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बड़ा सवाल : भारत की भूमि ब्रिटेन की ही है?

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अनिल विभाकर

01 अक्टूबर 2024

आजादी के 77 साल बाद भी भारत की भूमि ब्रिटेन (Britain) की ही है? आप भले कह लें कि भारत (India) आजाद है और भारतीय भूभाग (Indian Territory) ब्रिटेन का नहीं है मगर हकीकत यह है कि दुनिया (World) भारत को अब भी वायसराय टेरेटरी (Viceroy Territory) या विक्टोरियन टेरेटरी (Victorian Territory) मानती है, इसे वीटी (VT) कोड से पहचानती है. यह वीटी कोड नम्बर विमान के स्वामित्व को दर्शता है. अफसोस कि आजादी (independence) के 77 साल बाद भी गुलामी (Slavery) के इस चिह्न को बदला नहीं गया. राज्यसभा में एक बार भाजपा के पूर्व सांसद तरुण विजय ने इस सवाल को उठाया था. जवाब में भारत सरकार (Government of India) ने कहा था कि वीटी का मतलब वायसराय टेरेटरी होता है. सरकार ने कहा था कि हर देश के यात्री विमानों को इंटरनेशनल एविएशन संगठन कोड देता है. भारत में आजादी के बाद भी वायसराय टेरेटरी कोड चल रहा है और यहां के हर हवाई जहाज पर यह वीटी कोड लिखा रहता है. अंतर्राष्ट्रीय उड्डयन संस्थान से निर्धारित वैश्विक नियमों के अनुसार, हर विमान का एक देश में पंजींकृत होना जरूरी है. उसे जो पंजीकरण संख्या आवंटित की जाती है, उसमें दो अक्षर के कोड होते हैं. भारत को जब यह कोड सौंपा गया था तब यह ब्रिटिश शासन (British Rule) के अधीन था. कोड में वीए से लेकर वीजेड तक की शृंखला ब्रिटिश शासन क्षेत्रों में पंजींकृत विमानों को सौंपी गयी थी. भारत के विमानों के लिए वीटी कोड तभी से चल रहा है. इसे कंट्री कोड माना जाता है.

तो यह है ब्रिटिश गुलामी की पहचान!

भारतीय जहाजों के लिए यह वीटी कोड नवम्बर 1927 में मिला था जिसे आज तक नहीं बदला गया. ब्रिटिश गुलामी की इस पहचान को बदलने की मांग भारत की संसद (Parliament of India) में कई बार उठ चुकी है मगर केंद्र सरकार ने हमेशा तरह-तरह के तर्क देकर इसे नकार दिया. आठ साल पहले 2016 में भाजपा (BJP) के पूर्व सांसद तरुण विजय ने राज्यसभा (Rajyasabha) में यह मामला उठाया और वीटी का अर्थ बताया तो उस समय सदन में उपस्थित अधिकतर सांसदों का सिर शर्म से झुक गया था. दरअसल अधिकतर सांसदों को उस समय तक वीटी का अर्थ मालूम ही नहीं था. पूर्व सांसद तरुण विजय ने राज्यसभा में कहा था कि हिंदुस्तान वायसराय का क्षेत्र नहीं हो सकता. भारत अब भी वीटी कोड की व्यवस्था क्यों अपना रहा है? वीटी को तत्काल बदला जाना चाहिये. इसे बदलने की मांग संसद में 2021 में भी उठी थी. लोकसभा में भाजपा सांसद हरीश द्विवेदी के प्रश्न के लिखित उत्तर में नागर विमानन राज्यमंत्री वीके सिंह ने कहा-अगर हम वीटी कोड बदलते हैं तो सभी दस्तावेज फिर से जारी करने होंगे,विमान पर कोड फिर से पेंट करना होगा और सभी बदलाव होने तक विमान उड़ान नहीं भर सकते. उन्होंने कहा पूरी प्रक्रिया के दौरान यहां के सभी विमान खड़े रहेंगे. विमानन कम्पनियों पर इसका आर्थिक प्रभाव भी पड़ेगा. यूपीए सरकार (UPA Goverment) ने एक बार इस कोड की जगह नया कोड हासिल करने की कोशिश की थी मगर इसमें उसे सफलता नहीं मिली. दरअसल सरकार इसकी जगह बीए इअ (भारत) या कठ अइएन (इंडिया) कोड हासिल करना चाहती थी लेकिन बी कोड पहले ही चीन के बीजिंग को और आई इटली को जारी किया जा चुका था. इसलिए उस समय के नागरिक विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने कहा था कि नया कोड न मिलने पर सरकार ने वीटी कोड जारी रखने का फैसला लिया है.

नहीं बदल सका भारतीय विमानों का कोड

भारतीय विमानों का कोड अब तक नहीं बदल सका यह अफसोसनाक है. इसमें व्यावहारिक दिक्कतें हैं मगर केंद्र सरकार को इसे बदलने का कोई न कोई प्रयास करना चाहिये. इसकी उम्मीद इस सरकार से इसलिए करनी चाहिये क्योंकि इसने देश में गुलामी के कई प्रतीक बदले हैं. नयी दिल्ली में इंडिया गेट (India Gate) पर वर्षों से जार्ज पंचम की प्रतिमा लगी थी जिसे हटाकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा लगायी गयी है. बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में बजने वाली धुन भी इसी सरकार ने बदली. गुलामी की इस धुन की ओर किसी का ध्यान नहीं था. बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में ‘अबाइड विद मी’ की धुन बजायी जाती थी.यह धुन वास्तव में ईसाइयों की प्रार्थना या भजन है जिसे स्कॉटलैंड के फ्रांसिस हेनरी ने लिखा था. वह जार्ज पंचम की पसंदीदा धुन बन गयी. महात्मा गांधी को भी यह धुन काफी पसंद थी.1950 में भारत का संविधान लागू होने के बाद गणतंत्र दिवस समारोह के बाद यह धुन बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का हिस्सा बन गयी. नरेंद्र मोदी की सरकार का इस ओर जब ध्यान गया तो उसने 2020 में इसे बदलने की सोची. कुछ लोगों को जब यह पता चला कि केंद्र सरकार बीटिंग रिट्रीट से इस धुन को हटाने जा रही है और इसकी जगह वंदे मातरम की धुन बजायी जायेगी तो इस पर विवाद शुरू हो गया.


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‘कांग्रेस फाइनली लेफ्ट इंडिया’

कांग्रेस (Congress) का कहना था कि सरकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत को मिटाने का प्रयास कर रही है. विवाद बढ़ने पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी से उस समय इसे नहीं हटाया गया. मगर 2022 में इस गीत की धुन को सेरेमनी से हटा दिया गया और इसकी जगह ‘ऐ मेरे वतन’ को जगह दी गयी जो 29 जनवरी को मार्च पास्ट (March Past) के दौरान बजाया जाता है. इस साल बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में 29 धुनें बजायी गयीं. देश से अंग्रेज तो चले गये मगर यहां का शासक वर्ग ब्रिटिशों के नियम-कानून और उनकी गुलामी की निशानियां बनाये रखना चाहता है. इस सरकार ने ऐसे कई कानूनों को खत्म भी किया है जबकि अभी और भी बहुत कुछ बदला जाना बाकी है.15 अगस्त 1947 को भारत को कैसी आजादी मिली थी इसे बताने के लिए ब्रिटेन के प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार ‘द गार्डियन’ के सम्पादकीय का एक वाक्य काफी है. 2014 में नरेंद्र मोदी की प्रचंड विजय पर ‘द गार्डियन’ ने 18 मई 2014 के अपने सम्पादकीय में लिखा था-ब्रिटेन फाइनली लेफ्ट इंडिया. मतलब यह कि ब्रिटेन ने हमेशा के लिए भारत छोड़ दिया. इसका अर्थ यह कि नरेंद्र मोदी की सरकार बनने से पहले तक भारत में ब्रिटिश हुकूमत ही चल रही थी.

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