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एनडीए और बेगूसराय : मटिहानी की मुश्किलें… पार पाना आसान नहीं

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विनोद कर्ण

14 जनवरी 2025

Begusarai: बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) के 2025 के चुनाव में बेगूसराय जिले में एनडीए (NDA) में रार सिर्फ मटिहानी (Matihani) ही नहीं, कुछ और सीटों को लेकर भी पसर सकती है. पर, मटिहानी का मामला कुछ अधिक पेंचीदा दिख रहा है. ऐसा इसलिए भी कि मटिहानी विधानसभा क्षेत्र को लेकर लोजपा (रामविलास) (LJP (Ram Vilas)) सुप्रीमो चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने अपना नजरिया साफ कर दिया है. एनडीए में बगैर किसी विचार-विमर्श के उन्होंने हाल ही में मटिहानी में आयोजित अपने अभिनंदन समारोह में खुले तौर पर इंद्रा देवी (Indra Devi) को मटिहानी से उम्मीदवार घोषित कर दिया. उपस्थित जनसमूह से उन्हें ‘आशीर्वाद’ देने का अनुरोध भी किया. वैसा ही ‘आशीर्वाद’ जैसा 2020 में राजकुमार सिंह (Rajkumar Singh) को मिला था.

बछवाड़ा जैसी गलती यहां नहीं
कभी भाजपा (BJP) के चर्चित नेता रहे अरविंद सिंह (Arvind Singh) की भावज और बालमुकुंद सिंह (Balmukund Singh) की पत्नी इंद्रा देवी बेगूसराय जिला परिषद की अध्यक्ष रही हैं. राजनीतिक कद-काठी के हिसाब से देखा जाये तो जिस परिवार से वह आती हैं उसका मटिहानी विधानसभा क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभाव भी है. पर, एक बात यह भी चर्चा में है कि गठबंधन की विवशता के तहत यह सीट लोजपा के कोटे में नहीं गयी तो इंद्रा देवी चुनाव से अलग रहेंगी. यह परिवार बछवाड़ा (Bachhwara) जैसी गलती यहां नहीं दुहरायेगा. यानी इंद्रा देवी किसी दूसरे दल की या निर्दलीय (independent) उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगी.


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फिर कोई भरोसा करेगा?
सवाल अब यहां यह उठता है कि चिराग पासवान की इस चाल के बाद जदयू (JDU) क्या करेगा? जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्यमंत्री (Chief Minister) नीतीश कुमार विधायक राजकुमार सिंह को नजरअंदाज कर लोजपा (रामविलास) के मटिहानी पर दावे को मान लेंगे? ऐसा करेंगे तो भविष्य में उनकी बातों पर भरोसा कर दूसरे दल का कोई विधायक उनकी पार्टी में शामिल होगा? ये सवाल ऐसे हैं जिन पर नीतीश कुमार को विचार करना पड़ जा सकता है. लेकिन, सच यह भी है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता है. लोजपा में टूट के बाद जो असंभव दिखाई दे रहा था, चिराग पासवान ने उसे संभव कर दिखा दिया है.

शायद ही निराश करेंगे
जहां तक नीतीश कुमार की बात है तो वफादारी को वह भी तरजीह और सम्मान देते हैं. राजकुमार सिंह के साथ भी वैसा हुआ है. जदयू में शामिल होने के बाद मंत्री का पद भले नहीं मिला, जदयू विधायक दल का सचेतक बना मंत्री का दर्जा अवश्य प्रदान करा दिया गया है. ऐसे में मटिहानी से उम्मीदवारी के मामले में नीतीश कुमार उन्हें शायद ही निराश होने देंगे.

तेघड़ा हो सकता है विकल्प
वैसे, एक संभावना यह भी बन रही है कि चिराग पासवान मटिहानी पर अड़ गये तब राजकुमार सिंह को तेघड़ा से जदयू का उम्मीदवार बनाया जा सकता है. राजकुमार सिंह का समायोजन तो इस रूप में हो सकता है, पर अलग बाना भांज रहे पूर्व विधायक (EX MLA) नरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह, (Narendra Kumar Singh alias Bogo Singh) जो 2020 में इस क्षेत्र से जदयू के उम्मीदवार थे, का क्या होगा? क्या उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया जायेगा? एनडीए और जदयू के लिए परेशानी की बात यह भी है कि चिराग पासवान की दावेदारी सिर्फ मटिहानी तक ही सीमित नहीं है. साहेबपुर कमाल (Sahebpur Kamal) और बखरी (Bakhri) पर भी लोजपा (रामविलास) की नजर है.

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