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पारस बनाम चिराग : इसलिए निकल आये… आंसू और शापनुमा शब्द!

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विशेष प्रतिनिधि
15 दिसम्बर 2024

PATNA : पैतृक गांव खगड़िया (Khagaria) जिले के शहरबन्नी (Saharbanni) में भाइयों के प्रतिमा अनावरण के वक्त रालोजपा (Rljp) अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस के बहते आंसुओं के बीच मुंह से ‘चांडाल’ शब्द अनायास नहीं निकला था. वे आंसू और शापनुमा शब्द बिहार प्रदेश लोजपा (Bihar_Ljp) के अध्यक्ष का पद छोड़ने को बाध्य किये जाने के वक्त रामविलास पासवान (Ram_Vilash_Paswan) और पशुपति कुमार पारस (Pashupati_Kumar_Paras) की गीली हुईं आंखों का विस्तार था जिसकी पृष्ठभूमि काफी दर्द भरी बतायी जाती है. लोग जरूर जानना चाहेंगे कि आखिर प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ने के वक्त रामविलास पासवान और पशुपति कुमार पारस की आंखें गीली क्यों हो गयी थीं? जवाब बहुत कारुणिक है.

नेतृत्व की दूसरी पीढ़ी
हर किसी को मालूम है कि उस दौर में लोजपा (LJP) के अलावा राजद (RJD) और झामुमो (JMM) जैसी दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों में भी नेतृत्व की दूसरी पीढ़ी तैयार हो गयी थी. झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन (Shibu_Soren) के पुत्र हेमंत सोरेन (Hemant_Soren) मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejaswi_Prasad_Yadav) अपने राज्य के उपमुख्यमंत्री रहे हैं. शिबू सोरेन और लालू प्रसाद रोजमर्रे के पार्टी मामले में दखल नहीं देते थे, अब भी नहीं देते हैं. मगर, दोनों के बेटों का मजाल नहीं कि उनके आदेशों की अनदेखी कर दें.

क्या ऐसी हैसियत उनकी थी?
दोनों नेताओं के समर्थकों ने भी उनके पुत्रों को उत्तराधिकारी स्वीकार कर लिया है. फिर भी शिबू सोरेन और लालू प्रसाद आज की तारीख में अपने दलों के सिरमौर हैं क्या ऐसी हैसियत रामविलास पासवान की चिराग पासवान (Chirag_Paswan) के सामने थी? जवाब बताने की शायद जरूरत नहीं है. परिवारवाद की आलोचना अलग विषय है. लेकिन, रामविलास पासवान के भ्रातृत्व प्रेम का उदाहरण दिया जाता है. उनकी मजबूरी की कल्पना कीजिये.‌


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लोजपा में नेतृत्व परिवर्तन
पासवान परिवार के निकट के लोगों के मुताबिक उन्होंने अस्पताल में दाखिल होने के दो दिन पहले अपने अनुज पशुपति कुमार पारस को भाव-विह्वल होकर समझाया- कह रहा है तो इस्तीफा दे ही दो. हमको देखकर सब्र करो. कहते हैं, उस क्षण दोनों भाइयों की आंखें गीली हो गयी थीं. पशुपति कुमार पारस ने बड़े भाई के आदेश का सम्मान किया. पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. आम लोगों को लगा कि लोजपा में नेतृत्व परिवर्तन आसानी से हो गया, जबकि कथित तौर पर यह एक विद्रोह के जरिये हुआ था.

दया के पात्र बन गये थे!
सूत्रों को जोड़ने पर तस्वीर यह बनी कि बेहद सुनियोजित तरीके से रामविलास पासवान को उनकी जनता से काट दिया गया. धीरे-धीरे परिवार से भी अलग-थलग कर दिया गया. निकट के लोगों की जानकारी के मुताबिक स्थिति ऐसी बन गयी कि सब पर दया-कृपा की बारिश करने के लिए मशहूर रामविलास पासवान खुद अपने घर में ही दया के पात्र बन गये थे.

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