देसला लोग, देसला भोज : चाचा ने दिया भतीजा को छोड़!
विकास कुमार
11 जनवरी 2025
Patna : खरमास (Kharmas) और ठंढ़ से सुस्त पड़ी बिहार की राजनीति मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर दांव-पेंच भरे चूड़ा-दही के भोज के साथ अपनी गति में आ जाती है. इस दरमियान चाचा-भतीजा के रंग बदलते रिश्तों से भी यह प्रभावित होती रहती है. इसके अनेक उदाहरण हैं. ज्यादा पीछे जाने की जरूरत नहीं है. याद कीजिये, 2024 में राबड़ी देवी (Rabri Devi) के आवास पर बड़े भाई लालू प्रसाद (Lalu Prasad) के संग मकर संक्रांति का भोज खाने के बाद ही मुख्यमंत्री चाचा नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने सत्ता के साझीदार भतीजा तेजस्वी प्रसाद यादव का हाथ झटक दिया था. भाजपा को सर्वाधिक विश्वसनीय बता फिर से एनडीए को बसेरा बना लिया था.
शक्ति प्रदर्शन का माध्यम
वैसे, मकर संक्रांति पर चूड़ा-दही का भोज (Chuda-curd feast) बिहार की राजनीति में शक्ति प्रदर्शन का एक माध्यम भी बन गया है. आमलोग इसे सियासी भोज (Polticial Bhoj) के रूप में जानने-समझने लगे हैं. राजनीतिक हलकों में चूड़ा-दही का भोज पहले भी हुआ करता था. पर, दायरा छोटा हुआ करता था. सामाजिक न्याय की राजनीति के दौर में लालू प्रसाद ने इसे विस्तृत कर दिया. बाद के वर्षों में वशिष्ठ नारायण सिंह, रामविलास पासवान, जीतनराम मांझी, उपेन्द्र कुशवाहा आदि नेता भी ऐसा आयोजन करने लगे. पर, प्रसिद्धि लालू प्रसाद के भोज जैसी नहीं मिल पायी.
सिर्फ जीमते हैं नीतीश कुमार!
2024 में चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने भी भोज दिया था. भाजपा के भी एक-दो नेता ऐसा भोज खिलाते रहते हैं. आयोजन लालू-राबड़ी के आवास पर हो या दूसरे किसी नेता के आवास पर, नीतीश कुमार भोज में जीमते जरूर हैं, पर अपनी ओर से भोज उन्होंने कभी नहीं दिया. कभी दिया भी होगा तो याद नहीं. वैसे, वशिष्ठ नारायण सिंह के भोज को जदयू का भोज माना जाता रहा है. जदयू मतलब नीतीश कुमार का! रामविलास पासवान (Ramvilesh Paswan) की भोज परम्परा को अब उनके भाई पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) भी विस्तार देंगे.
चर्चा पारस के भोज की
मकर संक्रांति पर भोज इस बार भी कई नेताओं के आवास पर होंगे. राबड़ी देवी और वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर भी. पर,चर्चा पशुपति कुमार पारस द्वारा आयोजित होने वाले भोज की कुछ अधिक हो रही है. वजह यह कि रालोजपा (Rljp) की ओर से 15 जनवरी 2025 को पशुपति कुमार पारस के कौटिल्य नगर स्थित आवास पर आयोजित होने वाले इस भोज का न्योता राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. दिलीप जायसवाल एवं अन्य कई नेताओं को तो दिया गया है, लेकिन लोजपा के संस्थापक स्वर्गीय रामविलास पासवान के पुत्र और पशुपति कुमार पारस के भतीजा केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान को छांट दिया गया है. चिराग पासवान लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष हैं.
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गजब का तर्क रालोजपा का
चाचा के भोज में भतीजे को क्यों छांट दिया गया , इस बावत रालोजपा का तर्क कुछ गजब का है. रालोजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं श्रवण कुमार अग्रवाल. उनके हवाले से मीडिया में जो बातें आयी हैं उनके मुताबिक न्योता पूर्व सांसद प्रिंस राज (Prince Raj) बांट रहे हैं. दूसरे दलों के बड़े नेताओं को बुलाया जा रहा है. चिराग पासवान को नहीं बुलाने के सवाल पर श्रवण कुमार अग्रवाल का कहना रहा कि वे लोग ठेठ बिहारी और देसला लोग हैं. यह देसी लोगों का भोज है. इसलिए देसी लोगों को ही बुलाया जा रहा है. जिसका जन्म बिहार में नहीं हुआ, जो बिहार की संस्कृति को नहीं समझते और चाचा तथा भाई का सम्मान नहीं करते, उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जायेगा.
देखना दिलचस्प होगा
यहां गौर करने वाली बात है कि 2024 में चिराग पासवान ने भी भोज दिया था. चाचा पशुपति कुमार पारस नजर नहीं आये थे. विश्लेषकों का मानना है कि रालोजपा के भोज का मकसद हिसाब बराबर करना भी है. चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने भी भोज की तैयारी कर रखी है. उसका भोज 14 जनवरी 2025 को होगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार कहां-कहां जीमते हैं, यह देखना काफी दिलचस्प होगा.
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