आरिफ मोहम्मद खान की ताजपोशी : चौंक गयी राजनीति
तापमान लाइव ब्यूरो
02 जनवरी 2025
Patna : राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर की अचानक हुई असमय विदाई से राजनीति को जितनी हैरानी नहीं हुई उससे कहीं अधिक वह आरिफ मोहम्मद खान की पदस्थापना से चकित रह गयी. पटना में पांव रखते फुलवारीशरीफ़ के पुराने मित्र मोहम्मद नियाज अहमद से शुरू भेंट-मुलाकात का सिलसिला ने भी उसे चौंका दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar), उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejaswi Prasad Yadav) ने राजभवन में आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) से मुलाकात की. पर, इन सब के बीच चौंकने-चौंकाने वाली खबर यह रही कि नये साल की पहली तारीख को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी (Rabri Devi) को बधाई देने के बहाने वह राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad) से मिलने खुद उनके आवास पर पहुंच गये.
पहला अबूझ अनुभव
इससे पहले अप्रत्याशित ढंग से नीतीश कुमार के पैतृक गांव कल्याण बिगहा (Kalyan Bigha) में उनकी मां को पुष्पांजलि अर्पित कर आये. पूर्व सांसद आर के सिन्हा (RK Sinha) और पूर्व मंत्री अश्विनी चौबे (Ashwini Choubey) से उनके आवास पर जाकर मुलाकात कर ली. दिवंगत आचार्य किशोर कुणाल (Acharya Kishore Kunal) के शोकाकुल परिजनों से मिल कर समवेदना भी व्यक्त कर आये. पदभार ग्रहण से पहले नामित राज्यपाल (Governor) की ऐसी शिष्टाचार मुलाक़ात बिहार के लिए संभवतः पहला अबूझ अनुभव रहा. लोगों ने इसे अलग-अलग नजरिये से देखा और समझा. जो हो, गुरुवार को शपथ ग्रहण के साथ आरिफ मोहम्मद खान बिहार के विधिवत राज्यपाल बन गये. राजभवन (Raj Bhavan) में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता, प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव की भी मौजूदगी रही.
खड़े हो गये एक साथ कई सवाल
बहरहाल, बिहार के राज्यपाल के रूप में आरिफ मोहम्मद खान की पदस्थापना से एक साथ कई सवाल खड़े हो गये हैं. क्या भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नजर अब बिहार के मुसलमानों पर है? क्या भाजपा विधानसभा के 2025 के चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं (Muslim voters) पर डोरे डालेगी? क्या मुस्लिम समाज की नाराजगी कम करने के लिए उन्हें राज्यपाल बनाया गया है? क्या इससे भाजपा मुसलमानों का विश्वास जीत लेगी? वरिष्ठ पत्रकार विभेष त्रिवेदी की मानें तो इन सवालों का एक ही जवाब है- नहीं, नहीं, बिल्कुल नहीं! न तो किसी मुस्लिम राज्यपाल (Governor) की नियुक्ति से मुसलमान मतदाताओं का विश्वास जीता जा सकता है और न ही भाजपा का ऐसा कोई लक्ष्य है.
कई राजनीतिक निहितार्थ हैं
विभेष त्रिवेदी के मुताबिक इसका मतलब यह नहीं कि आरिफ मोहम्मद खान को बिहार का राज्यपाल बनाने के पीछे भाजपा नीत केंद्र सरकार की कोई रणनीति नहीं है. उन्हें अकारण बिहार नहीं लाया गया है. केरल में राज्यपाल पद का एक सफल कार्यकाल पूरा करने के बाद उनकी दोबारा तैनाती हुई है और बिहार जैसे राजनीतिक रूप से अति संवेदनशील प्रदेश का राज्यपाल बनाये जाने के कई राजनीतिक निहितार्थ हैं. इस पदस्थापना को लेकर तीन तरह की बातें की जा रही हैं. पहली बात यह कि भाजपा बिहार में एहतियाती सतर्कता बरत रही है, कुछ बड़ा कदम उठाने की सोच रही है. दूसरा यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इच्छा के अनुरूप आरिफ मोहम्मद खान की तैनाती की गयी है.
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कोपभवन में चले गये नीतीश कुमार
तीसरी बात यह कही जा रही है कि यह रूटीन तबादला है. विभेष त्रिवेदी का मानना है कि आरिफ मोहम्मद खान को उनके बेहतर प्रदर्शन, विश्वसनीयता और विद्वता की वजह से राज्यपाल के दूसरे कार्यकाल का मौका दिया गया है. उनकी चाहत और सहूलियत का ख्याल रखते हुए बिहार में पदस्थापना हुई है. यह सब तो है, लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि आरिफ मोहम्मद खान की पदस्थापना ऐसे समय में हुई है, जब बिहार विधानसभा का चुनाव बहुत करीब है और एनडीए में सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है. विधानसभा चुनाव में एनडीए के नेतृत्व को लेकर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बयान आया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोपभवन में चले गये.
आगे-आगे देखिये होता है क्या!
अमित शाह का कहना रहा कि नेतृत्व पर निर्णय संसदीय बोर्ड करेगा. उनके इस कथन का अर्थ यह निकाला गया कि महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी मुख्यमंत्री पद पर निर्णय चुनाव बाद होगा. नीतीश कुमार ने खामोशी से नाराजगी जतायी कि ऐसा नहीं चलेगा. बिहार में महाराष्ट्र का फार्मूला नहीं चलेगा. क्या होगा क्या नहीं, यह वक्त बतायेगा. सोमवार को आरिफ मोहम्मद खान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गैरमौजूदगी में पटना आये. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने उनकी अगवानी की. दिल्ली से लौटने के बाद नीतीश कुमार ने मंगलवार को राजभवन में आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात कर उनका स्वागत किया. निवर्तमान राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर (Rajendra Vishwanath Arlekar) को विदाई दी. गुरुवार को आरिफ मोहम्मद खान ने राज्यपाल का पदभार ग्रहण कर लिया. अब आगे-आगे देखिये होता है क्या!
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