’ लेकिन, क्या ऐसा संभव है? सत्ता की राजनीति के लिए यह सबसे बड़ा सवाल है.
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