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एनडीए और बेगूसराय : उलझा है गणित सीटों के बंटवारे का

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विनोद कर्ण

08 जनवरी 2025

Begusarai : बिहार विधानसभा के 2025 के चुनाव की बाबत राजनीतिक दलों (political parties) की प्रारंभिक कवायद शुरू हो गयी है. दोनों बड़े गठबंधनों में सीटों के बंटवारे के साथ-साथ जीत दिलाऊ प्रत्याशी के चयन पर मंथन होने लगा है. गठबंधन के बाहर के राजनीतिक दलों में भी चुनाव की नीति-रणनीति पर विचार-विमर्श का दौर चल रहा है. इस प्रस्तुति में पूरे बिहार की नहीं, उसके एक महत्वपूर्ण हिस्सा बेगूसराय जिले की चुनावी राजनीति की दशा और दिशा की चर्चा की जा रही है. विशेष कर एनडीए (NDA) के भीतर के दांव-पेंच की राजनीति की. घटक दलों के दावे-प्रतिदावे की और आशंकित गुस्से व उसके संभावित परिणाम की.

चित हो गये चारो के चारो
बेगूसराय जिले में सात विधानसभा क्षेत्र हैं. 2020 के चुनाव में एनडीए की जीत सिर्फ दो सीटों पर हुई थी. चार सीटों पर बाजी महागठबंधन (grand alliance) और एक पर लोजपा (LJP) के हाथ लग गयी थी. बेगूसराय और बछबाड़ा (Bachhabada) में भाजपा (BJP) के उम्मीदवार निर्वाचित हुए थे. तेघड़ा (Teghra) और बखरी (Bakhri) में भाकपा (CPI) , चेरियावरियारपुर (Cheriyavariyarpur) और साहेबपुर कमाल (Sahebpur Kamal) में राजद (RJD) तथा मटिहानी (Matihani) में लोजपा के उम्मीदवार. एनडीए में भाजपा के तीन और जदयू (JDU) के चार उम्मीदवार मैदान में थे. चारो के चारो चित हो गये. बाद में मटिहानी के लोजपा विधायक (MLA) राजकुमार सिंह (Rajkumar Singh) को खुद से जोड़ कर उसने अपने खाते में दर्ज शून्य को एक कर लिया.

मात खा गये 333 मतों से
उस चुनाव के दौरान कथित रूप से नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और चिराग पासवान (Chirag Paswan) की अहंकारी सींगें फंसी थीं. लोजपा ने चुन-चुन कर जदयू के चारो उम्मीदवारों के विरुद्ध अपने उम्मीदवार खड़े कर दिये थे. इससे दो क्षेत्रों-मटिहानी और साहेबपुर कमाल में जदयू की खटिया खड़ी हो गयी थी. मटिहानी में सिटिंग विधायक नरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह (Bogo Singh) जदयू के उम्मीदवार थे. दुर्भाग्य ऐसा कि त्रिकोणीय मुकाबले में महज 333 मतों से मात खा गये. लोजपा प्रत्याशी राजकुमार सिंह को 61हजार 364 मत मिले तो बोगो सिंह को 61 हजार 031 मत. दिलचस्प बात यह कि तीसरे स्थान पर अटक गये माकपा (CPM) उम्मीदवार राजेन्द्र प्रसाद सिंह (Rajendra Prasad Singh) को भी 60 हजार 599 मत हासिल हो गये.


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किस गणित के तहत होगा बंटवारा?
2025 के विधानसभा चुनाव में क्या होगा? किस गणित के तहत एनडीए में सीटों का बंटवारा होगा? ये सवाल चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) के फिर से एनडीए का हिस्सा बन जाने के कारण खड़ा हुए हैं. विश्लेषकों की मानें, तो एनडीए में बछवाड़ा और बेगूसराय की सीटें भाजपा के हिस्से में रहेंगी, चेरियावरियारपुर जदयू के हिस्से में. मटिहानी, बखरी, तेघड़ा और साहेबपुर कमाल की सीटों पर पेंच फंस सकते हैं. इनमें सबसे अधिक दांव-पेंच वाली सीट मटिहानी की मानी जा रही है. राजनीतिक हलकों में आशंका जतायी जा रही है कि मटिहानी कहीं एनडीए की संभावनाओं को मटियामेट न कर दे.

मटिहानी ने बचायी लाज
यह आशंका गप्प नहीं है, इसका ठोस आधार है. वह है लोजपा (रामविलास) सुप्रीमो चिराग पासवान की वह घोषणा जिसमें उन्होंने मटिहानी से हर हाल में चुनाव लड़ने की बात कही है. वजह यह कि 2020 में जदयू के ‘सफाया अभियान’ में लोजपा जब खुद साफ हो गयी थी तब एकमात्र मटिहानी ने ही उसकी लाज बचायी थी. यह तो है, चिराग पासवान इसलिए भी इसे अपने हिस्से में लेना चाहेंगे कि लोजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतने के बाद जदयू में शामिल हो गये विधायक राजकुमार सिंह का हिसाब भी उन्हें बराबर करना है.

संभावना नहीं दिखती
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि लोजपा में विभाजन के वक्त जिन सांसदों ने चिराग पासवान का साथ छोड़ चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) के साथ चले गये उनका हिसाब उन्होंने 2024 के संसदीय चुनाव में कर दिया. अपवाद स्वरूप वैशाली (Vaishali) की सांसद वीणा देवी (Veena Devi) को ‘अभयदान’ मिला. उसके लिए वीणा देवी को कितने पापड़ बेलने पड़े, यह हर किसी को मालूम है. ऐसे में विधायक राजकुमार सिंह उनके कोप से बच जायेंगे इसकी संभावना नहीं दिखती है.

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