बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र : महागठबंधन… बगावत का खतरा
विनोद कर्ण
05 मार्च 2025
Begusarai : विधानसभा के 2025 के चुनाव में और जो हो, महागठबंधन की राजनीति में कोई ज्यादा उलटफेर की संभावना नहीं दिख रही है. कोई विशेष परिस्थिति पैदा नहीं हुई तब घटक दलों में सीटों का बंटवारा 2020 के चुनाव की तरह ही होगा. जिले की कुल सात सीटों में दो- साहेबपुर कमाल (Sahebpur Kamal) और चेरिया बरियारपुर (Cheria Bariarpur) राजद के हिस्से में रहेंगी. 2020 में भी थीं और जीत भी हुई थीं. चेरिया बरियारपुर में राजवंशी महतो (Rajvanshi Mahat) और साहेबपुर कमाल में सतानंद संबुद्ध (Satananda Sambuddha) निर्वाचित हुए थे. 2025 में भी दोनों की राजद (RJD) की उम्मीदवारी तय मानी जा रही है. 2020 में वामदलों (Left Pparties) को चार सीटें मिली थीं. तीन- बछवाड़ा, तेघड़ा व बखरी भाकपा (CPI) को और एक मटिहानी माकपा (CPIM) को. तेघड़ा और बखरी में भाकपा की जीत हुई थी. बेगूसराय की सीट कांग्रेस (Congress) के हिस्से में गयी थी.
नजरंदाज कर दिया
कांग्रेस का दावा बछवाड़ा पर भी था. सीटिंग होने के नाते दावेदारी में काफी दम था. पर, उसको हाशिये पर डाल सीट भाकपा के हवाले कर दी गयी. नतीजतन कांग्रेस और भाकपा के बीच रार पसर गयी. ऐसी कि दोनों ने एक दूसरे को पछाड़ कर ही दम लिया. जीत तीसरे की हो गयी 2015 में बछवाड़ा से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर पूर्व मंत्री रामदेव राय (Ramdeo Rai) निर्वाचित हुए थे. 2020 के चुनाव से कुछ ही समय पहले उनका निधन हो गया. बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र की विरासत संभालने के लिए कांग्रेस में उनके पुत्र शिवप्रकाश गरीब दास (Shivprakash Garib Das) सामने आ गयेे. रामदेव राय की श्रद्धांजलि सभा में पहुंचे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने उन्हें पार्टी का प्रत्याशी घोषित कर दिया था. इसके बाद भी महागठबंधन में उनकी दावेदारी को नजरंदाज कर दिया गया.
तस्वीर 2020 जैसी ही उभर रही
इस खुन्नस में वह निर्दलीय (Independent) मैदान में कूद गये. खुद तो पराजित हो ही गये, भाकपा को भी उसी गति में पहुंचा दिये. मतों के त्रिकोणीय विभाजन (Triangular division of votes) में बाजी भाजपा प्रत्याशी सुरेन्द्र मेहता के हाथ लग गयी. भाकपा उम्मीदवार अवधेश राय (Avadhesh Rai) 484 मतों के मामूली अंतर से मात खा गये. सुरेन्द्र मेहता (Surendra Mehta) को 54 हजार 738 मत मिले तो दूसरे स्थान पर रहे भाकपा के अवधेश राय को 54 हजार 254 मत. शिवप्रकाश गरीब दास 39 हजार 878 मतों के साथ तीसरे स्थान पर अटक गये. 2025 के चुनाव में अभी वक्त है, पर उसकी प्रारंभिक तस्वीर 2020 जैसी ही उभरती दिख रही है. 2024 के संसदीय चुनाव में हालात बदलने की संभावना नजर आयी थी. पर, वैसा कुछ हुआ नहीं. बछवाड़ा के पूर्व भाकपा विधायक अवधेश राय को बेगूसराय संसदीय क्षेत्र से महागठबंधन की उम्मीदवारी मिली थी. जीत जाते तो बछवाड़ा का झंझट खुद-ब- खुद खत्म हो जाता.
दोस्ताना संघर्ष का विकल्प
संसदीय चुनाव में मुंह की खा जाने के बाद अवधेश राय पूर्व की तरह बछवाड़ा से विधानसभा का चुनाव लड़ने का हुंकार भर रहे हैं. उधर, शिवप्रकाश गरीब दास भी अड़े हैं. वर्तमान में वह बिहार प्रदेश युवक काग्रेस (Bihar State Youth Congress) के अध्यक्ष हैं. इस कारण दावेदारी कुछ अधिक दमदार हो गयी है. चुनाव की तैयारी भी जोर-शोर से हो रही है. पंचायत स्तर तक ही नहीं, मतदान केंद्र स्तर तक उनकी कमेटी बन चुकी है. 25 फरवरी 2025 को बिहार कांग्रेस के संगठन प्रभारी कृष्णा अल्लाबरु (Krishna Allabaru) एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. अखिलेश प्रसाद सिंह (Dr. Akhilesh Prasad Singh) के समक्ष इन शब्दों के साथ अपनी दावेदारी दुहरायी कि जिन क्षेत्रों में कांग्रेस मजबूत पकड़ रखती है वहां कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए. महागठबंधन में ऐसी सीटों को लेकर कोई पेंच फंसता है तो दोस्ताना संघर्ष का विकल्प रखना चाहिए.
समेट ले सकते हैं पांव
इस क्रम में तार्किक तरीके से उन्होंने हकीकत बयां किया कि 2020 में उन्हें बछवाड़ा से कांग्रेस की उम्मीदवारी मिलती तो उनकी जीत जरूर हो जाती. शिवप्रकाश गरीब दास के मुताबिक बछवाड़ा में आज की तारीख में कांग्रेस का जनाधार और अधिक मजबूत हो गया है. इसको देखते हुए कांग्रेस इस सीट को कतई नहीं छोड़े. गठबंधन की विवशता आड़े आती है तो उस स्थिति में दोस्ताना संघर्ष का विकल्प रखे. शिवप्रकाश गरीब दास के इस कथन से स्पष्ट है कि कांग्रेस की उम्मीदवारी मिले या नहीं, 2020 की तरह 2025 में भी वह बछवाड़ा से चुनाव लड़ेंगे ही. मतलब महागठबंधन में भाकपा और कांग्रेस की टांगें फंसेंगे ही. वैसे, शिवप्रकाश गरीब दास की ललकार, भाकपा के घटते प्रभाव और सिकुड़ते जनाधार के मद्देनजर महागठबंधन में टकराव टालने के लिए अवधेश राय पांव समेट लें, तो वह अचरज की कोई बात नहीं होगी.
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