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ए.एन.कालेज : बी.एड. विभाग में पुस्तक-समीक्षा पर कार्यशाला

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तापमान लाइव ब्यूरो
11 फरवरी 2025
Patna : ए. एन. कॉलेज, पटना (A. N. College, Patna ) के बी.एड. विभाग (B.Ed. Department) में सोमवार को सत्र 2024 -26 के छात्राध्यापकों के लिए पुस्तक-समीक्षा पर कार्यशाला आयोजित की गयी. कार्यशाला भोपाल (Bhopal) से आये विशेषज्ञ द्वय डा. वन्दना मिश्रा (Dr. Vandana Mishra) एवं डा.अरविंद मिश्र (Dr. Arvind Mishra) द्वारा संचालित हुई. डा. वंदना मिश्रा ने पुस्तक पठन की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि साहित्य व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होता है. वहीं, डा. अरविंद मिश्र ने समीक्षा लेखन की विधियों पर विस्तृत मार्गदर्शन किया. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) स्कूल शिक्षा विभाग के विभिन्न पदों पर ओ एस डी, ओ आई सी. पाठ्य पुस्तक लेखन के विषय समन्वयक-हिन्दी, कार्यक्रम अधिकारी रहकर प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त एवं प्रसिद्ध साहित्यकार डा. वन्दना मिश्रा स्कूली शिक्षा में पुस्तक के महत्व पर बी. एड. के छात्राध्यापकों, पदस्थापित स्कूली शिक्षक, प्रधानाध्यापकों को लगातार प्रशिक्षण देती रही हैं.

नागार्जुन बाल साहित्य शिखर सम्मान
ए.एन.कालेज के इस आयोजन से पहले रविवार को डा. वन्दना मिश्रा को ‘नागार्जुन (Nagarjuna) बाल साहित्य शिखर सम्मान 2025’ से सम्मानित किया गया. यह सम्मान उनकी बाल साहित्य कृति ‘चलो उजाले की ओर’ को बाल साहित्य शोध संस्थान, दरभंगा में आयोजित संस्थान के आठवें स्थापना दिवस पर दिया गया. इसी कार्यक्रम में डा.रीता सिंह (Dr.Rita Singh) द्वारा रचित पुस्तक ‘बिहार के बाल साहित्य एक अध्ययन’ का विमोचन भी हुआ. इस पुस्तक के लिए उन्हें ‘शिवपूजन सहाय (Shivpujan Sahay) बाल साहित्य शिखर सम्मान 2025’ दिया गया. इस एक दिवसीय कार्यशाला में पुस्तक-समीक्षा के विभिन्न आयामों पर चर्चा करते हुए डा. रीता सिंह द्वारा रचित पुस्तक ‘बिहार के बाल साहित्य एक अध्ययन’ को आधार बनाकर उन्होंने छात्रों को पुस्तक, पढ़ने, लिखने और समीक्षा करने का गहन प्रशिक्षण दिया.

साहित्य लेखन की चुनौतियां
वरिष्ठ कवि, लेखक एवं व्यंग्यकार डा. अरविंद मिश्र (Dr. Arvind Mishra) ने बाल साहित्य लेखन की चुनौतियों की चर्चा करते हुए छात्रों को बताया कि स्कूली पाठ्यक्रम का बाल मनोविज्ञान परखते हुए अध्ययन करना चाहिये. आज साहित्य में बाल साहित्य का मूल्यांकन नहीं किया जा रहा है. डा. रीता सिंह की इस कृति में इसकी विशद व्याख्या है. बाल साहित्य जगत में इसकी महती आवश्यकता थी. निश्चित तौर पर यह पुस्तक विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी सिद्ध होगी. कार्यक्रम का संचालन देवेश रंजन (Devesh Ranjan) और रौशन रंजन (Roshan Ranjan) ने किया. इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डा. वंदना मिश्रा और डा. अरविंद मिश्र को सम्मानित किया गया. कार्यशाला में छात्र भास्कर (Bhaskar) ने अपने शब्दों में पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत की. कार्यशाला बी.एड. पाठ्यक्रम का हिस्सा है. कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डा. रीता सिंह ने की.

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