नौकरशाही में गुटबाजी: धीमी पड़ गयी दीपक की लौ!
विशेष प्रतिनिधि
25 नवम्बर 2024
Patna : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के अंतःपुर में भारी खलबली है. कैबिनेट जैसी गुटबाजी अफसरशाही में भी है. कैबिनेट की गुटबाजी हाल में सामने आयी. ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी (Ashok Chaudhary) ने अखबारों में विज्ञापन दिया. अपने सहित पांच मंत्रियों के फोटो छपवाये. सबसे बड़ा नीतीश कुमार का फोटो. उससे छोटा अपना फोटो. उससे भी छोटा चार मंत्रियों का फोटो. उसमें एक विज्ञान एवं प्रावैद्यिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह (Sumit Kumar Singh) हैं. अगले दिन पार्टी कार्यालय में बैठक थी. सरकार के बुजुर्ग ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव (Bijendra Prasad Yadav) नाराज हो गये. पता चला कि बैठक में जो बैनर टंगा था, उसमें कई जुनियर के फोटो थे. ऊर्जा मंत्री का फोटो गायब था. यूट्यूबर्स ने उनसे पूछा-आपका फोटो नहीं है? उनका बहुत ही रूखा जवाब आया-समझ लीजिये कि हम पार्टी में नहीं हैं. बिजेन्द्र प्रसाद यादव की नाराजगी नोटिस में आयी. मनाया गया. वह मान भी गये. भाषण दिया तो उसमें शिकायत जैसी कोई बात नहीं थी. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. नाराजगी तो दिल में बैठी रहती है. उस दिन की गुटबाजी का परिणाम सामने आया. सप्ताह भर बाद जदयू (JDU) की राज्य कार्यकारिणी का गठन किया गया. उसमें उन मंत्रियों का नाम नहीं था, जिनका फोटो विज्ञापन में छपा था. हिसाब लगाया गया कि नीतीश कुमार भी विज्ञापन से प्रसन्न नहीं हुए. उल्टे नाराज ही हो गये.
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अड़ गये अग्रवाल- नहीं जायेंगे
दूसरी तरफ अफसरशाही की गुटबाजी देखिये. जनता, विधायक, सांसद, मंत्री, नेता और अफसरों के बीच यही संदेश है कि दीपक कुमार (Deepak Kumar) ही नीतीश कुमार के असली आदमी हैं. वह जो चाहें, वही होता है. इसी मान्यता के तहत संजय अग्रवाल (Sanjay Aggarwal) का परिवहन विभाग से तबादला कर दिया गया. संजय अग्रवाल भी अड़ गये-नहीं जायेंगे. उन्होंने ट्रांसफर आर्डर को किनारे किया. परिवहन विभाग में पहले की तरह काम करने लगे. आखिर, दस दिन बाद उनका ट्रांसफर रद्द हो गया. संदेश यह कि दीपक कुमार के सर्वेसर्वा होने का दौर समाप्त हो चुका है. अफसरों का नया गुट सामने आ गया है. जबर्दस्त लड़ाई चल रही है. इस अवस्था को आर-पार की लड़ाई का नाम दिया जा रहा है.
एक नहीं चली उनकी
हालांकि, दीपक कुमार की सत्ता को इससे पहले जबर्दस्त चुनौती मिल चुकी है. पुलिस महानिदेशक (Director General of police) और मुख्य सचिव (chief Secretary) की नियुक्ति में उनकी एक नहीं चली. दीपक कुमार पुलिस महानिदेशक के लिए विनय कुमार (Vinay Kumar) को चाह रहे थे. मुख्य सचिव के रूप में उनके पास कई भक्तों की अर्जी लगी हुई थी. ऐन मौके पर धोखा हो गया. अमृतलाल मीणा (Amritlal Meena) मुख्य सचिव बन कर आ गये. आलोक राज (Alok Raj) को पुलिस महानिदेशक बना दिया गया. एक और बदलाव हुआ. पटना प्रमंडल के आयुक्त और भवन निर्माण के सचिव कुमार रवि (Kumar Ravi) मुख्यमंत्री के सचिव बन कर आ गये. अफसरशाही में नया संदेश यह प्रसारित हो रहा है-दीपक की लौ धीमी हो गयी है. रवि का उदय हो गया है.
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