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महाराष्ट्र : महायुति में तकरार, चौड़ी हो रही दरार

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तापमान लाइव ब्यूरो
04 मार्च 2025

Mumbai : महाराष्ट्र में भाजपा (BJP) के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) और शिवसेना (Shivsena) के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के अघोषित सत्ता-संघर्ष से महायुति गठबंधन (Mahayuti Gathbandhan) की राजनीति का रंग बदल रहा है. कभी मुख्यमंत्री रहे देवेन्द्र फडणवीस ने महायुति सरकार के पिछले कार्यकाल में उपमुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister) के रूप में जो संत्रास झेला, कमोबेश वैसा ही कुछ तब मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले एकनाथ शिंदे को अभी उपमुख्यमंत्री के रूप में झेलने को मजबूर किया जा रहा है. इससे भाजपा और शिवसेना के संबंधों में खटास भर रही है.

सांकेतिक हिदायत
हो यह रहा है कि मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे द्वारा लिये गये उन निर्णयों की एक-एक कर जांच करायी जा रही है, जो वर्तमान मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की बगैर सहमति के लिये गये थे. उस कालखंड में स्वीकृत कुछ योजनाओं के कार्यान्वयन पर रोक भी लगा दी गयी है. स्वाभाविक तौर पर एकनाथ शिंदे परेशानी महसूस कर रहे हैं. तकलीफ इस बात से कुछ अधिक है कि ऐसा उन्हें उनकी हैसियत बताने और उसी में रहने की सांकेतिक हिदायत के रूप में किया जा रहा है.

खट्टे अनुभव का खुन्नस
इसको थोड़ा और स्पष्ट करें तो एकनाथ शिंदे को शक्तिहीन बनाया और वैसा महसूस कराया जा रहा है. ऐसा क्यों हो रहा है, यह सामान्य समझ से परे है. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व (Top leadership of BJP) के स्तर से ऐसा हो रहा है, वैसी बात नहीं. राजनीति की समझ यह बन रही है कि मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस पिछली सरकार के अपने खट्टे अनुभव का खुन्नस निकाल रहे हैं. उन्हें ऐसा करने का बल महाराष्ट्र की सत्ता के सियासी गणित से मिल रहा है. सत्ता का गणित यह है कि देवेन्द्र फडणवीस की सरकार बगैर शिवसेना के समर्थन (Shiv Sena’s support) के भी चल सकती है.


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बिदक गये तो फिर…
288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के 132 सदस्य हैं. यानी बहुमत से सिर्फ 13 कम. एकनाथ शिंदे की शिवसेना के 57 और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के 41 विधायक हैं. एकनाथ शिंदे भाजपा के स्वाभाविक सहयोगी तो हैं, पर महत्वाकांक्षी इतने हैं कि बिदक गये तो फिर उन्हें मना पाना कठिन है. वैसे, फिलहाल महायुति गठबंधन में बने रहने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है. वर्तमान हालात में महायुति के तीसरे घटक अजित पवार (Ajit Pawar) भाजपा का संरक्षण (BJP’s Protection) खोने का जोखिम शायद ही उठा पायेंगे.

सरकार की सेहत पर असर नहीं
ऐसे में यह कहा जा सकता है कि देवेन्द्र फडणवीस की सरकार की सेहत पर न कोई फर्क पड़ेगा और न महाराष्ट्र की राजनीति में तात्कालिक तौर पर कोई भूचाल आयेगा. और न अस्थिरता पैदा होगी. एकनाथ शिंदे की नाराजगी की बात है तो उसे आपसी बातचीत से दूर कर दी जा सकती है.

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