नीतीश कुमार लाचार : कमान संभालेंगे निशांत कुमार?
विष्णुकांत मिश्र
01 मार्च 2025
PATNA : यह हैं निशांत कुमार. तकरीबन बीस वर्षों से बिहार की सत्ता पर काबिज राज्य के सबसे ताकतवर नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पचास वर्षीय इकलौते अविवाहित इंजीनियर पुत्र. कारण क्या रहा क्या नहीं, यह उनका व्यक्तिगत मामला है. पूर्व के हालात क्या थे यह भी. लोगों ने देखा-सुना और महसूस किया कि पिता के सत्ता काल में भी निशांत कुमार (Nishant Kumar) राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य से प्रायः ओझल रहे हैं. पारिवारिक आयोजनों के क्रम में ही कभी-कभार उनका दरस हुआ है. वही निशांत कुमार इन दिनों अचानक से सक्रिय हो मीडिया की सुर्खियों (Media Headlines) में आ गये हैं. राजनीति चकित है कि मीडिया से दूर-दूर रहने वाले निशांत कुमार खुद आगे बढ़ कर वक्तव्य-दर-वक्तव्य दे रहे हैं.
नहीं आने दिया इस कारण
निशांत कुमार की इस अप्रत्याशित सक्रियता और सुलझे-सधे बयानों की राजनीतिक हलकों में अलग-अलग व्याख्या हो रही है. उनके सक्रिय राजनीति में कदम रखने की बात की जा रही है. इस प्रसंग में चर्चा राजनीति में परिवारवाद (Familism) की भी हो रही है. इस रूप में कि नीतीश कुमार राजनीति में परिवारवाद के कभी हिमायती नहीं रहे हैं. उनका स्पष्ट मानना रहा है कि राजनीति में परिवारवाद को कतई बढ़ावा नहीं देना चाहिये. इसी ‘आदर्शवादिता’ के तहत उन्होंने अभी तक अपने पुत्र को राजनीति में नहीं आने दिया. यहां यह जानने वाली बात है कि दिवंगत समाजवादी नेता पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) ने भी अपने जीवनकाल में पुत्र को राजनीति से दूर रखा था. उनकी मृत्यु के बाद ही उनके समाजवादी शार्गिदों के सौजन्य से पुत्र रामनाथ ठाकुर को सियासी मुकाम हासिल हुआ.
एक साथ कई सवाल
वैसे, कथित तौर पर अध्यात्म (spirituality) में रमे निशांत कुमार की भी खुद की कभी ऐसी कोई इच्छा नहीं जगी. नीतीश कुमार की सहमति है या नहीं यह नहीं कहा जा सकता, इधर अप्रत्याशित ढंग से निशांत कुमार राजनीतिक हलकों में बयानबाजी करते दिख रहे हैं. उनकी इस सक्रियता से एक साथ कई सवाल खड़े हो गये हैं. पहला यह कि निशांत कुमार वाकई सक्रिय राजनीति में आ रहे हैं या यह मीडिया का शिगूफा मात्र है? दूसरा यह कि उनके इस रूप में प्रकटीकरण को लोग राजनीति में सक्रियता की संभावना से सिर्फ इसलिए जोड़ रहे हैं कि वह मुख्यमंत्री के पुत्र (Chief ) हैं? नीतीश कुमार ने उन्हें राजनीति में लाने का मन बना लिया है और उस अनुरूप पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है?
‘2025 फिर से नीतीश’
क्या होता है क्या नहीं, यह वक्त के गर्भ में है. फिलहाल निशांत कुमार जिस बेबाकी से मीडिया के समक्ष अपने पिता नीतीश कुमार को 2025 में भी सत्ता सौंपने की बात रख रहे हैं, उसने उन्हें सुर्खियों में ला दिया है. निशांत कुमार का कहना है कि उनके पिता यानी नीतीश कुमार ने बिहार (Bihar) के लिए बहुत कुछ किया है. भाजपा (BJP) समेत एनडीए (NDA) के तमाम घटक दलों को ऐलान करना चाहिये कि नीतीश कुमार ही उनके चेहरे होंगे, 2025 में भी बिहार की सत्ता संभालेंगे. विश्लेषकों की समझ में निशांत कुमार के इस बयान का कोई खास मतलब नहीं है. ‘2025 फिर से नीतीश’ एनडीए का घोषित संकल्प है. इसी लक्ष्य के साथ उसका राज्यव्यापी अभियान भी चल रहा है. निशांत कुमार का बयान पिता के लिए पुत्र की भावनात्मक अपील भर है. इससे ज्यादा कुछ नहीं.
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उत्साहित है एक तबका
यह तो है. लेकिन, निशांत कुमार की इस पहलकदमी से इतना जरूर हुआ है कि जदयू के उस तबके को सुकून मिल रहा है, जो खुद को पार्टी में अलग-थलग महसूस कर रहा है. यह तबका इतना उत्साहित है कि निशांत कुमार के विधिवत जदयू में आने से पहले ही उनका झंडा बुलंद कर रहा है. पटना में जदयू कार्यालय के बाहर बड़े-बड़े पोस्टर लगा इसका इजहार कर रहा है. हालांकि, जदयू में ही एक ऐसा भी तबका है जिसका मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुत्र होने के अलावा निशांत कुमार में न नेतृत्व का कोई गुण है और न राजनीति का अनुभव है. राजनीति में उतरने के बाद नेतृत्व का गुण दिखने लग जाये तो वह अलग बात होगी.
राजनीति में नये नेता पुत्र
लेकिन, यहां गौर करने वाली बड़ी बात यह है कि निशांत कुमार सक्रिय राजनीति में उतरते हैं और उन्हें जदयू का नेतृत्व सौंपने की पहल होती है तब नीतीश कुमार इस मुद्दे को लेकर भी विपक्ष के निशाने (Targets of opposition) पर आ जा सकते हैं. कथनी और करनी में फर्क को लेकर सवालों में घिर जा सकते हैं. उस स्थिति में विपक्ष के लोग तंज कसेंगे कि कथनी परिवारवाद के विरुद्ध और करनी ठीक उसके उलट! बड़ा सवाल यहां यह भी है कि निशांत कुमार राजनीति में उतरते हैं तो उनकी भूमिका क्या होगी? जदयू का नेतृत्व संभालेंगे या फिर सांसद-विधायक बनकर रह जायेंगे? मंत्री या उपमुख्यमंत्री बना दिये जायेंगे? इन सवालों का जवाब वक्त देगा. फिलहाल तेजस्वी प्रसाद यादव और चिराग पासवान के बाद निशांत कुमार भी नये नेता पुत्र के रूप में धीरे-धीरे राजनीति में जगह बनाने तो लग ही गये हैं.
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